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कृष्णा अल्लावरु का यूथ कांग्रेस प्रभारी पद से हटना उनका डिमोशन है या प्रमोशन?

Krishna Allavaru को यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद से हटा दिया गया है. बिहार कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता टिकट बंटवारे को लेकर कृष्णा अल्लावरु से नाराज हैं, ऐसे में यह चर्चा चल पड़ी कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें दंडित किया है. हालांकि सब जानकारों की राय एक नहीं है.

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कृष्णा अल्लावरु को यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद से मुक्त कर दिया गया है. (एक्स)

23 अक्टूबर. पटना में महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को सीएम फेस घोषित किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं ने अपनी बात रखी. लेकिन एक नेता चुपचाप एक किनारे बैठा रहा. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु (Krishna Allavaru). 

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इसी दिन कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक चिट्ठी जारी की. बताया गया कि कृष्णा अल्लावरु से यूथ कांग्रेस का अतिरिक्त प्रभार ले लिया गया है. और उनकी जगह मनीष शर्मा को यूथ कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है. इसके बाद से खबर चलने लगी कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष के चलते पार्टी आलाकमान ने उन्हें दंडित किया है. क्या वाकई ऐसा है?

कृष्णा अल्लावरु को फरवरी 2025 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी का प्रभारी बना कर बिहार प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई थी. उस दौरान कृष्णा यूथ कांग्रेस के प्रभारी थे. ये दायित्व उनके पास लगभग आठ सालों से था. उनको बिहार की जिम्मेदारी सौंपने के बाद से ही कांग्रेस नेतृत्व यूथ कांग्रेस के लिए नए प्रभारी की तलाश में था.

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यानी कृष्णा अल्लवारु का इस भूमिका से हटना तय था. पर सवाल फैसले की टाइमिंग को लेकर उठ रहे हैं. क्योंकि अल्लावरु फिलहाल टिकट बंटवारे को लेकर विवादों में घिरे हैं. कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यूथ कांग्रेस के नए प्रभारी मनीष शर्मा अल्लावरु की पसंद है. उन्होंने ही उनका नाम आगे किया है. और ये फैसला करीब एक हफ्ते पहले हो चुका था. कृष्णा खुद भी चाहते थे कि बिहार चुनाव के पहले इसका एलान हो जाए. क्योंकि बिहार में अगर नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं रहे तो अपनी पसंद के व्यक्ति को यूथ कांग्रेस का प्रभारी बनवाना मुश्किल होता. 

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत पार्टी के कुछ और नेता मनीष शर्मा को प्रभारी बनाने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन अल्लावरु को आलाकमान का समर्थन प्राप्त है, जिसके चलते केसी वेणुगोपाल को कृष्णा की पसंद पर राजी होना पड़ा. वेणुगोपाल फैसले पर राजी तो हुए, लेकिन उन्होंने चिट्ठी जारी करने में खेल कर दिया. जानबूझकर ऐसी टाइमिंग चुनी जब कृष्णा अल्लावरु सवालों के घेरे में हैं.

दरअसल बिहार कांग्रेस के कई नेताओं ने उन पर टिकट बेचने के आरोप लगाए हैं. उनके खिलाफ एयरपोर्ट से लेकर पार्टी दफ्तर तक प्रदर्शन भी हुए. तो क्या कृष्णा अल्लावरु को यूथ कांग्रेस की जिम्मेदारी से मुक्त करके बिहार के नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को मैसेज देने की कोशिश की गई है? इसका असर भी दिखा है. पार्टी का नाराज धड़ा इस फैसले को अपनी जीत के रूप में पेश कर रहा है.

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कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट करके कृष्णा अल्लावरु को निशाने पर लिया. उन्होंने लिखा, 

कृष्णा अल्लावरु को ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस के इंचार्ज पद से हटा दिया गया, यह देखकर अच्छा लगा. यह भ्रष्ट आदमी कांग्रेस के प्रोग्राम और सर्वे से पैसा कमाता है. अगर हाईकमान चाहता है कि कांग्रेस आगे बढ़े, तो अल्लावरू को कभी भी किसी राज्य का इंचार्ज नहीं बनाना चाहिए. बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उसे बिहार के इंचार्ज पद से दिल से हटा दिया है, चुनाव के बाद हाईकमान को उसे तुरंत हटा देना चाहिए. उसने गुजरात, फिर पंजाब और अब बिहार को बर्बाद कर दिया. हालांकि बिहार कांग्रेस की शान जल्द ही वापस आ जाएगी.

