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दिल्ली के स्कूलों पर लगाम लगाने को कानून ला रही रेखा गुप्ता सरकार, फीस से जुड़े नियम भी बताए

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए 'दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता एवं शुल्क निर्धारण और विनियमन विधेयक, 2025' लेकर आ रही है.

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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता. (Aaj Tak)

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए विधानसभा में बिल लेकर आने वाली है. दिल्ली सरकार ने आज इस बात की जानकारी दी कि स्कूलों में मनमाफिक फीस बढ़ोत्तरी पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाया जाएगा. दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूलों में फीस तय करने के लिए बिल लाया जा रहा है, जिसमें फीस तय करने के लिए तीन स्तर पर कमेटी गठित की जाएगी. कमेटी के फैसले पर ही स्कूल फीस में बढ़ोत्तरी कर पाएंगे.

आजतक के वरिष्ठ पत्रकार कुणाल कुमार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बिल का नाम दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता एवं शुल्क निर्धारण और विनियमन विधेयक, 2025 होगा. दिल्ली कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दे दी है. बिल पास होने के बाद यह कानून दिल्ली के सभी 1677 स्कूलों पर लागू होगा. इनमें अनएडेड (स्ववित्तपोषित) और सरकारी सहायता प्राप्त (गवर्नमेंट एडेड) स्कूल भी शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक नए कानून के तहत तीन स्तरों की समीक्षा समिति का गठन किया जाएगा. पहली स्कूल स्तर पर, दूसरी जिला स्तर पर और तीसरी पूरे दिल्ली के स्तर पर. 

- स्कूल स्तर समिति: स्कूल प्रशासन, माता-पिता (लॉटरी द्वारा चयन), शिक्षा निदेशालय के नामित प्रतिनिधि.
- ज़िला स्तर समिति: डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन, चार्टर्ड अकाउंटेंट, शिक्षक और माता-पिता.
- राज्य स्तर समिति: इस कमेटी में 7 सदस्य होंगे. अध्यक्ष की नियुक्ति की घोषणा की जाएगी.

इन समितियों से होते हुए ही स्कूल फीस तय कर पाएंगे. पहले चरण में अगर 15% या उससे अधिक अभिभावक स्कूल स्तर समिति की सिफारिशों से असहमत होते हैं, तो मामला ज़िला स्तर समिति को भेजा जाएगा. और उसके बाद राज्य स्तर पर. सरकार का कहना है कि समितियों की समीक्षा के बाद इस साल नवंबर तक अगले साल के सत्र की फीस तय कर दी जाएगी. अगर कोई अभिभावक उस फीस से असहमत हैं, तो उन्हें आपत्ति जताने का समय मिलेगा.

बिल में यह भी प्रावधान है कि जो स्कूल समिति नहीं बनाएंगे, उन पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. साथ ही ज़रूरत पड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द भी की जा सकती है.

अगर स्कूल ज़बरदस्ती के तरीके अपनाते हैं, जैसे बच्चों को सज़ा के तौर पर लाइब्रेरी में भेजना, तो ऐसे मामलों में हर छात्र के हिसाब से स्कूल पर ₹50,000 प्रतिदिन जुर्माना लगेगा. अगर शिकायत फिर भी बनी रही, तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी.

इसके अलावा अगर कोई स्कूल इस कानून का उल्लंघन कर फीस बढ़ाता है तो, उन्हें अगले 3 वर्षों तक फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी. साथ ही शिक्षा निदेशालय को धारा 14 के तहत किसी भी स्कूल के खातों और दस्तावेजों को जब्त करने का अधिकार होगा. सरकार का कहना है कि यह कानून अगले साल 1 अप्रैल से लागू होगा.

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