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कम पानी पीना किडनी के लिए बुरा, लेकिन क्या ज्यादा पीना सेफ है?

बहुत ज़्यादा पानी पीने से हायपोनेट्रेमिया होने का रिस्क है. हायपोनेट्रेमिया यानी खून में सोडियम का लेवल कम होना.

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एक दिन में कितने लीटर पानी पीते हैं आप? (फोटो: Freepik)

‘पानी खूब पियो, ये किडनी के लिए बहुत अच्छा है.’

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हम अक्सर डॉक्टरों से ये सुनते हैं. वजह भी साफ है. जब आप कम पानी पीते हैं, तो किडनियां अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं. वहीं जब आप ज़रूरत जितना पानी पीते हैं, तो किडनियां अच्छे से काम करती हैं.

लेकिन यहीं एक सवाल भी उठता है. क्या बहुत ज़्यादा, यानी ज़रूरत से ज़्यादा पानी पीना किडनी के लिए नुकसानदेह हो सकता है?

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फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में कंसल्टेंट, डॉक्टर भानु मिश्रा से जानते हैं.

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डॉक्टर भानु मिश्रा, कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल

डॉक्टर भानु बताते हैं कि बहुत ज़्यादा पानी किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाता. बल्कि इससे किडनी में पथरी बनने का रिस्क कम हो जाता है. लेकिन हां, इसका शरीर पर दूसरे बुरे असर ज़रूर हो सकते हैं. जैसे हायपोनेट्रेमिया.

हायपोनेट्रेमिया यानी खून में सोडियम का लेवल कम होना. जब कोई बहुत ज़्यादा पानी पीता है, तो शरीर में सोडियम पतला हो जाता है. पानी का लेवल बढ़ जाता है और शरीर के सेल्स सूजने लगते हैं.

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सेल शरीर का बेसिक यूनिट हैं. यानी पूरा शरीर इन्हीं सेल्स से मिलकर बना है. इसलिए इनके सूजने से कई दिक्कतें हो सकती हैं. जैसे सिरदर्द और चक्कर आना. उबकाई या उल्टी होना. मांसपेशियों में कमज़ोरी या ऐंठन. ध्यान लगाने में मुश्किल आना. कंफ्यूज़न. गंभीर स्थिति में दौरे पड़ सकते हैं. व्यक्ति कोमा तक में जा सकता है.

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 60-70 किलो वज़न वाले व्यक्ति के लिए दिन में 2-2.5 लीटर पानी पीना पर्याप्त है (फोटो: Freepik)

इसलिए ज़रूरी है कि पानी सीमित और ज़रूरत भर ही पिया जाए. अगर किसी व्यक्ति का वज़न 60 से 70 किलो है. तो उसके लिए एक दिन में दो से ढाई लीटर पानी पीना पर्याप्त है. वहीं अगर किसी का वज़न 80 से 100 किलो के बीच है. तो वो रोज़ 3 से साढ़े 3 लीटर पानी पी सकता है.

डॉ. भानु आगे बताते हैं कि बहुत ज़्यादा पानी पीना साइकोजेनिक पॉलीडिप्सिया नाम की कंडीशन से भी जुड़ा हो सकता है. इसमें व्यक्ति को बिना ज़रूरत बार-बार पानी पीने की आदत लग जाती है. उसे हर वक्त प्यास जैसा महसूस होता है. ये कंडीशन ज़्यादातर स्किज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर या एंग्ज़ायटी जैसी मेंटल हेल्थ कंडीशंस से जुड़ी होती है.

इसलिए, न तो कम पानी पिएं और न ही ज़रूरत से ज़्यादा. पानी हमेशा बैलेंस में पिएं. उतना ही, जितना आपके शरीर को सच में ज़रूरत है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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