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म्यूजियम से राष्ट्रपति मैक्रों का पुतला उठाया, रूसी दूतावास के सामने धरा, बोले- 'चोरी नहीं उधार है'

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मोम के स्टैचू की कीमत 40 हजार यूरो (लगभग 369 लाख रुपये) बताई जा रही है. पुलिस ने बताया कि सोमवार 2 जून को ग्रीनपीस संगठन से जुड़ी दो महिलाएं और एक पुरुष पेरिस म्यूजियम में दाखिल हुए थे. इसके बाद वे स्टेचु समेत 16th ऐरोनडिस्मेंट में स्थित रुसी दूतावास के बाहर पहुंच गए.

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इमैनुएल मैक्रों का पुतला उठा ले जाते हुए ग्रीन पीस के कार्यकर्ता. (तस्वीर : इंडिया टुडे)

फ्रांस में पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस के कार्यकर्ताओं ने अनोखा प्रदर्शन दिखाया. वे एक म्यूजियम से राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मोम के स्टैचू को कंबल में लपेट कर उठा ले गए, फिर उसे रूसी दूतावास के बाहर ले जाकर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस ने बताया कि ग्रीनपीस के कार्यकर्ता टूरिस्ट बनकर ग्रेविन म्यूजियम में दाखिल हुए थे. उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड के कपड़े पहने थे. इस तरह वे स्टैचू तक पहुंच गए. फिर उसे उठाकर इमरजेंसी एग्जिट से बाहर ले गए.

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फ्रांस 24 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टैचू की कीमत 40 हजार यूरो (लगभग 39 लाख रुपये) बताई जा रही है. पुलिस ने बताया कि सोमवार 2 जून को ग्रीनपीस संगठन से जुड़ी दो महिलाएं और एक पुरुष पेरिस म्यूजियम में दाखिल हुए थे. इसके बाद वे स्टैचू लेकर 16th ऐरोनडिस्मेंट इलाके में स्थित रूसी दूतावास के बाहर पहुंच गए.

डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक, ग्रीनपीस के एक सदस्य ने स्टैचू उठा ले जाने को ‘चोरी’ नहीं बल्कि ‘उधार’ (borrowed) बताया. इस दौरान ग्रीनपीस के कार्यकर्ताओं ने मैक्रों की मोम प्रतिमा के साथ रूसी झंडा, प्रतीकात्मक चेतावनी बोर्ड और पोस्टर लगाकर राष्ट्रपति मैक्रों की रूसी नीतियों की निंदा की.

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Macrons Wax Statue
 राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का स्टैचू ले जाते हुए ग्रीनपीस के कार्यकर्ता

ग्रीनपीस फ्रांस के प्रमुख जीन-फ्रांस्वा जुलियार्ड ने इसे फ्रेंच राष्ट्रपति की दोहरी नीति करार देते हुए कहा,

“हमारे लिए, फ्रांस दोहरा खेल खेल रहा है… राष्ट्रपति मैक्रों इसका प्रतीक हैं. एक ओर वे यूक्रेन का समर्थन करते हैं, लेकिन दूसरी ओर फ्रांसीसी कंपनियों को रूस के साथ व्यापार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.”

जुलियार्ड ने इमैनुएल पर ‘विशेष जिम्मेदारियां’ बताते हुए अन्य यूरोपीय नेताओं को रूस से व्यापारिक अनुबंध खत्म करने की पहल करने को कहा.

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फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से फ्रांस, यूरोपियन यूनियन के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर यूक्रेन का मुखर समर्थन करता रहा है. हालांकि ग्रीनपीस का दावा है कि फ्रांस अभी भी रूस से गैस, यूरेनियम और केमिकल उर्वरक का आयात करता है जो रूसी अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं.

फोरम एनर्जी के मुताबिक, साल 2021 से 2022 के बीच फ्रांस ने रूस से परमाणु उत्पादों का आयात तीन गुना बढ़ा दिया. वहीं यूरोप गैस हब की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस ने लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) का आयात 80% बढ़ा दिया.

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