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क्या है दहेज उत्पीड़न को लेकर बना कानून, जिसका केस अतुल सुभाष पर दर्ज हुआ था?

Atul Subhash Nikita Singhaniya: 2019 में अतुल की शादी हुई थी. दो साल बाद Atul Subhash की पत्नी ने उनके ऊपर दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.

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अतुल पर शादी के 2 साल बाद केस हुआ था (फोटो- फ्रीपिक)

कर्नाटक के बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या (Atul Subhash Case) का मामला हर तरफ चर्चा में है. अतुल के भाई विकास कुमार मोदी की शिकायत पर मराठाहल्ली पुलिस ने अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania) समेत 4 लोगों को खिलाफ अलग-अलग धारों में FIR दर्ज की गई है. आरोपियों में निकिता की मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के नाम शामिल हैं.

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साल 2019 में अतुल की शादी हुई थी. शादी के दो साल बाद अतुल की पत्नी ने उनके ऊपर दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. अतुल की पत्नी के ऊपर आरोप है कि उन्होंने दहेज उत्पीड़न के आरोप लगाकर अतुल को प्रताड़ित किया. ऐसे में इस पूरे मामले के बाद दहेज उत्पीड़न कानून को लेकर बात हो रही है. इसके क्या प्रावधान हैं और इनमें कब और क्या बदलाव हुए.

दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961

यह कानून भारत में दहेज प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने के उद्देश्य से लाया गया था. इस कानून के जरिए दहेज के लेन-देन को आपराधिक बना दिया गया था. बाद में अलग-अलग अदालतों ने इस कानून के प्रावधानाओं की और भी व्याख्याएं कीं.

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- इस कानून की धारा 2 में 'दहेज' को परिभाषित किया गया है. दहेज को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि यह शादी के दौरान एक पक्ष की तरफ से दूसरे पक्ष को दो गई किसी भी तरह की संपत्ति है. और यह संपत्ति किसी भी तरह की हो सकती है. कैश, जूलरी, जमीन, मकान, बैंक में पैसे ट्रांसफर इत्यादि.

- साल 2002 के के श्रीनिवासुलू बनाम आंध्र पदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी के दौरान दो पक्षों में किसी भी तरह का आर्थिक आदान-प्रदान दहेज कहा जाएगा.

- इस कानून की धारा 3 में दहेज को लेकर सजा का प्रावधान है. धारा कहती है कि कोई भी व्यक्ति जो दहेज ले रहा है या दे रहा है यार फिर इस प्रक्रिया में भागीदार है, वो अपराधी होगा. दोषी पाए गए व्यक्ति को कम से कम पांच साल कैद की सजा हो सकती है. साथ ही साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं.

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- सुप्रीम कोर्ट ने साल 1997 में शाम लाल बनाम हरियाणा के मामले में कहा था कि इस कानून की धारा 3 के तहत किया गया अपराध गैर-जमानती है. कोर्ट ने कहा था दहेज प्रथा को रोकने के लिए इस प्रावधान का होना जरूरी है.

- इस कानून की धारा 4 दहेज मांगने के बारे में है. धारा में कहा गया कि कोई भी व्यक्ति अगर दहेज मांगता है तो उसे दोषी माना जाएगा. दोषी को 6 महीने की जेल हो सकती है. 5 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं.

- सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के पवन कुमार बनाम हरियाणा मामले में यह साफ किया गया अगर दहेज की मांग सीधे-सीधे नहीं की जाती है, किन्हीं और तरीकों से ऐसा किया जाता है, तो भी यह अपराध माना जाएगा.

- इस कानून की धारा 8A कहती है कि आरोप लगने के बाद आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना पड़ेगा. इसका मतलब है, अगर एक बार आरोप लगाने वाला पक्ष इस बात को साबित करने में कामयाब हो जाता है कि शादी के दौरान दहेज का आदान-प्रदान हुआ या इसकी मांग हुई, तो आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होगा.

आगे चलकर 1961 के इस कानून में कुछ संशोधन भी हुए. एक नजर उनके ऊपर भी डालते हैं-

- 1984 में दहेज मांगने को लेकर सजा बढ़ाई गई. कहा गया कि ऐसा करने पर दो साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही साथ जुर्मान 5 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिया गया.

- इसी संशोधन में प्रावधान किया गया कि शादी के दौरान दूल्हे और दुल्हन को मिले गिफ्ट्स की लिस्ट बनानी होगी. साथ ही साथ ये भी दर्ज करना होगा कि जिन लोगों ने उन्हें ये गिफ्ट्स दिए, वो रिश्ते में उनके क्या लगते हैं? इस लिस्ट पर उनको अपने हस्ताक्षर करने होंगे और अगर वो हस्ताक्षर करने में सक्षम नहीं हैं तो अंगूठे का निशाना लगाना पड़ेगा.

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बाद में इस कानून में और भी जुड़ीं. दहेज की परिभाषा में वो आर्थिक लेन-देन भी शामिल किए गए, जो शादी के बहुत पहले या बाद में हुए हों. इस कानून को घरेलू हिंसा के प्रावधानों से भी जोड़ा गया. पहले के मुकाबले कहीं अधिक कानूनी स्तरों पर महिलाओं को सुरक्षा देने के प्रावधान हुए.

वीडियो: Atul Subhash ने क्या आरोप लगाए थे?

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