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बाजार विनियमन उल्लंघन मामले में अडानी ब्रदर्स को क्लीन चिट, 388 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप था

2012 में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर की थी.

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2012 में ही SFIO ने गौतम और राजेश अडानी समेत 12 लोगों को अपनी चार्जशीट में नामजद किया था. (फोटो- X)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने करीब 388 करोड़ रुपये के कथित बाजार विनियमन उल्लंघन मामले में अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अडानी को बरी कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद 13 साल पहले शुरू हुई एक लंबी कानूनी लड़ाई अब खत्म हो गई है.

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अडानी ग्रुप से जुड़ा ये मामला साल 2012 का है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर की थी. ये मामला बाजार नियमों के कथित उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा था.

2012 में ही SFIO ने गौतम और राजेश अडानी समेत 12 लोगों को अपनी चार्जशीट में नामजद किया था. इसके बाद मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले की जांच की और मई 2014 में अडानी को आरोपमुक्त कर दिया. कोर्ट ने ये फैसला दिया था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. हालांकि, इसके बाद SFIO ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि अडानी समूह ने वित्तीय लेनदेन के माध्यम से अवैध रूप से कमाई की है.

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रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2019 में एक सत्र न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के फैसले को पलट दिया और अडानी के खिलाफ चल रहा मामला फिर से बहाल हो गया. अदालत ने तर्क दिया कि अडानी समूह ने बाजार नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए आधार मौजूद हैं.

सत्र न्यायालय के आदेश के बाद गौतम और राजेश अडानी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया और सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करने की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि SFIO के दावे मनमाने और अवैध थे और इस मामले में कोई आधार नहीं था.

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17 मार्च को जस्टिस आरएन लड्ढा की बेंच ने मामले की समीक्षा की और सत्र न्यायालय के 2019 के आदेश को रद्द करते हुए अडानी के पक्ष में फैसला सुनाया. जिसके बाद उन्हें कथित बाजार विनियमन उल्लंघन से संबंधित सभी आरोपों से प्रभावी रूप से मुक्त कर दिया गया. कोर्ट का ये फैसला अडानी ग्रुप के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि हाल के सालों में समूह को कई वित्तीय मामलों में जांच का सामना करना पड़ा है.

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