कोरोना वायरस के बाद चीन से निकला एक और वायरस दुनिया की चिंता बढ़ा रहा है. नाम है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (Human metapneumovirus) यानी HMPV. भारत में इसके तीन मामले सामने आ चुके हैं. सांस के जरिए फैसले वाले इस वायरस को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि देशवासियों को घबराने की जरूरत नहीं है. घबराने की जरूरत बेशक ना हो, मगर इस वायरस को जानने-समझने और उससे बचाव के तरीकों से परिचित हो जाने में कोई बुराई नहीं है. आइये 8 पॉइंट्स में आपको बताते हैं HMPV के लक्षण, प्रसार, रोकथाम और उपचार के बारे में...
HMPV: कोरोना वायरस से कितना अलग है एचएमपीवी? 8 पॉइंट में समझिए इस वायरस का सारा तिया पांचा
HMPV Virus: Covid 19 के बाद चीन से निकला एक और वायरस दुनिया की चिंता बढ़ा रहा है. नाम है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (Human metapneumovirus) यानी HMPV. भारत में इसके तीन मामले सामने आ चुके हैं. इसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं चल रही है. आइये 8 पॉइंट्स में आपको बताते हैं HMPV के लक्षण, प्रसार, रोकथाम और उपचार के बारे में...

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस(HMPV) एक श्वसन (सांस के जरिए फैलने वाला) वायरस है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है. इस वायरस का पता सबसे पहले 2001 में लगा था. यह पैरामिक्सोविरिडे (Paramyxoviridae) परिवार से संबंधित है और रेस्पिरेटरी सिंसीशियल वायरस (RSV) से मेल खाता है. यह खांसने, छींकने से उत्पन्न श्वसन बूंदों, संक्रमित सतहों के संपर्क, या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से फैलता है.
अधिकांश संक्रमण हल्के होते हैं, मगर यह नवजात शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है. यह वैश्विक स्तर पर देर सर्दियों और शुरुआती बसंत में चरम पर होता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह पूरे वर्ष सक्रिय रहता है.
HMPV के लक्षण व्यक्ति के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के आधार पर भिन्न होते हैं.
हल्के लक्षण: बहती नाक, गले में खराश, खांसी और बुखार, जो सामान्य सर्दी जैसे होते हैं.
मध्यम लक्षण: लगातार खांसी, घरघराहट और थकान.
गंभीर लक्षण: उच्च जोखिम वाले समूहों में ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकिओलाइटिस या निमोनिया जैसी जटिलताएँ हो सकती हैं. गंभीर सांस संबंधी बीमारी (SARI) के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.
प्रसार और रोकथामHMPV का प्रसार RSV और इन्फ्लूएंजा की तरह ही होता है, जो श्वसन बूंदों या दूषित सतहों के माध्यम से फैलता है.
रोकथाम के उपाय:
- साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना.
- खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकना.
- भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क पहनना.
- बार-बार छुई जाने वाली सतहों को साफ करना.
- संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना.
हल्के मामलों में, HMPV कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहता है. हालांकि, खांसी जैसे लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं. गंभीर मामलों में, विशेष रूप से अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए, ठीक होने में अधिक समय लग सकता है.
HMPV की जांचHMPV का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण RSV और इन्फ्लूएंजा से मिलते-जुलते हैं.
जांच के तरीके:
RT-PCR (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन): HMPV RNA का पता लगाने के लिए सबसे बेहतर तरीका
एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट: तेज़ रिजल्ट देते हैं.
भारत में निगरानी:ICMR और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) जैसी एजेंसियाँ HMPV और अन्य श्वसन वायरसों की नियमित निगरानी करती हैं.
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HMPV का उपचारफिलहाल, HMPV के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. फिलहाल उपचार लक्षणों के आधार पर ही किया जा रहा है.
हल्के मामले: आराम, पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन और बुखार व नाक बंद होने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं.
गंभीर मामले: अस्पताल में भर्ती, ऑक्सीजन थेरेपी, और गंभीर मामलों में यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है.
जब तक लक्षित उपचार और वैक्सीन का विकास नहीं होता, रोकथाम और शुरुआती इलाज ही एक मात्र तरीका है.
वैश्विक और राष्ट्रीय निगरानीHMPV एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके लिए मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है. भारत में, ICMR और IDSP जैसी संस्थाएँ HMPV, इन्फ्लूएंजा और RSV सहित श्वसन बीमारियों की निगरानी और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
HMPV और COVID-19 में अंतरहालांकि HMPV और COVID-19 दोनों श्वसन वायरस हैं, लेकिन इनमें कई अंतर हैं.
समानताएँ:
श्वसन बूंदों और दूषित सतहों के माध्यम से फैलाव.
हल्के से गंभीर श्वसन लक्षण उत्पन्न करना.
शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए उच्च जोखिम.
अंतर:
COVID-19 (SARS-CoV-2 वायरस) में गंध/स्वाद की कमी और रक्त के थक्के बनने जैसे प्रणालीगत लक्षण शामिल होते हैं.
COVID-19 के लिए वैक्सीन और एंटीवायरल उपचार उपलब्ध हैं, जबकि HMPV के लिए केवल सहायक उपचार उपलब्ध है.
HMPV से घबराना भले ही ना हो, मगर सतर्क रहने की जरूरत तो है ही. इसके असर को कम करनेे के लिए जागरूकता, रोकथाम और शुरुआती इलाज का सही होना बेहद जरूरी हैं.
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