32 साल की अलीशा मोनाको अमेरिका के मिशिगन की रहने वाली हैं. कुछ वक़्त पहले उनकी नाक के पास एक दाना निकल आया. बहुतों की तरह आदत से मजबूर, उन्होंने इस दाने को फोड़ दिया. कुछ समय बाद उनको चक्कर आने लगे और भयंकर दर्द होने लगा. चेहरा सूज गया. कान जाम हो गया. घबराई हुई अलीशा डॉक्टर के पास पहुंचीं. डॉक्टर ने उनका इलाज किया. अब वो ठीक हैं. अलीशा ने ये सब बताते हुए एक टिकटॉक वीडियो बनाया, जो वायरल हो गया.
नाक के पास पिंपल भूल से भी न फोड़ें, स्ट्रोक, लकवा, दिमागी सूजन, और भी बहुत कुछ हो सकता है
दरअसल नाक के पास की नसें सीधे दिमाग तक जाती हैं. अगर इस जगह पर हुआ पिंपल फोड़ा जाए, तो खून का थक्का जम सकता है. सेप्सिस जैसा गंभीर इंफेक्शन तक हो सकता है.
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कुछ ऐसा ही लिश मेरी नाम की महिला के साथ हुआ. लिश न्यू यॉर्क की रहने वाली हैं. उनकी नाक के पास भी एक दाना निकल आया. अलीशा की तरह लिश ने भी उसे फोड़ दिया. कुछ ही घंटों में उनका चेहरा सूज गया. वो मुस्कुरा तक नहीं पा रहीं थीं. भयंकर दर्द होने लगा. उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर जाया गया.
दोनों औरतों की नाक के पास दाना निकला. दोनों ने उसे फोड़ दिया और फिर उन्हें अस्पताल जाना पड़ा. पता है क्यों? क्योंकि उन्होंने जो दाना फोड़ा, वो निकला था 'ट्रायंगल ऑफ़ डेथ' में. ये एक जानलेवा गलती है.
ये ट्रायंगल ऑफ़ डेथ क्या है? बताएंगे आपको. साथ ही, डॉक्टर से जानेंगे कि अगर नाक के पास पिंपल हो जाए, तो उसे क्यों नहीं फोड़ना चाहिए. इस एरिया को ट्रायंगल ऑफ़ डेथ क्यों कहते हैं. यहां निकलने वाले पिंपल को फोड़ने से क्या होता है. और, अगर इस एरिया में पिंपल हो जाए तो क्या करना चाहिए.
नथुनों के पास पिंपल क्यों नहीं फोड़ना चाहिए?
ये हमें बताया डॉक्टर चांदनी जैन गुप्ता ने.

नाक के नथुनों के पास पिंपल को कभी नहीं फोड़ना चाहिए. यहां की नसें सीधे दिमाग तक जाती हैं. इस हिस्से को ट्रायंगल ऑफ़ डेथ कहा जाता है. इसमें ऊपरी होंठ बेस (आधार) की तरह होता है. ये नाक की हड्डी के साथ मिलकर त्रिकोण बनाता है. इस एरिया की नसों में एंगुलर वेन और फेशियल वेन शामिल हैं. ये नसें दिमाग के एक हिस्से, कैवर्नस साइनस तक जाती हैं. कैवर्नस साइनस, पिट्यूटरी ग्लैंड के पास होता है. कई बड़ी नसें यहां तक आती हैं. अगर इस जगह पर हुआ पिंपल फोड़ा जाए, तो कैवर्नस साइनस थ्रोम्बोसिस हो सकता यानी उसमें खून का थक्का जम सकता है.
नाक के नथुनों के पास पिंपल को बार-बार छूने से बैक्टीरिया उल्टी दिशा में जा सकते हैं. दिमाग में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं. इससे सेप्सिस जैसा गंभीर इंफेक्शन हो सकता है. दिमाग की झिल्लियों में सूजन आ सकती है, जिसे मेनिनजाइटिस कहते हैं. दिमाग में ब्रेन एब्सेस यानी मवाद की थैली भी बन सकती है.
रिस्क
नाक के नथुनों के पास पिंपल फोड़ने से कई जटिलताएं हो सकती हैं. जैसे कैवर्नस साइनस थ्रोम्बोसिस यानी दिमाग की नसों में खून का थक्का जमना. थक्का अगर फैल जाए, तो स्ट्रोक पड़ सकता है. व्यक्ति को चेहरे, आधे शरीर या पूरे शरीर में लकवा मार सकता है. उसके शरीर में बैक्टीरियल इंफेक्शन फैल सकता है. दिमाग की झिल्लियों में सूजन और दिमाग में पस की थैली भी बन सकती है. यानी छोटे से पिंपल से भी बहुत सारी जटिलताएं हो सकती हैं.

इस एरिया को ट्रायंगल ऑफ़ डेथ क्यों कहते हैं?
ऊपरी होंठ और नाक की हड्डी मिलकर त्रिकोण बनाते हैं, इसलिए इसे ट्रायंगल ऑफ़ डेथ कहते हैं. इस एरिया में होने वाला कोई भी पिंपल या इंफेक्शन जानलेवा साबित हो सकता है.
अगर इस एरिया में पिंपल हो जाए तो क्या करना चाहिए?
दर्द कम करने के लिए सबसे पहले बेंज़ोयल पेरोक्साइड या सैलिसिलिक एसिड वाली क्रीम लगा सकते हैं. अगर आराम नहीं मिलता, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से दवाइयां ले सकते हैं. पिंपल को गंदे हाथों से बिल्कुल न छुएं. इसे जेंटल क्लेंज़र से साफ करें. अगर पिंपल ज़्यादा बढ़ गया जाए, तो डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक ले सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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