सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा के मामलों की गहराई से जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. सर्वोच्च अदालत ने इस SIT का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर को बनाया है. यह फैसला पर्यावरण, वन्यजीव और वित्तीय नियमों के उल्लंघन को लेकर आई कई शिकायतों और याचिकाओं पर आया है.
अंबानी के वनतारा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाई, नियमों के उल्लंघन का आरोप है
Vantara के लिए गठित SIT को याचिकाकर्ताओं, अधिकारियों, पत्रकारों और अन्य स्रोतों से जानकारी लेने का पूरा अधिकार दिया गया है. Supreme Court में पूरी रिपोर्ट पेश करने के लिए SIT जहां जरूरी समझे, वहां अपनी जांच कर सकती है.


लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस फाउंडेशन, गुजरात के जामनगर में वनतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) प्रोजेक्ट चलाती है. 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय SIT गठन का आदेश दिया.
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. वकील सीआर जया सुकिन ने यह याचिका दायर की है, जिन्होंने केंद्र सरकार के कामकाज पर आरोप लगाए थे.
SIT में ये सदस्य शामिल हैं
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर
- जस्टिस राघवेंद्र चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस)
- हेमंत नगराले (पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर, IPS)
- अनीश गुप्ता (एडिशनल कमिश्नर, कस्टम्स, IRS)
इन मुद्दों की जांच करेगी SIT
- जानवरों की खरीद: देश और विदेश से जानवर, खासकर हाथियों को कैसे लाया गया, इसकी जांच की जाएगी.
- कानूनी पालन: वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 और चिड़ियाघरों से जुड़े नियमों का पालन हुआ या नहीं, ये देखा जाएगा.
- अंतरराष्ट्रीय नियम: कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फौना एंड फ्लोरा (CITES) और इससे जुड़े आयात-निर्यात कानूनों के पालन की जांच करना.
- जानवरों की देखभाल: जानवरों के रहन-सहन, इलाज, मौत के कारणों की जांच होगी.
- पर्यावरण से जुड़ी चिंता: साइट के पर्यावरण के अनुकूल होने और इंडस्ट्रियल एरिया के पास होने से जुड़ी शिकायतों की जांच करना.
- संरक्षण और कलेक्शन: सजावट या दिखावे के लिए वाइल्डलाइफ का इस्तेमाल, ब्रीडिंग और जैव विविधता संसाधनों के इस्तेमाल की जांच होगी.
- संसाधन का इस्तेमाल: पानी के दुरुपयोग और कार्बन क्रेडिट योजनाओं में गड़बड़ी की जांच.
- वन्यजीव व्यापार: अवैध वन्यजीव व्यापार या तस्करी की संभावित गतिविधियों की जांच.
- वित्तीय गड़बड़ी: पैसों की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों की जांच.
- अन्य मुद्दे: जांच के दौरान सामने आने वाले अन्य किसी भी जरूरी विषय की भी जांच होगी.
SIT को याचिकाकर्ताओं, अधिकारियों, पत्रकारों और अन्य स्रोतों से जानकारी लेने का पूरा अधिकार दिया गया है. कोर्ट में पूरी रिपोर्ट पेश करने के लिए SIT जहां जरूरी समझे, वहां अपनी जांच कर सकती है. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, CITES प्रबंधन प्राधिकरण, गुजरात सरकार (जिसमें उसका वन एवं पुलिस विभाग भी शामिल है) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जांच में SIT पूरी मदद करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस आदेश को याचिकाओं का समर्थन या किसी भी सरकारी संस्था या वनतारा के कामकाज पर शक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. कोर्ट ने किसी भी आरोप की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की है. SIT को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर 2025 तक सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी.
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