जसविंदर भल्ला. मशहूर हास्य कलाकार और पंजाबी फ़िल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम. 'कैर्री ऑन जट्टा', 'जट एंड जूलिएट' जैसी फ़िल्मों में आपने उन्हें देखा है. 22 अगस्त को जसविंदर भल्ला की मौत हो गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौत का कारण ब्रेन स्ट्रोक है. स्ट्रोक पड़ते ही, जसविंदर भल्ला को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती किया गया. डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सुबह 4 बजे उनकी मौत हो गई. जसविंदर भल्ला 65 साल के थे. लल्लनटॉप जसविंदर भल्ला को श्रद्धांजलि देता है.
भारत में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के 18 लाख केस! बीपी और डायबिटीज वाले ये खबर जरूर पढ़ें
ब्रेन स्ट्रोक में जान बचाने के लिए डॉक्टर्स लोगों को “FAST” फॉर्मूला याद रखने की सलाह देते हैं.



ब्रेन स्ट्रोक हमारे देश में एक बहुत गंभीर समस्या है. द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल 18 लाख ब्रेन स्ट्रोक के नए मामले रिकॉर्ड किए जा रहे हैं. इतने डरावने आकंड़ों के बावजूद, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों, बचाव और इलाज को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है.
ब्रेन स्ट्रोक के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज पर हमने बात की आकाश हेल्थकेयर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर और हेड डॉक्टर मधुकर भारद्वाज से.

डॉक्टर मधुकर कहते हैं ब्रेन स्ट्रोक दो तरह के होते हैं. पहला. इस्कीमिक स्ट्रोक, जिसमें दिमाग की नस ब्लॉक हो जाती है और खून का बहाव रुक जाता है. दूसरा है हैमोरेजिक स्ट्रोक, जिसमें दिमाग नस फट जाती है और खून बहने लगता है. दोनों का इलाज अलग-अलग होता है.
ब्रेन स्ट्रोक क्यों पड़ता है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे स्मोकिग. स्मोकिंग की वजह से दिमाग की नसें कमजोर हो जाती हैं. नतीजा? वो पर्याप्त मात्रा में खून और ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पातीं. ये स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है. दूसरा कारण है शराब. ज्यादा शराब पीने से फैटी लिवर की समस्या हो जाती है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है. इससे स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है. तीसरी वजह है दिल की बीमारियां. अगर पहले से दिल की कोई बीमारी है या बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी हुई है तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. चौथा कारण है डायबिटीज. डायबिटीज की वजह से नसें कमजोर हो जाती हैं. पांचवा कारण है हाई ब्लड प्रेशर, जिसकी वजह से ब्रेन में ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है. बीपी की दवा समय से न लेना, या दवा छोड़ देने से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. यही नहीं, ज़्यादा प्रदूषण की वजह से भी ब्रेन स्ट्रोक पड़ सकता है. ज़्यादा प्रदूषण होने पर, हवा में 2.5 माइक्रोन से 10 माइक्रोन तक के कण मौजूद होते हैं. ये कण सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं. जिस वजह से सांस से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं . लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने की वजह से नसें सिकुड़ने लगती हैं. इस वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
स्ट्रोक पड़ने पर कुछ खास लक्षण तुरंत दिख सकते हैं. जैसे चेहरे का अचानक टेढ़ा हो जाना. एक हाथ या पैर में कमजोरी या सुन्न पड़ जाना. बोलने में परेशानी होना. कुछ समझ में न आना. बिना वजह तेज सिरदर्द. चक्कर या बैलेंस बिगड़ना. ये लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज मिलना चाहिए. अगर मरीज को 4.5 घंटे के अंदर इलाज मिल जाए तो जान बच सकती है. इसलिए बेहद ज़रूरी है कि स्ट्रोक के लक्षणों को पहचाना जाए. और लक्षण दिखते ही तुरंत अस्पताल में भर्ती किया जाए.

ब्रेन स्ट्रोक में जान बचाने के लिए डॉक्टर्स लोगों को “FAST” फॉर्मूला याद रखने की सलाह देते हैं. F फ़ॉर फ़ेस. यानी चेहरे का टेढ़ा हो जाना. A फ़ॉर आर्म्स. यानी हाथ उठाने में दिक्कत होना. S फ़ॉर स्पीच. यानी में बोलने में समस्या होना. और T फ़ॉर टाइम. यानी टाइम पर अस्पताल में एडमिट होना.
इस्कीमिक स्ट्रोक में दवाइयों या सर्जरी से ब्लॉकेज हटाने की कोशिश होती है. जबकि हैमोरेजिक स्ट्रोक में खून का बहाव रोकना जरूरी होता है.
स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. सबसे पहले ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना चाहिए, क्योंकि ये स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है. अगर आपको डायबिटीज है तो शुगर कंट्रोल में रखें. खाने में हरी सब्जियां और फल शामिल करें. कम नमक और कम तेल इस्तेमाल करें. फ्राइड और प्रोसेस्ड खाने की चीज़ों से दूर रहें. जैसे जंक फ़ूड. रोज़ाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें. मोटापा भी स्ट्रोक की वजह बन सकता है, इसलिए वजन कंट्रोल में रखें. तंबाकू और शराब से एकदम दूरी बना लें. साथ ही अगर आप बहुत तनाव में रहते हैं, तो स्ट्रेस मैनेज करना ज़रूरी है. इसके लिए आप योगा कर सकते हैं. मेंडिटेशन कर सकते हैं. परिवार और दोस्तों से बात कर सकते हैं. प्रोफेशनल मदद भी ले सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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