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थकान से चूर और पैरों में सूजन? एक बार अपनी किडनियों की जांच करा लीजिए

हर वक्त थकान रहना. पैरों-एड़ियों में सूजन होना. आंखों का सूजन होना. ये सारे किडनी की बीमारी के लक्षण हैं.

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किडनी में कोई दिक्कत हो, तो व्यक्ति जल्दी थक जाता है

पूरी ख़बर पढ़ने से पहले तीन सवालों के जवाब दीजिए. 

पहला सवाल, क्या आपके या आपके घर में किसी के पैरों में काफी दिनों से सूजन है? 

दूसरा सवाल, क्या आखें भी अक्सर सूजी हुई रहती हैं? 

तीसरा सवाल, क्या दिनभर थकान महसूस होती है?

अगर इन सभी सवालों के जवाब ‘हां’ हैं, तो ये जानकारी खास आपके लिए ही है. थकान, आंखों और पैरों में सूजन, ये सभी ख़राब होती किडनी का इशारा हैं. अगर इन इशारों पर वक़्त रहते ध्यान दे दिया जाए, तो आप अपनी किडनी को ख़राब होने से बचा सकते हैं. कैसे रखें किडनी का ख़्याल, चलिए समझते हैं. मगर पहले जानिए कि थकान, सूजी आंखों, और सूजी एड़ियों का किडनी से क्या कनेक्शन है.

थकान, सूजी आंखें और एड़ियां ख़राब किडनी का लक्षण?

ये हमें बताया डॉक्टर तरुण जेलोका ने. 

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डॉ. तरुण जेलोका, हेड, नेफ्रोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, पुणे

किडनी ख़राब होने के कई लक्षण होते हैं. जैसे थकान रहना. चेहरे या पैरों में सूजन होना. भूख कम लगना. उल्टी आना. ये सारे लक्षण किडनी से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए जागरूकता ज़रूरी है. अगर इन लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो सही इलाज से किडनी को बचाया जा सकता है.

किडनी की सेहत बिगड़ने पर ये लक्षण क्यों दिखते हैं?

पहले ये समझना होगा कि किडनी शरीर में करती क्या है. किडनी के बहुत सारे काम होते हैं. ये शरीर की गंदगी (टॉक्सिंस) को तो निकालती ही है. साथ ही, ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल करती है. हीमोग्लोबिन कंट्रोल करती है. हड्डियों की मज़बूती में भी इसका हाथ होता है. ये तीनों काम किडनी अलग-अलग हॉर्मोन रिलीज़ करके करती है. जैसे विटामिन D को एक्टिवेट करना. रेनिन के माध्यम से ब्लड प्रेशर कंट्रोल करना. रेनिन एक एंजाइम है, जो किडनी बनाती है. एरिथ्रोपोइटिन हॉर्मोन के ज़रिए हीमोग्लोबिन बनाना. 

इसके अलावा, किडनी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेंस करती है जैसे सोडियम और पोटैशियम. शरीर में एसिड का संतुलन बनाए रखने का काम भी किडनी का होता है. जब किडनी कमज़ोर होने लगती है, तो ये सारे काम ठीक से नहीं हो पाते. इसी वजह से लक्षण देखने को मिलते हैं. जैसे हीमोग्लोबिन कम होने से थकान होना. शरीर से पानी न निकल पाने के कारण सूजन आ जाना. यूरिया और क्रिएटिनिन बढ़ने से उल्टी जैसा महसूस होना. ऐसे में ये सारे लक्षण किडनी से जुड़े हो सकते हैं.

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किडनियों की देखभाल ज़रूरी है, वरना ट्रांसप्लांट कराने की नौबत भी आ सकती है 

अपनी किडनी का ख़्याल कैसे रखें?

अपनी किडनी का ख़्याल रखना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए कुछ बातों की जानकारी होनी चाहिए. अगर किसी को डायबिटीज़ है, तो शुगर कंट्रोल में रखें. किडनी ख़राब होने का एक बड़ा कारण डायबिटीज़ है. लोगों को लगता है कि अगर लक्षण नहीं हैं, तो डायबिटीज़ कंट्रोल में है. ऐसा नहीं होता है. शुगर लेवल चेक करना और उसे कंट्रोल में रखना ज़रूरी है. 

किडनी ख़राब होने का दूसरा सबसे अहम कारण ब्लड प्रेशर है. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना भी ज़रूरी है. शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने से किडनी की बीमारियों से बचा जा सकता है या किडनी की बीमारी को कंट्रोल में रखा जा सकता है. 

अगर घर में किडनी की बीमारी की हिस्ट्री रही है, तो व्यक्ति को फैमिलियल किडनी डिज़ीज़ होने का ख़तरा रहता है. यानी किडनी की वो बीमारी दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है. इसके लिए रेगुलर चेकअप कराना और किडनी की दवाएं लेना ज़रूरी है. 

अगर कोई ओवर-द-काउंटर दवा लेते हैं. माने बिना डॉक्टर के पर्चे के खरीदी जा सकने वाली दवा. जैसे चोट लगने, बुखार आने या सिरदर्द होने पर लोग पेनकिलर ले लेते हैं या कोई भी दवा मेडिकल स्टोर से जाकर ले लेते है, ये नहीं करना है. ज़्यादा पेनकिलर खाने से भी किडनी ख़राब हो सकती है. वहीं अगर कोई सिगरेट पीता है या तंबाकू खाता है, तो ये छोड़ना पड़ेगा. हेल्दी लाइफस्टाइल, अच्छा खानपान और रोज़ एक्सरसाइज़ करके किडनी की बीमारियों से बचा जा सकता है.

किडनी की सेहत जांचने के लिए कौन-से टेस्ट करवाएं?

पहला टेस्ट है GFR यानी ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट. इसमें क्रिएटिनिन का लेवल जांचकर किडनी की फिल्ट्रेशन क्षमता का अंदाज़ा लगाया जाता है

दूसरा टेस्ट है यूरिन एल्ब्यूमिन-क्रिएटिनिन रेश्यो यानी Urine ACR (uACR). 

तीसरा टेस्ट है इमेजिंग टेस्ट. जैसे किडनी, यूरेटर, ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound KUB). अगर ये तीनों टेस्ट करा लिए, तो लगभग 90% किडनी की बीमारियों की पहचान हो सकती है. इसके बाद डॉक्टर आगे के टेस्ट और इलाज तय करते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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