दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का सिपाही रिश्वत ले रहा था. विजिलेंस विभाग (Vigilance Department) ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया. सिपाही ने जैसे ही खुद को चारों तरफ से विजिलेंस विभाग के अधिकारियों से घिरा पाया वैसे ही उसे बेचैनी का दौरा पड़ गया. घबराहट के मारे उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. आरोपी हेड कॉन्स्टेबल (Delhi Police Constable) ने मोबाइल टावर को लेकर 75 हज़ार रुपये की घूस की डिमांड की थी.
दिल्ली पुलिस के सिपाही ने मांगे थे 75 हज़ार, विजिलेंस आई तो बेचैनी में ICU पहुंच गए
विजिलेंस टीम को बुराड़ी के एक व्यवसायी से शिकायत मिली थी. उसका आरोप था कि हेड कॉन्स्टेबल ने उसकी छत से प्राइवेट मोबाइल टावर न हटाने और शिकायत दबाने के लिए कथित तौर पर 75,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना शुक्रवार 27 जून रात को दिल्ली के बुराड़ी थाने में हुई. विजिलेंस टीम को बुराड़ी के एक व्यवसायी से शिकायत मिली थी. उसका आरोप था कि हेड कॉन्स्टेबल ने उसकी छत से प्राइवेट मोबाइल टावर न हटाने और शिकायत दबाने के लिए कथित तौर पर 75,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी.
पुलिस ने बताया कि इसके बाद हेड कॉन्स्टेबल ने व्यवसायी से कॉन्टैक्ट किया. आरोप है कि पैसे न देने की एवज में कार्रवाई करने की धमकी दी गई. टावर न हटाने और शिकायत दबाने के लिए 75,000 रुपये की मांग की. इसके बाद व्यवसायी ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद विजिलेंस विभाग ने उसे पकड़ने की तैयारी शुरू की. व्यवसायी से उसे 25-25 हज़ार रुपये की तीन किस्तों में रिश्वत देने के लिए कहा ताकि रंगे हाथों दबोचा जा सके.
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 27 जून की रात को शिकायतकर्ता पैसे लेकर बुराड़ी पुलिस स्टेशन गया. यहीं विजिलेंस डिपार्टमेंट की टीम ने हेड कॉन्स्टेबल को रंगे हाथों पकड़ लिया. लेकिन तभी हेड कॉन्स्टेबल को घबराहट महसूस होने लगी. उसकी बेचैनी इतनी बढ़ गई कि उसे बुराड़ी अस्पताल ले जाया गया. यहां उसे ICU में रखा गया है.
DCP (विजिलेंस) अन्येश रॉय ने पूरे प्रकरण की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि फिलहाल हेड कॉन्स्टेबल खतरे से बाहर है. अस्पताल से छुट्टी मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. आगे की जांच जारी रहेगी.
अगले दिन शनिवार 28 जून को आला अधिकारियों ने रिश्वत केस में उसकी भूमिका का पता लगाने के लिए बुराड़ी थाने के SHO के खिलाफ जांच के आदेश भी दिए हैं. SHO की ज़िम्मेदारी थाने के दूसरे इंस्पेक्टर को दी गई है.
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