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दिल्ली-NCR के 69 फीसदी घरों में फैला H3N2 वायरस, इससे बचना कैसे है? जान लीजिये

इस बार फ्लू होने पर सर्दी-खांसी, बुखार जाने में हफ्तों लग रहे हैं. वजह है H3N2. ये इंफ्लूएंज़ा वायरस का ही एक प्रकार है.

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इंफ्लूएंज़ा A वायरस का एक सब-टाइप है H3N2 (फोटो: Freepik)

दिल्ली-NCR में पिछले हफ्ते फ्लू के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है. ये इन्फ्लुएंज़ा वायरस की वजह से होता है और सांस से जुड़े अंगों यानी नाक, गले और फेफड़ों पर असर डालता है.

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इन दिनों जहां देखो, जिससे बात करो, उसे ही फ्लू हो रखा है. LocalCircles नाम की एक ऑनलाइन कम्युनिटी है. इसने सितंबर 2025 में एक सर्वे कराया. इस सर्वे में 11 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया. पता चला कि दिल्ली-NCR के 69% घरों में इस वक्त एक या ज़्यादा सदस्यों को कोविड, फ्लू या वायरल फीवर जैसे लक्षण हैं.

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लोकलसर्कल्स द्वारा सितंबर 2025 में कराया गया सर्वे

इसी ग्रुप ने मार्च 2025 में भी एक सर्वे कराया था. तब दिल्ली-NCR के 13 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था. पता चला था कि 54% घरों के एक या ज़्यादा सदस्यों को कोविड, फ्लू या वायरल फीवर जैसे लक्षण हैं.

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लोकलसर्कल्स द्वारा मार्च 2025 में कराया गया सर्वे

इस बार फ्लू होने पर सर्दी-खांसी, बुखार जाने में हफ़्तों लग रहे हैं. वजह है H3N2. ये इंफ्लूएंज़ा वायरस का ही एक प्रकार है. H3N2 के बारे में हमने जाना मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के क्लीनिकल डायरेक्टर, डॉक्टर अरविंद के. मिंज़ से.

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डॉ. अरविंद के. मिंज, क्लीनिकल डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद

डॉक्टर अरविंद बताते हैं कि इंफ्लूएंज़ा वायरस चार तरह के होते हैं. इंफ्लूएंज़ा A, B, C और D. अभी जिस H3N2 की वजह से फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं. वो इंफ्लूएंज़ा A वायरस का एक सब-टाइप है. ये तब फैलता है जब इससे संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है. थूक, बलगम में मौजूद ये वायरस हवा में फैलता है. अगर किसी सतह पर वायरस मौजूद है, और कोई दूसरा इंसान उसे छूकर अपनी नाक, मुंह या आंखों को छू ले. तब भी ये इंफेक्शन फैल सकता है.

H3N2 के लक्षण

जब कोई व्यक्ति H3N2 से संक्रमित होता है. तब उसे कंपकंपी लगकर तेज़ बुखार आता है. बहुत ज़्यादा खांसी आती है. छीकें आती हैं. गले में खराश रहती है, दर्द होता है. नाक बहने लगती है या बंद हो जाती है. उबकाई आती है. पेट, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है. गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है. ये लक्षण आमतौर पर 5 से 7 दिन तक रहते हैं. बुखार लगभग 3 दिन में उतर जाता है. लेकिन खांसी कई हफ़्तों तक बनी रह सकती है.

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H3N2 से संक्रमित होने का रिस्क बच्चों, बुज़ुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं या पहले से बीमार लोगों को ज़्यादा है (फोटो: Freepik)

किन्हें ज़्यादा ख़तरा?

वैसे तो H3N2 से कोई भी संक्रमित हो सकता है. पर बच्चों, बुज़ुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को इसका रिस्क ज़्यादा होता है.

बचाव और इलाज

अगर किसी को हफ्ते भर से ज़्यादा फ्लू जैसे लक्षण दिखें, तो इसे हल्के में न लें. डॉक्टर से ज़रूर बात करें. साथ ही, मास्क लगाएं. खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढक लें. अपने हाथ हर थोड़ी देर में साबुन या सैनिटाइज़र से धोते रहें. हेल्दी खाना खाएं. गुनगुना पानी पिएं और डॉक्टर से मिलकर इलाज कराएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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