बताया जा रहा है कि अखिलेश प्रसाद अपने बेटे आकाश के लिए कुर्था विधानसभा सीट से टिकट चाह रहे थे. लेकिन बात नहीं बन पाई, जिसकी भड़ास उनके बेटे आकाश ने कृष्णा अल्लावरू पर निशाना साध के निकाली. 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कृष्णा अल्लावरु को यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद से हटाने से अगर असंतुष्ट लोग चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करते हैं तो ये पार्टी के लिए फायदे का सौदा रहेगा. इंडिया टुडे से जुड़ीं मौसमी सिंह बताती हैं,

 कृष्णा अल्लावरु लंबे समय से यूथ कांग्रेस के प्रभारी थे. बिहार की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही यूथ कांग्रेस के लिए दूसरे प्रभारी की तलाश चल रही थी. ऐसे में इस बदलाव को कृष्णा के डिमोशन की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. ये तो एक तरह से उनका प्रमोशन है. क्योंकि यूथ प्रभारी का अतिरिक्त प्रभार लिए जाने के बाद अब लगभग ये साफ हो गया है कि कृष्णा बिहार में कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर काम करते रहेंगे.

मौसमी सिंह का मानना है कि अगर कांग्रेस नेतृत्व की मंशा कृष्णा अल्लावरु के ‘पर कतरने’ की होती तो उनको बिहार प्रभारी के पद से हटाया जाता और यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद तक ही उनकी भूमिका सीमित कर दी जाती. लेकिन इसके उलट अब ये साफ हो गया है कि वो बिहार में अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहेंगे.

दी लल्लनटॉप के पॉलिटिकल एडिटर पंकज झा ने बताया कि कृष्णा अल्लावरु राहुल गांधी के ट्रस्टेड कमांडर हैं. उन्होंने वही किया जिसका निर्देश उनको कांग्रेस आलाकमान से मिला था. पंकज का कहना है, "कांग्रेस को बिहार में 'आरजेडी की बी टीम' की तरह देखा जाता था, लेकिन वो (अल्लावरु) काफ़ी हद तक पार्टी को इस टैग से मुक्त कराने में कामयाब रहे."

पंकज ने आगे बताया, 

"उनसे पहले के प्रभारी लालू दरबार की परिक्रमा करते थे, लेकिन अल्लावरु ने अपनी शर्तों पर आरजेडी से डील किया. जरूरत पड़ी तभी लालू यादव या तेजस्वी के दरवाजे गए. राहुल गांधी की नजर में उनकी छवि समझौता नहीं करने वाले ईमानदार नेता की है. इसलिए यूथ कांग्रेस की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने को उनके ख़िलाफ़ एक्शन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए."

बिहार चुनाव के आखिरी दौर में चुनाव प्रचार मैनेजमेंट और समन्वय के लिए कांग्रेस ने पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को पटना भेजा है. इस कदम को भी कुछ लोग कृष्णा का कद कम करने के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन मौसमी सिंह के मुताबिक, चुनाव से जुड़े बड़े फैसले अब भी कृष्णा अल्लावरु ही कर रहे हैं. अविनाश पांडे ग्राउंड पर काम कर रही अलग-अलग टीमों के समन्वय का काम देखेंगे.

टिकट बंटवारे को लेकर बिहार कांग्रेस के बागियों के निशाने पर आए कृष्णा की सीट शेयरिंग को लेकर राजद नेतृत्व से भी ट्यूनिंग खराब हो गई. पार्टी ने 61 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें आठ सीटों पर अलायंस पार्टनर्स के साथ ‘फ्रेंडली फाइट’ है. पांच सीटों पर कांग्रेस-राजद आमने सामने है. डैमेज कंट्रोल के लिए अशोक गहलोत को बुलाया गया था. अब अविनाश पांडे राजद और कांग्रेस के बीच समन्वय का काम देखेंगे. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान भी पांडे ग्राउंड पर कांग्रेस के लिए काम कर चुके हैं.

बिहार चुनाव में अब मुश्किल से दो हफ्ते बचे हैं. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व की पूरी कोशिश पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को मनाने और सहयोगी दलों के साथ तालमेल कर चुनाव में पूरी ताकत झोंकने की है. छठ के बाद राहुल गांधी समेत कांग्रेस के बड़े नेताओं का चुनावी अभियान शुरू होगा. 

कृष्णा अल्लावरु को पता है कि ताली और गाली सबसे ज्यादा कप्तान के हिस्से ही आती है. ऐसे में पार्टी अगर राज्य में अच्छा करती है तो इससे उनका कद बढ़ेगा. इसलिए उन्होंने सार्वजनिक तौर पर बेहद नपे तुले शब्दों में विवादों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. अब तक उनकी कोशिश सबको साथ लेकर चलने की दिख रही है.

वीडियो: जमघट: कृष्णा अल्लावरू ने टिकट बेचने के आरोपों और तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने में हुई देरी पर क्या बताया?

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