उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के नाहल गांव में बीते कुछ दिनों से सन्नाटा पसरा है. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव के लोगों का दावा है कि यहां की आबादी करीब 40,000 है. जाहिर है यहां हमेशा चहल-पहल रहती थी. लेकिन अभी हालात ये हैं कि यहां की गलियों में इक्का-दुक्का लोग ही दिखते हैं. कुछ लोग घरों से बाहर नहीं आ रहे और कई अपने घर-दुकान पर ताला लगाकर रातोरात कहीं चले गए हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: नोएडा पुलिस के कॉन्स्टेबल की हत्या के बाद गाजियाबाद का ये गांव क्यों रातोरात हुआ खाली?
गांव की आबादी करीब 40,000 है. जाहिर है यहां हमेशा चहल-पहल रहती थी. लेकिन अभी हालात ये हैं कि यहां की गलियों में इक्का-दुक्का लोग ही दिखते हैं. कई लोग घरों से बाहर नहीं आ रहे और कई अपने घर-दुकान पर ताला लगाकर रातोरात कहीं चले गए हैं.

दी लल्लनटॉप गुरुवार, 29 मई को नाहल गांव के हालात पता करने पहुंचा. हमने देखा यहां के कई लोग घर छोड़कर भाग गए हैं. एक स्थानीय ने हमें बताया कि लोगों को ऐसी हड़बड़ी थी कि मवेशियों को तपती गर्मी में ऐसे ही छोड़ दिया. उनका चारा-पानी करने वाला अब कोई नहीं है. और जो लोग गांव में मौजूद हैं वे डरे हुए हैं… लेकिन डरे हुए क्यों हैं?
दरअसल बीती 25 मई की रात नोएडा पुलिस की एक टीम नाहल में कादिर नाम के आरोपी के घर दबिश देने गई थी. लेकिन कार्रवाई पुलिस के लिए आसान साबित नहीं हुई. आरोपियों ने पुलिस टीम पर गोलीबारी कर दी जिसमें नोएडा पुलिस के कॉन्स्टेबल सौरभ देशवाल की मौत हो गई.

नाहल गांव गाजियाबाद जिले के थाना मसूरी के तहत आता है. आरोप है कि जब नोएडा पुलिस ने दबिश दी तो वहां कुछ लोगों ने पत्थरबाजी की. इस बीच कॉन्स्टेबल सौरभ को गोली लगी. उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
जवाबी कार्रवाई के लिए गाजियाबाद पुलिस ने कई टीमें बनाईं और आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी. नाहल में गाजियाबाद पुलिस और आरोपियों के बीच मुठभेड़ भी हुई, जिसमें पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां भी कीं.
गांव वालों का कहना है कि नाहल गांव में दबिश दी जा रही हैं. उनका आरोप है कि अपराधियों को गिरफ्तार करने के अलावा पुलिस निर्दोष लोगों को भी पकड़ रही है. उनका दावा है कि पुलिस की दबिश से लोग इतना डर गए कि अपने घरों पर ताला लगाकर कहीं चले गए हैं. बड़ी संख्या में लोग गांव छोड़कर इधर-उधर भाग गए हैं. कई लोगों ने अपने रिश्तेदारों के यहां पनाह ले रखी है.
गांव में आगे चलकर हमने शहजाद से बात की. उन्होंने कहा कि कादिर ने ये काम (पुलिस पर गोलीबारी) किया, लेकिन भुगतना पूरा गांव को पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा,
"कादिर को पकड़कर ले जा रहे थे, अब हाय-तौबा में तो पब्लिक इकट्ठा हो ही जाती है. बेचारे पुलिसवाले को गोली लग गई, हमें उसका बड़ा दुख है. पुलिसवाले की हत्या अच्छी बात नहीं है. आरोपी को पकड़कर ले जाते, एनकाउंटर करते, फांसी पर लटकाते, लेकिन पूरे गांव से लोगों को उठाकर ले जा रहे हैं. क्या ये गलत नहीं हो रहा है? हमारे पड़ोस से दो लड़कों को ले गए, वो तो यहां थे भी नहीं. उनका चालान कर दिया है."
उन्होंने आगे कहा,
"आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाएं, हम खुश हैं. कोई पुलिसवाला शहीद हुआ है, हम नमन करते हैं. पुलिस-फौजी देश की जान होते हैं. फौजी का मरना, पुलिस का मरना, ये बहुत बड़ी बात है. इनकी क्षति पूरी नहीं हो सकती. आरोपी को फांसी दो, लेकिन बेगुनाहों को परेशान मत करो."

