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कोर्ट ने रेप के आरोपी को बरी कर दिया, क्योंकि पीड़िता शादी की फोटो में 'खुश' थी!

Chandigarh Man acquitted in rape case: शादी के रिसेप्शन में आरोपी के साथ लड़की के खुश दिखने के बाद एक जिला कोर्ट ने शख्स को आरोपों से बरी कर दिया. कोर्ट का कहना है कि ऐसा लगता नहीं कि लड़की के साथ संबंध उसकी इच्छा के खिलाफ बनाए गए थे.

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कोर्ट ने शादी की फोटो में पीड़िता को खुश देख रेप आरोपी को बरी कर दिया (फोटो-ANI)

चंडीगढ़ की एक जिला अदालत ने रेप और अपहरण के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पीड़िता उसके साथ शादी की फोटो में ‘काफी खुश’ दिख रही थी. कोर्ट ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि आरोपी ने लड़की की मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाए हैं. अपर जिला और सेशन जज डॉ. याशिका इस मामले को सुन रही थीं. अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई संबंध बने भी थे तो ऐसा लगता है कि वे लड़की की सहमति से बने थे. फैसले में यह भी कहा गया कि चूंकि यह साबित नहीं हो सका कि लड़की नाबालिग थी, इसलिए वह अपनी मर्जी से किसी के साथ भी आपसी सहमति से संबंध बनाने को आजाद है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लड़की के पिता ने 14 मई 2023 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें उन्होंने कहा था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर उनकी बेटी को अपने साथ ले गया था. शिकायत के बाद पुलिस ने FIR दर्ज कर ली और पीड़िता की उम्र का पता लगाने के लिए Ossification Test कराया. यह ऐसा टेस्ट है, जिसमें हड्डियों के विकास के आधार पर उम्र पता लगाया जाता है. टेस्ट में पीड़िता की ‘बोन एज’ 15-16 साल और डेंटल एज 14-16 साल पाई गई.

इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा  363 (अपहरण) और 376 (2) (n) (रेप) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 और 6 में चार्जशीट फाइल की. ट्रायल के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि उसके क्लाइंट को गलत फंसाया गया है.

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उम्र साबित नहीं कर पाया परिवार

मामले पर कोर्ट ने कहा कि टेस्ट के नतीजों में लड़की की उम्र 15 से साढ़े 16 साल है. लेकिन 2 साल का ‘मार्जिन ऑफ एरर’ का प्रिंसिपल लागू करें तो पीड़िता की एग्जामिनेशन के समय उम्र 18 साल से ज्यादा मानी जा सकती है. यानी अपराध की तारीख 12 मई 2023 को मानें तो पीड़िता की उम्र 18 साल से ज्यादा थी.

लड़की की उम्र साबित करने के लिए स्कूल रिकॉर्ड और नगर निगम रिकॉर्ड जैसा कोई दस्तावेज नहीं था. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि ये नहीं माना जा सकता कि वारदात के वक्त लड़की नाबालिग थी. अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि पीड़िता आरोपी के साथ शादी के वक्त नाबालिग थी.

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कोर्ट ने आगे कहा कि जिरह से पता चलता है कि पीड़िता का घर आरोपी के घर से 5-6 घर छोड़कर था. ऐसे में वह शादी के बाद अपने घर जा सकती थी. शादी और रिसेप्शन की फोटो में वह आरोपी के साथ काफी खुश दिख रही है. आखिर में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसा नहीं लगता कि आरोपी ने लड़की के साथ उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाए थे. 

कोर्ट ने पीड़िता के पिता के बयानों में विरोधाभास का जिक्र किया और कहा कि इससे अभियोजन पक्ष की कहानी पर शक पैदा होता है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता खुद अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी और उसे किसी गलत मकसद से अगवा नहीं किया गया था.  

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