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ज़्यादा खाना खाने के बाद क्यों होती है घबराहट? डॉक्टर से जानिए

कई बार कैफीन वाली चीज़ें पीने या फूड सेंसिटिविटी के कारण भी घबराहट होने लगती है.

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खाना खाने के बाद कुछ लोगों को भयानक एंग्ज़ायटी होती है

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? आपने खूब दबाकर खाना खाया है. पेट एकदम ज़बरदस्त भर गया है. कुछ ही देर बाद आपको अजीब-सी घबराहट होने लगती है. दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है. भयानक एंग्जायटी महसूस होती है.

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अब ऐसा क्यों होता है? ये हमने पूछा डॉक्टर आरुषि दीवान से. 

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डॉ. आरुषि दीवान, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, फाउंडर, कोपिंग कीज़

डॉक्टर आरुषि कहती हैं कि खाने की कुछ चीज़ें एंग्जायटी को ट्रिगर करती हैं. यानी उसके लक्षणों को बढ़ा देती हैं. जैसे चीज़ या दूसरी फर्मेंटेड चीज़ें, जिनमें हिस्टामिन हो. हिस्टामिन एक केमिकल है जिसे खाने से किसी एलर्जी के लक्षण महसूस होते हैं. इसी तरह कैफीन वाली चीज़ें, जैसे कॉफी, पीने से भी ऐसा हो सकता है. शराब और ट्रांस फैट भी एंग्ज़ायटी के लक्षणों को बढ़ा सकता है. कई बार मैदा, चीनी और दूसरे रिफाइंड कार्ब्स शरीर में एड्रेनलिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ा देते हैं. इससे भी घबराहट और एंग्ज़ायटी बढ़ जाती है.

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कभी-कभी किसी खास खाने से एलर्जी और फूड सेंसिटिविटी के कारण भी एंग्ज़ायटी हो सकती है. जैसे अगर किसी को ग्लूटन, डेयरी प्रोडक्ट या किसी दूसरी चीज़ से एलर्जी है और वो ये चीज़ें खा लें, तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. उनका सिर घूमने लगता है. गले में जकड़न महसूस होती है. मुंह में झनझनाहट होने लगती है. उबकाई आती है. पेट में दर्द होने लगता है. दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. ये लक्षण कुछ लोगों में हल्के तो कुछ में गंभीर हो सकते हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि ये लक्षण बहुत देर तक नहीं रहते.

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किसी खास खाने से एलर्जी हो तो एंग्ज़ायटी हो सकती है 

डॉक्टर आरुषि आगे कहती हैं कि जिन्हें रिएक्टिव हाइपोग्लाइसेमिया है, उन्हें खाना खाने के बाद एंग्ज़ायटी हो सकती है. रिएक्टिव हाइपोग्लाइसेमिया में खाने के बाद व्यक्ति के खून में शुगर का लेवल कम हो जाता है. जिसकी वजह से एंग्ज़ायटी शुरू हो जाती है. कुछ दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं. जैसे सांसें तेज़ चलना. दिल ज़ोर से धड़कना. चक्कर आना और खूब पसीना आना. आमतौर पर ऐसा खाने के चार घंटे के भीतर होता है. डायबिटीज़ के बिना भी कुछ लोगों को रिएक्टिव हाइपोग्लाइसेमिया की दिक्कत हो सकती है. खासकर उन्हें, जिनका वज़न ज़्यादा है या जिनकी गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी हुई है.

जिन लोगों को कोई ईटिंग डिसऑर्डर (eating disorder) है. उन्हें भी खाने से जुड़ी एंग्ज़ायटी हो सकती है. ईटिंग डिसऑर्डर एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है. इसमें व्यक्ति या तो बहुत ज़्यादा खाता है या पूरी तरह खाना छोड़ देता है. ऐसे लोगों को खाने के टाइम या कुछ खाने के बाद एंग्ज़ायटी हो सकती है. खासकर ऐसा खाना, जिसे वो अनहेल्दी या खराब मानते हैं. कभी-कभी लोगों को ज़्यादा खाने की वजह से गिल्ट होने लगता है. इससे भी एंग्ज़ायटी हो सकती है और ये एंग्ज़ायटी तब तक रहती है जब तक कि वो एक्सरसाइज़ न कर लें या अगला मील स्किप न कर दें.

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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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