सुबह उठे. नाश्ता किया. लेकिन लंच से पहले कुछ खाने का मन कर गया. आपने एक चिप्स का पैकेट खोलकर खा लिया. शाम के चार बजते-बजते दोबारा भूख लग गई है. इस बार आपने खाए समोसे, और साथ में पी कोल्ड ड्रिंक. देर रात तक जागकर सीरीज़ देखी. रात में दो बजे भूख लगने लगी. पर अब क्या खाएं? रात का खाना तो खा लिया. आप आधी रात बने मास्टर शेफ. तुरंत इंस्टैंट नूडल्स बना लाए. उसमें डाला खूब सारा चीज़.
स्नैकिंग करते वक्त ये 5 गलतियां बढ़ा रहीं आपका वज़न, पेट भी ख़राब कर रहीं
हर थोड़ी देर में कुछ खाने की आदत को स्नैकिंग कहते हैं. अक्सर लोग हेल्दी स्नैकिंग नहीं करते. वो तली-भुनी, मसालेदार या मीठी चीज़ें खाते हैं. जो सेहत के लिए बिल्कुल सही नहीं है.


अब ये जो हर थोड़ी देर में खाने की आदत है न. इसी को स्नैकिंग कहते हैं. अक्सर लोग हेल्दी स्नैकिंग नहीं करते. वो तली-भुनी, मसालेदार या मीठी चीज़ें खाते हैं. जो सेहत के लिए बिल्कुल सही नहीं है. इससे क्या होता है? वज़न बढ़ने लगता है. पेट ख़राब रहता है. ब्लोटिंग रहती है. गैस हो जाती है. कुल मिलाकर, अनहेल्दी स्नैकिंग आपके हाज़मे की बैंड बजा देती है.
अब अगर आपको अपना हाज़मा दुरुस्त रखना है. तो स्नैकिंग की ये 5 गलतियां छोड़नी पड़ेंगी. क्या हैं ये गलतियां? ये हमें बताया सी.के. बिड़ला हॉस्पिटल, दिल्ली में क्लीनिकल न्यूट्रिशिनिस्ट दीपाली शर्मा ने.

पहली गलती- जब भूख न लगी हो, तब भी स्नैकिंग करना. इससे शरीर को ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरीज़ मिलती हैं. नतीजा? इंसान का वज़न बढ़ने लगता है.
जब आप बहुत काम करते हैं. थक जाते हैं. उसके बाद आराम की ज़रूरत पड़ती है. ठीक वैसे ही शरीर के अंगों के साथ भी होता है. मगर जब आप हर थोड़ी देर में कुछ-न-कुछ खाते हैं, तो लगातार खाना पचाने की वजह से हाजमे पर बोझ पड़ता है. इससे हाज़मा बिगड़ जाता है.
अक्सर जब लोग बोर होने पर या स्ट्रेस में बिना सोचे-समझे खाते हैं, तो वो खाना जल्दी निगलते हैं. उसे ठीक से चबाते नहीं. जल्दी खाना निगलने से हवा भी ज़्यादा निगल ली जाती है. इससे ब्लोटिंग और गैस हो सकती है.
दूसरी गलती- दिन भर थोड़ा-थोड़ा लगातार खाते रहना. ऐसा करने से माइग्रेटिंग मोटर कॉम्प्लेक्स यानी MMC पर असर पड़ता है. MMC पेट और छोटी आंत के सिकुड़ने का पैटर्न है. ये तब होता है, जब आप कुछ नहीं खाते. पाचन के बाद बचा हुआ खाना और बैक्टीरिया बड़ी आंत में जाते हैं. लेकिन जब आप लगातार कुछ न कुछ खाते रहते हैं, तो माइग्रेटिंग मोटर कॉम्प्लेक्स काम नहीं कर पाता. इससे पेट में बैक्टीरिया ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ सकते हैं. हाज़मा भी धीमा हो जाता है. उस पर वज़न बढ़ता है, सो अलग.
तीसरी गलती- बहुत ज़्यादा प्रोसेस्ड चीज़ें खाना. ऐसे स्नैक्स खाना जिनमें फैट, नमक या शुगर ज़्यादा हो. ऐसे स्नैक्स में न तो फाइबर होता है. न प्रोटीन. ये शरीर को सिवाय कैलोरीज़ के कुछ नहीं देते. ऐसे स्नैक्स में अक्सर पाम ऑयल या रिफाइंड ऑइल होता है. जिसे खासकर दिल के लिए नुकसानदेह माना जाता है. उस पर, इन्हें बनाते समय बहुत ज़्यादा प्रोसेस किया जाता है. भर-भरकर प्रिज़रवेटिव्स, आर्टिफिशियल कलर्स और स्वीटनर्स डाले जाते हैं. इनमें सैचुरेटेड फैट, नमक और कैलोरीज़ भी बहुत ज़्यादा होती है.
नतीजा? इन्हें खाने से वेट गेन होता है. शरीर में क्रोनिक इंफ्लेमेशन बढ़ता है. इंफ्लेमेशन यानी सूजन. इस तरह की सूजन शरीर में धीरे-धीरे आती है. फिर हर अंग में बढ़ने लगती है. इससे दिल की बीमारियां, टाइप-2 डाटबिटीज़ और कैंसर का रिस्क बढ़ता है.

चौथी गलती- रात में सोने से पहले स्नैकिंग करना. जब आप कुछ खाने के तुरंत बाद लेट जाते हैं, तो पाचन धीमा हो जाता है. इससे पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं. खाना खाने के फ़ौरन बाद लेटने से पेट का एसिड भी ऊपर की ओर आने लगता है, जिससे एसिडिटी हो सकती है. फिर क्या होगा? आपको खट्टी डकारें आएंगी. सीने में जलन होगी. रात में मेटाबॉलिज़्म धीमा होता है. मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नए सेल्स बनाने और पुराने को बचाए रखने का काम. मेटाबॉलिज़्म धीमा होने पर कैलोरीज़ बर्न नहीं होतीं, वो फैट के रूप में शरीर में जमा होती रहती हैं. इससे वज़न बढ़ जाता है.
पांचवी गलती- ढेर सारे स्नैक्स खाना. देखिए, स्नैकिंग करना बुरा नहीं है. हर कोई थोड़ी-बहुत स्नैकिंग करता ही है. लेकिन आप क्या खा रहे हैं, इसके साथ ही ये देखना भी ज़रूरी है कि आप कितना खा रहे हैं. अगर आप चिप्स के दो-तीन पैकेट निपटा देंगे. प्लेटभर केक, बिस्किट खाएंगे. दालमोठ से कटोरी भर लेंगे, तो पाचन तंत्र गड़बड़ाएगा ही. आपको ब्लोटिंग होने लगेगी. गैस बनेगी. वज़न बढ़ने का रिस्क रहेगा. इसलिए स्नैक हमेशा थोड़े ही लें. बहुत ज़्यादा नहीं.
साथ ही, हेल्दी स्नैकिंग करें. आप मखाने, भुने चने, भुने मेवे, बीज और फल वगैरह खा सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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