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पहली बार सीजफायर चाहते हैं नक्सली, सामने आई चिट्ठी, सरकार से मांगा 1 महीने का समय

CPI (माओवादी) ने सरकार से एक महीने का समय मांगा है ताकि वो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श कर सके, जिससे शांति की पहल पर आंतरिक सहमति बनाई जा सके. सरकार इस बयान की पुष्टि कर रही है.

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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में नक्सल-विरोधी अभियान चल रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर: एजेंसी)

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने कथित रूप से अपने शीर्ष नेता 'अभय' के नाम से एक बयान जारी किया है. इस कथित प्रेस नोट में ‘अभय’ के हथियार डालने और अस्थायी शांति की पेशकश की गई है. 'अभय' उपनाम वरिष्ठतम पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी मेंबर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.

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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में लगातार नक्सल-विरोधी अभियान चल रहे हैं. इन्हीं अभियानों में इस साल महासचिव बसवराजू और सात सेंट्रल कमेटी मेंबर सहित इसके शीर्ष नेता मारे गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, CPI (माओवादी) ने सरकार से एक महीने का समय मांगा है ताकि वो जेल में बंद अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित देश भर के अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श कर सके, ताकि शांति की पहल पर आंतरिक सहमति बनाई जा सके.

TOI ने छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से बताया है कि अभी इस प्रेस नोट की पुष्टि की जा रही है. ये पता लगाया जा रहा है कि ये असली है या नहीं. ये CPI (माओवादी) की ओर से जारी पहले के बयानों से अलग है. क्योंकि इसमें ‘अभय’ की तस्वीर लगी है. राज्य की पुलिस ने कहा है कि उन्होंने इस प्रेस नोट को संज्ञान में लिया है. उन्होंने बताया,

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इसके कॉन्टेंट की सावधानी से जांच की जा रही है. CPI (माओवादी) से बातचीत पर कोई भी फैसला पूरी तरह से सरकार के हाथ में है. सरकार परिस्थितियों पर उचित विचार और आकलन के बाद ही निर्णय लेगी.

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में नक्सल विरोधी अभियानों के कारण उनके पास आत्मसमर्पण के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

CPI (माओवादी) के बयान में, मार्च 2025 के आखिरी हफ्ते से शांति वार्ता के अपने आह्वान की चर्चा की गई है. कहा गया है कि उन्होंने 10 मई 2025 को ही हथियार डालने और शांति का प्रस्ताव रखा था. उन्होंने तब भी अपने शीर्ष नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श के लिए एक महीने का समय मांगा था. हालांकि, केंद्र सरकार ने जवाब देने के बजाय, अपने जवाबी अभियान तेज कर दिए, जिसके तहत CPI (माओवादी) के महासचिव बसवराजू और 28 अन्य मारे गए.

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CPI (माओवादी) प्रवक्ता ने इस मामले को लेकर कहा है,

बदली हुई वैश्विक और राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री तथा शीर्ष पुलिस अधिकारियों द्वारा हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने की लगातार अपीलों को देखते हुए, हमने सशस्त्र संघर्ष छोड़कर अस्थायी संघर्ष विराम करने का फैसला किया है. हम भविष्य में भी राजनीतिक दलों और कार्यकर्ता संगठनों के साथ मिलकर जनता के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे.

संगठन ने सरकार के साथ वीडियो कॉल पर बातचीत करने की पेशकश की है. उन्होंने एक महीने के लिए औपचारिक संघर्ष विराम की घोषणा और जंगलों में उनके खिलाफ तलाशी और घेराबंदी अभियान रोकने की मांग की है. उन्होंने एक ईमेल के जरिए वामपंथी संगठनों, कार्यकर्ताओं और अपने शुभचिंतकों से भी राय मांगी है. 15 अगस्त को जारी इस बयान में कहा गया कि कुछ कारणों से इसे देरी से जारी किया गया है.

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