बिहार के भागलपुर में छठ पूजा की तैयारियों के बीच चार बच्चों की नदी में डूबकर मौत हो गई. घटना सोमवार, 27 अक्टूबर को इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के नवटोलिया गांव में हुई. बताया गया कि चारों बच्चे छठ घाट की साफ-सफाई और सजावट कर रहे थे. उसी दौरान हादसा हो गया. किसी को बचाया नहीं जा सका. मृतकों में एक ही परिवार के दो जुड़वा बेटे भी शामिल हैं. हादसे ने प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
बिहार में छठ घाट सजाने गए चार बच्चों की नदी में डूबकर मौत, दो जुड़वा भाई थे
बच्चे छठ घाट की मिट्टी समतल करने और सजावट में मदद कर रहे थे. काम पूरा होने के बाद वे नदी में नहाने के लिए गए. तभी एक बच्चा गहरे पानी में चला गया. उसे बचाने के प्रयास में बाकी तीन बच्चे भी गहरे पानी में कूद पड़े, लेकिन कोई बाहर नहीं आ सका.


गांव वालों के अनुसार, बच्चे छठ घाट की मिट्टी समतल करने और सजावट में मदद कर रहे थे. आजतक से जुड़े सुजीत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक काम पूरा होने के बाद वे नदी में नहाने के लिए गए. तभी एक बच्चा गहरे पानी में चला गया. उसे बचाने के प्रयास में बाकी तीन बच्चे भी गहरे पानी में कूद पड़े, लेकिन कोई बाहर नहीं आ सका. आनन-फानन में गांव के लोग मौके पर पहुंचे और बच्चों को नदी से निकालकर अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर राकेश रंजन ने बताया,
“चार बच्चे नहाने गए थे. डूबने के कारण उनकी मौत हो गई है. सभी को अस्पताल लाया गया था, लेकिन उनकी पहले ही मौत हो चुकी थी. मृतकों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.”
घटना में मृत बच्चों में छट्ठू सिंह टोला के रहने वाले रूदल मंडल के जुड़वा बेटे शामिल थे. इनकी पहचान गोरेलाल और कारेलाल के रूप में हुई है. नवटोलिया भिट्ठा के निवासी मिथिलेश मंडल के बेटे प्रियांशु कुमार की भी मौत हो गई. चंदन मंडल के बेटे नंदन कुमार की भी डूब कर मौत हो गई. एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
प्रशासन पर लापरवाही का आरोपघटना के बाद ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि छठ जैसे बड़े पर्व के लिए घाटों पर कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं थे. न तो बैरिकेडिंग की गई थी, न ही गोताखोर या सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे.
गांव के लोगों ने ये भी बताया कि छठ पूजा की तैयारियों को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कोई बैठक तक नहीं हुई. इस लापरवाही ने चार मासूमों की जान ले ली. घटना को लेकर जिला परिषद सदस्य विपिन मंडल ने कहा,
“ये बहुत दुखद घटना है. चार बच्चों की इसमें मौत हो गई. जिसमें एक ही व्यक्ति के दो बच्चे शामिल हैं. एक बच्चा डूब रहा था जिसको बचाने के कारण चारों की मौत हो गई है. इसमें प्रशासन की घोर लापरवाही है. घाट पर बैरिकेडिंग तक नहीं की गई थी और न स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ पर्व को लेकर बैठक की गई थी.”
इस हादसे ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है. ग्रामीणों ने मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. फिलहाल, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
वीडियो: बिहार छठ मनाने लोग घर जा रहे थे, रेलवे कर्मचारी ने क्या अनाउंसमेंट किया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ?





















