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अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन थे

पद्मश्री Economist डॉ बिबेक देबरॉय ने साल 2019 तक NITI आयोग में अपनी सेवाएं दीं. अर्थशास्त्र में इनके योगदान के लिए PM Modi ने भी इनकी सराहना की है.

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साल 1979 से 1984 के बीच अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत की. (तस्वीर- सोशल मी़डिया))

अर्थशास्त्री डॉ बिबेक देबरॉय (Economist Bibek Debroy ) का 69 साल की उम्र में निधन हो गया है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन थे. इन्हें भारतीय अर्थशास्त्र और देश की आर्थिक नीति को रूप देने के इनके योगदान के लिए भी जाना जाता है. इन्होंने प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद भी किया था. 

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अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय ने शुक्रवार, 1 नवंबर को सुबह सात बजे के आस-पास अंतिम सांस ली. एम्स की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि इन्हें आंतों में इंफेक्शन था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर एक पोस्ट के जरिए अपनी बात रखी. लिखा, 

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अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति और आध्यात्मिकता जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में डॉ बिबेक देबरॉय जी एक बेहतरीन स्कॉलर रहे. अपने काम के जरिए उन्होंने भारत के बौद्धिक क्षेत्र में छाप छोड़ी है. पब्लिक पॉलिसी में अपने योगदान के इतर, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रथों पर काम करने और युवाओं के लिए इन्हें उपलब्ध कराने में भी आनंद मिलता था.

प्रधानमंत्री मोदी आगे लिखते हैं कि वो डॉ देबरॉय को लंबे समय से जानते हैं. साथ ही उनके निधन पर शोक व्यक्त किया.

पद्मश्री भी मिला था 

डॉ देबरॉय पद्मश्री से भी सम्मानित किए गए थे. साथ ही वो पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकॉनमिक्स के सदस्य भी रहे. वो पांच जून 2019 तक नीति आयोग के सदस्य भी रहे. प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे महाभारत और भगवत गीता का अनुवाद भी उन्होंने किया था. 

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कलकत्ता से करियर की शुरुआत

बिबेक देबरॉय ने कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से साल 1979 से 1984 के बीच अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत की. फिर पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकॉनमिक्स से जुड़े. इसके बाद ये साल 1993 तक दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में भी रहे. 

साल 1993 में इन्हें वित्त मंत्रालय और यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम के लीगल रिफार्म से जुड़े एक प्रोजेक्ट का डॉयरेक्टर भी बनाया गया. कुछ समय के लिए इकॉनमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट में भी योगदान दिया. 

इसके बाद ये PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में साल 2006 तक शामिल रहे.

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