The Lallantop

जिंदगी की जंग हारकर भी 3 लोगों को जीवन दे गए ऑटो ड्राइवर गणेश, पुलिस ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

Bhopal के रहने वाले 37 साल के गणेश Auto Driver थे. Brain Dead होने के बाद उनकी जान तो नहीं बच सकी, लेकिन वो 3 लोगों को नई जिंदगी दे गए.

Advertisement
post-main-image
गणेश को पूरे सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया (PHOTO-Social Media)

साल 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी की एक फिल्म आई 'अनाड़ी'. ये फिल्म किसी को याद हो या न हो, लेकिन इसका एक गाना 'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार' आज के समय में भी कई मौकों पर एकदम फिट बैठता है. भोपाल से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक ऑटो ड्राइवर ने इस गाने की एक लाइन 'कि मर के भी किसी को याद आएंगे, किसी के आंसुओं में मुस्कुराएंगे' को सार्थक कर दिया है. 37 साल के ऑटो ड्राइवर गणेश (Bhopal Auto Driver Guard of Honour) खुद तो जिंदगी की जंग हार गए. लेकिन जाते-जाते उन्होंने 3 लोगों को वापस से नई जिंदगी दे दी. क्या है पूरा मामला, विस्तार से समझते हैं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
दीपावली के अगले दिन लगी चोट

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 26 अक्टूबर को यानी दीपावली के अगले दिन ऑटो ड्राइवर गणेश सोते समय बिस्तर से गिर गए. इस दौरान उनके सिर में गहरी चोट लगी. परिजन उन्हें इलाज कि लिए एम्स भोपाल ले गए. लेकिन इलाज के कुछ समय बाद डॉक्टर्स ने उन्हें 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया. गणेश के पूरे परिवार के लिए ये बहुत ही कठिन समय था. लेकिन इस स्थिति में भी उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे तीन लोगों को नई जिंदगी मिली. 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जब अस्पताल प्रशासन ने देखा कि अब गणेश नहीं बच पाएंगे, तब उन्होंने गणेश के परिवार के सामने एक प्रस्ताव रखा. उन्होंने परिवार से गणेश के अंगों को दान करने के लिए इजाजत मांगी. अस्पताल ने परिवार को बताया कि अंग दान करने से कई जानें बचाई जा सकती हैं. गणेश के भाई भरत पाटिल ने फैसला लिया कि गणेश की मौत खाली नहीं जाएगी. उन्होंने कहा 

Advertisement

21 अक्टूबर  को हम उन्हें एम्स लेकर आए. काफी प्रयास के बावजूद डॉक्टर्स ने कहा कि वो ब्रेन डेड हो चुके हैं. इसके बाद हमारे परिवार ने तय किया कि मेरा भाई तो नहीं बच सकता, लेकिन वो दूसरों को तो बचा ही सकता है.

इसके बाद डॉक्टर्स ने अंग दान करने की प्रक्रिया शुरू की.

गणेश का दिल अब एक 40 साल की महिला के अंदर धड़क रहा है. दो अन्य मरीजों को गणेश की किडनी मिलीं हैं. किडनी को सुरक्षित रूप से एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया जिससे ट्रैफिक में कोई देरी न हो. AIIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ विकास गुप्ता ने बताया कि AIIMS में पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की थी कि सभी ऑर्गन डोनर्स को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा. साथ ही उनके परिवारों को आर्थिक मदद भी दी जाएगी. 

Advertisement

कुल मिलाकर देखें तो अब तक एम्स भोपाल और अन्य अस्पतालों में 54 किडनी, 23 लीवर, 7 हार्ट रिट्रीव किए जा चुके हैं. एम्स के अनुसार हर महीने 5 से 7 मरीजों को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है, पर उनके अंगों का उपयोग नहीं हो पाता. इसका सबसे बड़ा कारण है कि परिवार अंगदान के लिए सहमति नहीं देते. लेकिन परिवार समय पर इजाजत दे दें, तो हर महीने 5 से 7 शरीर से निकलने वाले अंग 25 से 30 नई जिंदगियां बचा सकते हैं.

वीडियो: सीताराम येचुरी के निधन के बाद बॉडी एम्स को डोनेट, ऑर्गन और बॉडी डोनेशन के बारे में सब जान लें

Advertisement