कोई महिला प्रेग्नेंट है या नहीं, ये जानने के लिए होम प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए टेस्ट स्ट्रिप पर यूरिन की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. कुछ मिनट बाद इस स्ट्रिप पर एक या दो लाइंस उभर आती हैं. एक लाइन यानी प्रेग्नेंसी नहीं है. दो लाइन्स यानी महिला प्रेग्नेंट है.
प्रेग्नेंसी टेस्ट किट पुरुष इस्तेमाल करे और वो पॉजिटिव आ जाए तो क्या करें?
दरअसल कई साल पहले ऐसा एक मामला सामने आया था. एक आदमी ने मज़ाक-मज़ाक में प्रेग्नेंसी टेस्ट किया और वो पॉज़िटिव आ गया. बाद में डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि उसके टेस्टिकल यानी अंडकोष में ट्यूमर था.
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आजकल इस प्रेग्नेंसी टेस्ट किट को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बातें हो रही हैं. कई रील्स वायरल हो रही हैं. मुद्दा ये कि अगर कोई पुरुष ये टेस्ट करता है और उसका रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो ये डरने वाली बात क्यों है.
दरअसल कई साल पहले ऐसा एक मामला सामने आया था. एक आदमी ने मज़ाक-मज़ाक में प्रेग्नेंसी टेस्ट किया और वो ‘पॉज़िटिव’ आ गया. बाद में डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि उसके टेस्टिकल यानी अंडकोष में ट्यूमर था. अब सवाल ये है कि अंडकोष में ट्यूमर या कैंसर का पता प्रेग्नेंसी टेस्ट से कैसे चलता है?

पीएसआरआई हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. अमित उपाध्याय कहते हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट किट, शरीर में मौजूद एक खास हॉर्मोन की पहचान करती है. इस हॉर्मोन का नाम है, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन यानी hCG. महिला के प्रेग्नेंट होने पर उसके खून और यूरिन में hCG हॉर्मोन का लेवल तेज़ी से बढ़ता है.
प्रेग्नेंसी टेस्ट किट में एंटीबॉडीज़ होती हैं, जो hCG हार्मोन की पहचान करती हैं. जब महिला के यूरिन में hCG हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, तो ये किट में मौजूद केमिकल से रिएक्ट करता है. इससे टेस्ट स्ट्रिप का रंग बदल जाता है. अगर स्ट्रिप पर मौजूद दोनों लाइंस का रंग उभर आता है, तो महिला प्रेग्नेंट है.
रही बात किसी आदमी का प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉज़िटिव आने की. ये कभी-कभार टेस्टिकुलर कैंसर से जुड़ा हो सकता है. टेस्टिकुलर कैंसर, पुरुषों के टेस्टिस यानी अंडकोष में होता है. आमतौर पर एक ही अंडकोष में. लेकिन कभी-कभी ये दोनों अंडकोषों में भी हो सकता है.
कुछ तरह के टेस्टिकुलर कैंसर होने पर शरीर में hCG हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है. ऐसे में जब कोई आदमी प्रेग्नेंसी टेस्ट करता है. तब उसका रिज़ल्ट भी पॉज़िटिव आ सकता है.
लेकिन टेस्टिकुलर कैंसर पता लगाने का ये कोई असरदार तरीका नहीं है. क्योंकि हर मरीज़ में hCG नहीं बढ़ता. इस वजह से टेस्टिकुलर कैंसर के हर मामले में प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉज़िटिव नहीं आता.

कई बार ऐसा भी होता है कि आदमी का प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉज़िटिव आ जाता है. लेकिन वजह टेस्टिकुलर कैंसर नहीं होती. ऐसा पेशाब में प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा होने, खून आने या कुछ दवाओं के असर से भी हो सकता है. इसलिए टेस्टिकुलर कैंसर का पता लगाने के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट न करने बैठ जाएं. बल्कि इस कैंसर से जुड़े लक्षणों को पहचानें. जैसे टेस्टिस यानी अंडकोष में भारीपन लगना. छूने पर वहां गांठ महसूस होना. कई बार इस गांठ में कोई दर्द नहीं होता है.
हर पुरुष को 15 दिन या महीने में एक बार अपने टेस्टिस को महसूस करना चाहिए. चेक करें कि टेस्टिस में कठोरता या गांठ तो नहीं है. अगर गांठ है तो कैंसर का चांस हो सकता है.
World Health Organization की एजेंसी है International Agency For Research On Cancer. इसके GLOBOCAN डेटाबेस के मुताबिक, 2022 में करीब साढ़े 4 हज़ार भारतीयों को टेस्टिकुलर कैंसर हुआ था और हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
अगर किसी को अंडकोष में गांठ महसूस हो, तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट से मिलें. डॉक्टर एक स्कैन और ब्लड टेस्ट करेंगे. इन रिपोर्ट्स से पता चलेगा कि कैंसर है या नहीं. अगर टेस्टिकुलर कैंसर निकलता है, तो उसका इलाज होगा. अक्सर टेस्टिकुलर कैंसर जानलेवा नहीं होता. करीब 95% से ज़्यादा मरीज़ ठीक हो जाते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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