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अखलाक हत्याकांड के आरोपियों के केस वापस होंगे, योगी सरकार का फैसला

Mohd Akhlaq Mob Lynching के मामले में कुल 15 आरोपी हैं और सभी जमानत पर बाहर हैं. अखलाक की गोहत्या के शक में कथित तौर पर पीटकर हत्या कर दी गई थी.

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अखलाक की 2015 में दादरी में कथित तौर पर गोहत्या के शक में हत्या कर दी गई थी. (फोटो: आजतक)

गोहत्या के शक में मोहम्मद अखलाक की कथित मॉब लिंचिंग के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपियों के खिलाफ चल रहे केस वापस लेने का फैसला किया है. 2015 में गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी के बिसाहड़ा गांव में भीड़ ने कथित तौर पर अखलाक की हत्या कर दी थी. लगभग 10 साल बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का कदम उठाया है.

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अखलाक की हत्या 28 सितंबर 2015 को उस समय हुई थी, जब गांव के मंदिर से यह अफवाह फैली कि उन्होंने किसी गाय की हत्या की है. इस खबर के बाद गांव में एक भीड़ इकट्ठी हुई और उन्होंने अखलाक और उनके बेटे दानिश को घर से खींचकर कथित तौर पर तब तक पीटा जब तक वे बेहोश नहीं हो गए. बाद में नोएडा के एक अस्पताल में अखलाक की मौत हो गई, जबकि दानिश गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के बाद बच पाए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गौतमबुद्धनगर के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (ADGC) भाग सिंह भाटी ने बताया,

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"हमने अखलाक अहमद के मामले में 15 अक्टूबर को सरकार की तरफ से केस वापस लेने की अर्जी सक्षम कोर्ट में दाखिल की थी. कोर्ट ने अभी तक आवेदन पर कोई आदेश नहीं दिया है और मामले की सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की है."

भाटी ने आगे कहा,

"यह कोर्ट को तय करना है कि मामला वापस लिया जाएगा या नहीं. तब तक मुकदमा जारी रहेगा. अभी तक अभियोजन पक्ष की पहली गवाह- शिकायतकर्ता और मृतक की बेटी शाइस्ता- की गवाही चल रही है. उनका क्रॉस-एग्जामिनेशन होना बाकी है."

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भाटी ने यह भी बताया कि इस मामले में कुल 15 आरोपी हैं और सभी जमानत पर बाहर हैं.

Akhlaq Lynching
यूपी सरकार का पत्र. (ITG)

इस फैसले की पुष्टि करते हुए जिला सरकारी वकील (DGC) ब्रह्मजीत सिंह ने बताया कि सरकार से मिले पत्र के आधार पर उन्होंने इस अर्जी को ADGC को कोर्ट में दाखिल करने के लिए भेज दिया. बचाव पक्ष के वकील बीआर शर्मा ने भी पुष्टि की कि सरकारी वकील ने कोर्ट में केस वापस लेने का अर्जी दाखिल की है.

पुलिस ने जारचा थाने में इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं- 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (गैरकानूनी रूप से जमा होना), 323 (हमला), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान) और अन्य के तहत FIR दर्ज की थी.

2015 में गौतमबुद्धनगर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था, जिसमें 15 आरोपियों के नाम थे, जिनमें स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता के बेटे विशाल राणा और उसके कजिन शिवम को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया था, जिन्होंने भीड़ को अखलाक के घर तक पहुंचाया और परिवार पर हमला किया.

अखलाक के घर से बरामद मांस को भी जांच के लिए मथुरा की एक फोरेंसिक लेबोरेटरी भेजा गया था. इसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि वो मांस 'गाय या उसके वंश' का था. हालांकि, अखलाक के परिवार ने आरोप लगाया था कि नमूने बदल दिए गए थे. 2016 में सूरजपुर की एक कोर्ट ने कथित गोहत्या के लिए अखलाक के परिवार के खिलाफ एक अलग FIR दर्ज करने का आदेश दिया था.

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