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अशोक गहलोत सरकार ने बनाए थे नए जिले, BJP सरकार ने काट दिए 9 के नाम, वजह भी बताई

Rajasthan की Bhajanlal सरकार ने प्रदेश के 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया है. इससे पहले राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग थे. ये क्यों किया गया? इसकी वजह भी बताई गई है.

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राजस्थान के 9 जिले और 3 संभाग रद्द (तस्वीर: PTI)

राजस्थान में BJP सरकार ने पिछली अशोक गहलोत सरकार के दौरान बनाए गए 9 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया है. इस फैसले के बाद अब राज्य में 7 संभाग और 41 जिले रह जाएंगे. सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है.  

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इंडिया टुडे से जुड़े शरत कुमार और देव अंकुर की रिपोर्ट के मुताबिक अशोक गहलोत की पिछली सरकार ने राजस्थान में 17 जिले और 3 नए संभाग बनाए थे. तब के राजस्थान में 33 जिले और 7 संभाग थे. सरकार के इस कदम ने कई लोगों के घर के एड्रेस को बदल दिया था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक तब की विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस फैसले को "चुनावी नौटंकी" करार दिया था. पार्टी का आरोप था कि ये चुनाव जीतने के लिए उठाया गया कदम है.

अब बीजेपी की भजनलाल सरकार ने इसी फैसले को पलट दिया है. सरकार ने नए बनाए 17 में से 9 जिलों को रद्द कर दिया है. इसके अलावा 3 संभागों को भी रद्द कर दिया गया है. फैसले के बाद अब 8 नए जिले बचे हैं. और पूरे राजस्थान में अब 41 जिले और 7 संभाग रह जाएंगे.

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जिन 9 जिलों का नाम रद्द किया गया, उनके नाम हैं-  दूदू , केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना , गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर.

इसी तरीके से 8 नए जिले जिन्हें बरकरार रखा गया है उनके नाम हैं - बालोतरा, ब्यावर, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी, सलूम्बर है. वहीं तीन संभाग जिन्हें खत्म किया गया. वे हैं - सीकर, पाली और बांसवाड़ा.

क्या रही फैसले की वजह?

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक भजनलाल सरकार ने इस फैसले से पहले रिटायर्ड IAS अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी. मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने बिना पूरी जांच-पड़ताल के नए जिले बना दिए थे, जिससे राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आ रहा था. कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि इन जिलों की जरूरत नहीं है, जिसके आधार पर ये फैसला लिया गया. 

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वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गाेविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार ने बिना सोचे-समझे ये फैसला किया है. इस फैसले के खिलाफ 1 जनवरी से पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आएगी तो इन जिलों को फिर बहाल किया जाएगा.

और क्या-क्या बदला?

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान कैबिनेट ने कई और फैसले भी लिए हैं. मसलन, अब SET परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवार को तीन साल तक दोबारा परीक्षा देने की जरूरत नहीं होगी. वहीं, खाद्य सुरक्षा के लिए KYC की डेडलाइन 31 दिसंबर थी, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है.

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