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कर्ज, घूस फिर मनी लॉन्ड्रिंग? अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED का छापा, 50 कंपनियों में जांच जारी

ED की शुरुआती जांच के मुताबिक, साल 2017 से 2019 के बीच Yes Bank ने Anil Ambani के Reliance Group को लगभग 3 हजार करोड़ का लोन दिया था. इस पैसे को फर्जी कंपनियों और ग्रुप की दूसरी संस्थाओं में डायवर्ट कर दिया गया. क्या है ये पूरा मामला?

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अनिल अंबानी के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)

ED ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़े अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की है. ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में ये छापेमारी की है. ED ने मुंबई और दिल्ली में 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है. इस दौरान 50 कंपनियों की जांच की गई है. छापेमारी के दौरान 25 लोगों से पूछताछ किए जाने की भी बात सामने आई है.

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इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, CBI द्वारा दर्ज की गईं दो FIR, SEBI, राष्ट्रीय आवास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) सहित कई जांच एजेंसियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ये छापे पड़े हैं.

ED की शुरुआती जांच के मुताबिक, साल 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को लगभग 3 हजार करोड़ का लोन दिया था. इस पैसे को फर्जी कंपनियों और ग्रुप की दूसरी संस्थाओं में डायवर्ट कर दिया गया. इस अवैध लेन देन के लिए यस बैंक के प्रमोटर समेत कई लोगों पर रिश्वत लेने के सबूत भी मिले हैं.

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ED ने रिलायंस ग्रुप को लोन देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. यस बैंक ने लोन देने से पहले बैक डेट के क्रेडिट डॉक्यूमेंट्स को जांचे बिना कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को लोन दे दिया. ED ने ऐसे मामलों का भी पता लगाया है, जहां लोन सैंक्शन होने के दिन या फिर उससे पहले भी लोन बांट दिया गया.

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ED ने बताया कि रिलायंस ग्रुप की 50 से ज्यादा कंपनियां और 25 से ज्यादा व्यक्ति जांच के दायरे में हैं. SEBI ने ED को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से जुड़ी जानकारी शेयर की है. इसके मुताबिक RHFL की कॉर्पोरेट लोन बुक एक साल के भीतर दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई है, जोकि गंभीर गड़बडी और लोन देने की प्रक्रिया के उल्लंघन की ओर इशारा है. ED ने मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) की धारा 17 के तहत ये कार्रवाई की है. 

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ED की कार्रवाई को लेकर मचे हंगामे के बीच रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का जवाब भी आया है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन कंपनियों ने कहा है कि ताजा कार्रवाइयों से इनके संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरहोल्डर्स, कर्मचारियों और अन्य किसी भी स्टेकहोल्डर पर कोई असर नहीं पड़ा है.

ग्रुप कंपनियों ने साफ किया है कि रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, समूह की अलग और आत्मनिर्भर लिस्टेड कंपनी हैं जिनका रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) या रिलांयस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से कोई व्यापारिक और वित्तीय संबंध नहीं है.

बयान में आगे कहा गया है कि अनिल अंबानी रिलायंस पावर एंड रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में नहीं हैं. RCOM और RHFL के खिलाफ लिए गए एक्शन का उन पर कोई प्रभाव नहीं है.

वीडियो: खर्चा-पानी: क्या अनिल अंबानी इस डील से 'कमबैक' करने वाले हैं?

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