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'एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर के 5 हजार वसूलो', बिलियनेयर ने ऐसी सलाह क्यों दी कि सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई

Air India wheelchair: एयरपोर्ट पर लाइन में लगे व्हीलचेयर पर बैठे लोगों का वीडियो वायरल है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. किरण मजूमदार शॉ ने व्हीलचेयर पर 5 हजार फीस लगाने को कहा जिस पर कई लोग उखड़ पड़े.

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किरण मजूमदार बायोकॉन लिमिटेड कंपनी की संथापक हैं.

एयर इंडिया इन दिनों फिर चर्चा में है. इस बार वजह है एयरपोर्ट का एक वीडियो, जो सोशल मीडिया पर वायरल है. दरअसल, 13 नवंबर को एक Bruce नाम के एक X यूजर ने अपने हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया था. इस वीडियो को भारतीय अरबपति किरण मजूमदार शॉ ने रिपोस्ट करते हुए कुछ ऐसा लिखा, जिससे सोशल मीडिया पर तगड़ी बहस छिड़ गई. पहले आप ये वीडियो देखिए फिर बताएंगे कि ये वायरल क्यों हुआ? 

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ये वीडियो किस एयरपोर्ट का है, इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन वीडियो में भारतीय मूल के लोग हैं. तकरीबन सबकी उम्र 50 से ज्यादा मालूम होती है. सब व्हील चेयर पर बैठे हुए हैं और फ्लाइट बोर्ड करने की लाइन में लगे हैं. इनके साथ एयरपोर्ट के सहयोगी भी मौजूद हैं. 

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दरअसल, यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर का ऑप्शन मिलता है. फ्लाइट बुक करते समय आप इसका विकल्प चुन सकते हैं. इससे आप आम लोगों की भीड़ से अलग हो जाते हैं और फ्लाइट बोर्ड में भी कम समय लगता है लेकिन यह सुविधा कई यात्रियों की परेशानी की वजह भी बन गया है.

इसे लेकर एक चीनी यूजर ने लिखा,

यूएस-इंडिया रूट पर व्हीलचेयर चुनने वालों में सबसे आगे भारतीय हैं. चूंकि विकलांग लोगों को फ्लाइट बोर्ड करने में पूरी मदद की जाती है और समय भी कम लगता है. कुछ रूट पर 80 प्रतिशत तक विकलांग यात्री देखने को मिलते हैं.

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इसपर कई लोगों ने यात्रियों से हमदर्दी जताई लेकिन इसके बाद एक और X यूजर ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, 

30 प्रतिशत यात्री इंडिया-यूएस फ्लाइट के दौरान व्हीलचेयर चुनते हैं. इनमें से ज्यादातर यात्री शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. बोर्डिंग सिस्टम का गलत फायदा उठाते हैं जिससे असल जरूरतमंद पीछे रह जाते हैं.

किरण मजूमदार ने क्या लिखा?

मामले ने तूल तब पकड़ा जब बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक किरण मजूमदार ने इसे रिपोस्ट किया. किरण ने अपने हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा, 

एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर वाली सुविधा को लेकर पैसे चार्ज करने चाहिए. हर एयरपोर्ट अगर 5000 एक्स्ट्रा चार्ज करने लगे, तब पता चलेगा कि असली जरूरतमंद कितने हैं.

सोशल मीडिया पर बहस

इस बात ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी. कुछ यूजर्स ने असल परेशानी का जिक्र किया तो कुछ ने इसे चिंताजनक बताया. राघवेंद्र नाम के एक यूजर ने परेशानी बताते हुए लिखा, 

बहुत सारे लोगों को अंग्रेजी भाषा नहीं आती. इसलिए उनके बच्चे फ्लाइट बुक करते समय व्हीलचेयर का ऑप्शन चुन लेते हैं, जिससे एयरपोर्ट पर उन्हें कोई दिक्कत न हो. 

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राघवेंद्र का ट्वीट.

अखिल ने अपने हैंडल से तंज भरे लहजे में ट्वीट किया, 

अगर आपको दिक्कत है कि लोग व्हीलचेयर लेकर पहले एयरप्लेन में चढ़ जाते हैं तो आप उन्हें आखिर में भी चढ़ा सकते हैं. ज्यादा पैसे मांगने से आप अमीर-टाइप और मिडिल क्लास और बूढ़ों की तकलीफ से कटे हुए लगते हो. तुम ऐसा नहीं लगना चाहोगे जैसे वो अमीर आदमी जिसने कहा था, ‘जाकर केक खा लो.

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अखिल का ट्वीट.

तुषार नाम के यूजर ने इस वीडियो के ज़रिए एक और परेशानी पर बात की. उन्होंने लिखा,

जब जर्मनी में इसे लागू किया गया तो लोगों ने चुनना ही छोड़ दिया. ये ज्यादातर तब होता है जब कोई बाहर रहने वाला शख्स अपने माता-पिता को बुलाना चाहता है. उनसे घर के काम करवाता है और नैनी की तरह रखता है.

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तुषार ने अपने हैंडल से ट्वीट किया.

वहीं कुछ यूजर्स ने इस बात का समर्थन भी किया. भरत कश्यप नाम के यूजर ने किरण का पूरी तरह साथ देते हुए लिखा, "पूरी तरह सहमत हूं. मैंने भी देखा है एयरपोर्ट के बाहर लोग ठीक होते हैं और अंदर आते ही उन्हें व्हीलचेयर की जरुरत पड़ जाती है. " 

एयरपोर्ट पर व्हील चेयर के चुनाव को लेकर आप क्या सोचते हैं? 

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