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'वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग' है कोरोना का NB.1.8.1 वेरिएंट, जानिए कितना डरना चाहिए?

Ministry Of Health And Family Welfare के मुताबिक, 26 मई तक देश में कोविड-19 के 1010 एक्टिव मामले हैं. सबसे ज़्यादा मामले केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात से रिपोर्ट किए गए हैं. इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

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कोरोना का नया वेरिएंट भारत में फैल रहा है

भारत समेत एशिया के कई देशों में कोरोनावायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. Ministry Of Health And Family Welfare के मुताबिक, 26 मई तक देश में कोविड-19 के 1010 एक्टिव मामले हैं. सबसे ज़्यादा मामले केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात से रिपोर्ट किए गए हैं. इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हर राज्य कोविड-19 से निपटने के लिए अपने स्तर पर तैयारी भी कर रहा है. 

इस बीच World Health Organization यानी WHO ने कोरोनावायरस के एक वेरिएंट NB.1.8.1 को VUM यानी Variant Under Monitoring घोषित किया है. इसके क्या मायने हैं? ये हमने पूछा एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद में रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के डायरेक्टर एंड हेड डॉक्टर मानव मनचंदा से.

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डॉ. मानव मनचंदा, डायरेक्टर एंड हेड, रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर, एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर मानव कहते हैं कि NB.1.8.1 को Variant Under Monitoring की कैटेगरी में रखा गया है. इसका मतलब है कि इस वेरिएंट के बढ़ते मामलों और लक्षणों पर लगातार नज़र रखी जा रही है. राहत की बात ये है कि NB.1.8.1 Variant Of Concern नहीं है. यानी इस वेरिएंट से घबराने की ज़रूरत नहीं है. ये अभी कोई बड़ी परेशानी पैदा नहीं कर रहा. लोगों को केवल सतर्क रहने की ज़रूरत है.

अब तक ऐसा देखा गया है कि ये वेरिएंट, कोरोनावायरस के दूसरे वेरिएंट्स की तुलना में तेज़ी से फैलता है. लेकिन ये दूसरे वेरिएंट्स जितना गंभीर नहीं है.

भारत में NB.1.8.1 वेरिएंट का पहला मामला तमिलनाडु में मिला था. अप्रैल के महीने में. इसके लक्षण कोरोनावायरस के पुराने वेरिएंट्स जैसे ही हैं. जैसे खांसी आना, गले में खराश, थकान, सांस लेने में परेशानी और बुखार.

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कोविड-19 से जुड़े लक्षण हों, तो तुरंत मास्क लगाएं और डॉक्टर से मिलें

इस वेरिएंट से बचने के लिए शारीरिक दूरी बनाएं. भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाकर जाएं. हाथ धोते रहें. सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करें. 

अगर कोविड-19 के लक्षण दिखें, तो तुरंत दूसरों से दूरी बना लें और RT-PCR टेस्ट करवाएं. अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो इलाज लें. ऐसे लोग ख़ास ख्याल रखें, जिनकी इम्यूनिटी किसी वजह से कमज़ोर है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: हर कुछ वक्त में फिर क्यों फैलने लगता है कोविड-19?