अगस्त में दम तोड़ चुकी दिव्यांशी की तस्वीर.
“मैंने उसे आखिरी बार देखा था, जब मेरी उंगली उसके होंठों पर थी. नर्स ने कहा कि वह बहुत कमजोर है. वे बार-बार मशीनें बदलते रहे, नलियां लगाते रहे... लेकिन मेरा बेटा हाथों से फिसलता चला गया."
आस्मा जब NDTV से बात कर रही थीं, उनकी आवाज़ रुंधी हुई थी. उन्होंने सिर्फ 4 महीने पहले हुसैन को जन्म दिया था. लेकिन उनका बच्चा कुपोषण के काल में समा गया. मध्यप्रदेश के सतना के जिला अस्पताल में भर्ती हुसैन ने दम तोड़ दिया.
पर सिर्फ ये कहानी सिर्फ आस्मा और उनके बच्चे की नहीं है. कुपोषण झेल रही 15 महीने की दिव्यांशी, डेढ़ साल की राधिका, ढाई साल के आदेश जैसे मासूमों को भी मध्यप्रदेश में बचाया नहीं जा सका.
अगस्त 2025 में दिव्यांशी की मौत शिवपुरी में हुई. उसके परिवार को बार-बार उसे न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (NRC) में भर्ती कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन मां का आरोप है कि उसके ससुराल वालों ने लड़की होने की वजह से इलाज नहीं कराया.
इससे पहले श्योपुर की 1.5 साल की आदिवासी बच्ची राधिका की मौत कुपोषण से हुई. उसका वज़न मुश्किल से 2.5 किलो था, जो उसकी उम्र के बच्चों के वज़न का एक चौथाई था. उसकी मां ने कहा कि लड़की जन्म के समय स्वस्थ थी, लेकिन कुछ ही महीनों में उसके हाथ और पैर पतले होकर लकड़ियों जैसे हो गए.
इसी साल जुलाई में भिंड में ढाई साल के आदेश को जब उसकी मां अस्पताल लेकर पहुंची तो उसकी मौत हो चुकी थी. अस्पताल ने कहा कि उसकी मौत इसलिए हुई क्योंकि वह बीमार था. लेकिन जब मां ने बताया कि उसके दो बच्चे और हैं और वह भी कुपोषण से पीड़ित हैं तो प्रशासन सकते में आ गया.
मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में शुमार है जहां बच्चों की बड़ी संख्या कुपोषण से ग्रसित है. ऐसा हम नहीं राज्य की सरकार खुद कहती है. फरवरी 2024 में कांग्रेस के विधायक आतिफ आरिफ अकील ने विधानसभा में राज्य में कुपोषण से ग्रसित बच्चों की संख्या पूछी थी. सरकार ने सदन के पटल पर जो जवाब रखा, वह बताता है कि स्थिति गंभीर है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि राज्य के कुल 1 लाख 36 हजार बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण से पीड़ित हैं. इनमें 29 हजार से ज्यादा बच्चे अति कुपोषण (Severe Acute Malnourished) से ग्रसित हैं.
ये आंकड़े डेढ़ साल पहले के हैं. 2025-26 के बजट में राज्य सरकार ने 4,895 करोड़ रुपये पोषण के लिए अलॉट किए. लेकिन बीते कुछ महीनों में जिस तरह से मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में बच्चों की मौतों के मामले सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए इस मसले पर सरकार की तत्पर्ता पर सवाल उठना लाज़मी हैं.
कुछ और आंकड़ों पर नज़र डालते हैं. पिछले साल नवंबर में राज्यसभा में सांसद भीम सिंह ने कुपोषण को लेकर देशभर के आंकड़े मांगे. जवाब में सरकार ने जो डेटा दिया, उसमें भी मध्यप्रदेश का नाम अव्वल दिखाई देता है. सरकार के जवाब के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के 26 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे अंडरवेट हैं. यानी उनका वज़न कम है. मध्यप्रदेश में कुपोषण ग्रसित बच्चों की दर, अन्य सभी राज्यों से ज्यादा है. इनमें से 7 प्रतिशत बच्चों की स्थिति बेहद गंभीर है. साथ ही 46 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई तय मानक से कम है.
वीडियो: सेहत: भारत में कुपोषण के बारे में ये बातें डरा देने वाली हैं