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बर्थ कंट्रोल पिल्स से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कितना ज्यादा?

The New England Journal Of Medicine में छपी स्टडी के मुताबिक, हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन से ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा थोड़ा बढ़ सकता है.

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बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल प्रेग्नेंसी रोकने में होता है (फोटो: Freepik)

कॉन्ट्रासेप्शन यानी गर्भ निरोध. इनका इस्तेमाल प्रेग्नेंसी रोकने में होता है. मार्केट में कॉन्ट्रासेप्शन के कई विकल्प मौजूद हैं. जैसे गोलियां, कॉपर टी, नसबंदी और कॉन्डम. अब इनमें से गर्भ निरोधक गोलियों को ‘ब्रेस्ट कैंसर’ के रिस्क से जोड़कर देखा जाता है.

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गर्भ निरोधक गोलियों को ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स या बर्थ कंट्रोल पिल्स भी कहते हैं.

एक मेडिकल जर्नल है. The New England Journal Of Medicine. साल 2017 में इसमें एक स्टडी छपी. इस स्टडी के मुताबिक, हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन से ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा थोड़ा बढ़ सकता है. 

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हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन यानी गर्भ निरोध के ऐसे तरीके, जो शरीर में कुछ खास हॉर्मोन की सप्लाई करके प्रेग्नेंसी रोकते हैं. यही हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं. पर ये रिस्क कितना ज़्यादा है? यही पता करेंगे आज.

डॉक्टर से जानेंगे कि क्या बर्थ कंट्रोल पिल्स खाने से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर है या कभी हुआ है, क्या वो बर्थ कंट्रोल पिल्स खा सकते हैं. बर्थ कंट्रोल पिल्स के विकल्प क्या हैं. सबसे ज़रूरी…ब्रेस्ट कैंसर होने की दूसरी वजहें क्या हैं. और ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट करा सकते हैं. 

क्या बर्थ कंट्रोल पिल्स खाने से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है?

ये हमें बताया डॉक्टर ज्योति मेहता ने. 

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dr jyoti mehta
डॉ. ज्योति मेहता, कंसल्टेंट, रेडिएशन एंड क्लीनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, टीजीएच ऑन्कोलाइफ कैंसर सेंटर

हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन जैसे कंबाइंड पिल्स, प्रोजेस्टिन-ओनली पिल्स या हॉर्मोनल इंट्रायूटरिन डिवाइस (IUD) से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क थोड़ा बढ़ सकता है. खासकर उन महिलाओं में, जो अभी हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन ले रही हैं या हाल ही में लेना बंद किया है. ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क लगभग 20–24% तक बढ़ सकता है. वहीं, प्रोजेस्टिन-ओनली पिल्स से ये रिस्क 20–30% तक बढ़ सकता है. लेकिन ध्यान रहे कि बर्थ कंट्रोल पिल्स से ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क बहुत कम होता है. इसलिए इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है.

जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर है या पहले हुआ है, वो बर्थ कंट्रोल पिल्स खा सकते हैं?

- अगर किसी महिला को पहले ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है.

- खासकर अगर ट्यूमर हॉर्मोन-सेंसिटिव प्रकार का रहा है.

- तब उन्हें हॉर्मोन बेस्ड कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स नहीं लेनी चाहिए.

- उनके लिए नॉन-हॉर्मोनल तरीके जैसे कॉपर इंट्रायूटरिन डिवाइस या कॉन्डम बेहतर विकल्प हैं.

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ब्रेस्ट कैंसर से बचना है तो सेल्फ ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन बहुत ज़रूरी है (फोटो: Freepik)

ब्रेस्ट कैंसर के दूसरे कारण और ज़रूरी टेस्ट

ब्रेस्ट कैंसर होने के कुछ दूसरे कारण भी हो सकते हैं.

पहला कारण हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन. देखा गया है कि इनसे ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है.

दूसरा कारण: BRCA1 और BRCA2 जैसे जीन्स में बदलाव. अगर परिवार में इन जीन्स की गड़बड़ी है, तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है.

तीसरा कारण: लाइफस्टाइल. अगर कोई महिला बहुत ज़्यादा शराब पीती है. वज़न बहुत बढ़ा हुआ है. फिज़िकल एक्टिविटी कम है. तब उनमें ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है. 

आप महीने में एक बार खुद अपने ब्रेस्ट की जांच कर सकते हैं. इसे सेल्फ ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन कहते हैं.

दूसरा है क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन. इसमें डॉक्टर आपके ब्रेस्ट की जांच करते हैं.

तीसरा है मेमोग्राफी टेस्ट. ये टेस्ट आमतौर पर 40 साल के बाद कराने की सलाह दी जाती है. अगर मेमोग्राफी करवानी है, तो पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें.

चौथा है जेनेटिक टेस्टिंग. अगर परिवार में BRCA जीन्स का बदलाव है या कैंसर की हिस्ट्री रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर आप जेनेटिक टेस्टिंग करा सकते हैं

World Health Organization यानी WHO के मुताबिक, हमारे देश में कैंसर के जितने भी मामले आते हैं. उनमें सबसे ज़्यादा ब्रेस्ट कैंसर के ही होते हैं. सबसे ज़्यादा जान भी ब्रेस्ट कैंसर की वजह से ही जाती हैं. इसलिए अपने ब्रेस्ट में आए किसी भी बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें. अगर ब्रेस्ट में कहीं दर्द हो, गांठ महसूस हो, सूजन लगे तो बिना देर किए डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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