नाहल के रहने वाले असलम से जब पूछा गया कि लोग घर छोड़कर क्यों जा रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया,
"जो दागी और फरार हैं, वो तो अपने घर पर मिल नहीं रहे हैं. तो ये दूसरों को ले जाते हैं. इसके डर की वजह से लोग अपने मकान छोड़कर भाग गए. पुलिस बेगुनाहों को भी उठा रही है. उनका इस वारदात से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है. कोई मजदूरी कर रहा था, कोई अपनी दुकान पर बैठा था. दागी मिलते नहीं तो दूसरों को उठा कर ले जाते हैं."
असलम ने आगे बताया कि पुलिस सीसीटीवी वीडियो रिकॉर्डिंग ले गई है, जिसमें वारदात रिकॉर्ड हुई.
एक और नाहलवासी अनवार से पूछा गया कि क्या पुलिस की तरफ से निष्पक्ष कार्रवाई या घरों में वापस लौटने का भरोसा दिया गया है, तो उन्होंने कहा,
"हमें कोई भरोसा नहीं मिला है."
नाहल में छोटी सी दुकान चलाने वाले कासिम ने बताया कि 25 मई की रात को यहां झगड़ा हुआ था. उन्होंने कहा कि नोएडा पुलिस और कादिर का मामला था. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर बताया,
"पुलिस रात को आती है. लोगों को उठाकर ले जाती है. यहां डर का माहौल बना हुआ है. ये इलाका मुस्लिम बहुल है. ज्यादातर लोग जा चुके हैं. अपने जानवर भी छोड़ गए हैं. यहां कोई नहीं है. यहां 90 फीसदी लोग भाग गए हैं."
कासिम ने आगे बताया,
“सरकारी स्कूल बंद हैं, बच्चे घर बैठे हैं. ऑटो वाले भी आने से डर रहे हैं. हमारी मांग है कि जो मुजरिम है पुलिस उन्हें सजा दे, लेकिन बेकसूर लोगों को ना सताए. पुलिस रात को आती है, दबिश देती है, बेकसूरों को भी उठा कर ले जाती है. भुखमरी की हालत हो जाएगी. यहां सब बंद है. हम भी मजदूर आदमी हैं, हम कहां जाएं?”
एक शख्स ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पुलिसवाले तालाबंद दरवाजों पर लात मारते हैं. इस शख्स ने आगे बताया, “हमारे एक पड़ोसी ससुराल गए हैं, उनके घर का ताला सुबह टूटा हुआ मिला. अब मोहल्ले-पड़ोसियों ने दूसरा ताला लगवाया है.”
हमने नाहल गांव के प्रधान तसव्वर से भी बात की. उन्होंने बताया कि गांव के हालात के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है. वहां से हमें आश्वासन मिला है.

हमने मामले में गाजियाबाद पुलिस का पक्ष जानना चाहा. पता चला एसीपी मसूरी लिपि नगायच छुट्टी पर हैं. उनकी जगह एसीपी मोदीनगर ज्ञानप्रकाश राय को यहां का चार्ज मिला है. एसीपी मोदीनगर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी उनके पास पूरे मामले की पर्याप्त जानकारी नहीं है.
हमने प्रयास जारी रखा और मसूरी थाने के एसएचओ अजय चौधरी से बात की. उन्होंने नाहल के कई घरों पर ताले और लोगों के कथित तौर पर घर छोड़कर जाने के सवाल पर कहा,
"अपराधी होंगे, भाग गए होंगे डरकर. गांव से पता चलेगा कौन अपराधी है, क्यों ताला लगा हुआ है. क्योंकि अपराधी होंगे तभी तो भागे होंगे वो."
एसएचओ अजय चौधरी ने माना है कि इसका संबंध नोएडा पुलिस के कॉन्स्टेबल के शहीद होने के मामले से है. आगे बताया,
"15 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, सभी लोग जेल में हैं. कार्रवाई अभी भी जारी है."
एसएचओ अजय चौधरी से जब पूछा गया कि गांव वालों का आरोप है कि पुलिस निर्दोष लोगों को भी पकड़ रही, तो उन्होंने कहा,
"जो दोषी हैं, वो ही जेल जाएंगे, निर्दोष कोई नहीं जाएगा. हमने कहा है जो निर्दोष हैं अपने घरों पर रहें, रोटी बनाएं खाना खाएं."
इंडिया टुडे से जुड़े मयंक की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ने मृतक कॉन्स्टेबल सौरभ के परिवार को सहायता देने की घोषणा की है. पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह खुद कॉन्स्टेबल के परिवार को अपने वेतन से 1 लाख रुपये का योगदान देंगी. इसके अलावा जिले में तैनात सभी पुलिसकर्मी शोक में डूबे परिवार की मदद के लिए एक दिन का वेतन देंगे.
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