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कैसे की जाती है एंजियोग्राफी? क्या इसे कराते वक्त हार्ट अटैक पड़ सकता है?

एंजियोग्राफी दिल से जुड़ा एक टेस्ट है. इससे तय किया जाता है कि मरीज़ को दवाई देनी है, सर्जरी करनी है या स्टेंट डालना है.

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एंजियोग्राफी से हार्ट अटैक पड़ना रेयर है

हमारा दिल. शरीर का सबसे ज़रूरी अंग. ये रुक जाए तो सांसें थम जाती हैं. इसलिए, दिल का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है. दिल सेफ रहेगा तो हार्ट अटैक और दूसरी बीमारियां होने के चांस भी घट जाएंगे. अब दिल से जुड़े कुछ खास टेस्ट के नाम आपने अक्सर सुने होंगे. जैसे ECG. 2D echo. ट्रेडमिल स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम और एंजियोग्राफी. ये सारे टेस्ट दिल का हाल बताते हैं.

इनमें से, एंजियोग्राफी से जुड़ी कुछ बातें अक्सर चलती रहती हैं. जैसे एंजियोग्राफी के दौरान हार्ट अटैक पड़ सकता है. जान जाने का रिस्क है. अब क्या वाकई ऐसा होता है. ये डॉक्टर साहब से जानेंगे. समझेंगे कि एंजियोग्राफी क्या है. ये कैसे की जाती है. क्या एंजियोग्राफी से हार्ट अटैक पड़ सकता है. और, कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए क्या करें.

एंजियोग्राफी क्या है?

ये हमें बताया डॉक्टर (प्रो) पुरुषोत्तम लाल ने.

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डॉ. (प्रो) पुरुषोत्तम लाल, पद्म विभूषण, चेयरमैन, मेट्रो हॉस्पिटल्स

एंजियोग्राफी को कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary Angiography) भी कहते हैं. इसमें दिल की तीनों धमनियों (Arteries) की जांच की जाती है, ये पता लगाने के लिए कि कहीं ब्लॉकेज तो नहीं है. अगर आर्टरी में ब्लॉकेज हो तो एंजाइना (सीने में दर्द) हो सकता है. अगर आर्टरी पूरी तरह बंद हो जाए तो हार्ट अटैक का ख़तरा रहता है. कोरोनरी एंजियोग्राफी से ये तय किया जाता है कि मरीज़ को दवाई देनी है, सर्जरी करनी है या स्टेंट डालना है.

एंजियोग्राफी कैसे की जाती है?

एंजियोग्राफी ज़्यादातर ग्रोइन एरिया से की जाती है (ग्रोइन एरिया शरीर का वो हिस्सा है जहां पेट और जांघ मिलते हैं). ग्रोइन में एक नस होती है जिसे फेमरल आर्टरी कहते हैं. वहां से एक पतली ट्यूब डाली जाती है, इस ट्यूब को कैथेटर कहते हैं. इसे दिल की मुख्य नस, लेफ्ट मेन आर्टरी तक ले जाया जाता है. फिर इसमें डाई डाली जाती है. इसे कंट्रास्ट मैटेरियल भी कहते हैं. 

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एंजियोग्राफी में डाई का इस्तेमाल किया जाता है

ये डाई बताती है कि दिल की आर्टरीज़ में ब्लॉकेज कहां है. जहां ब्लॉकेज होता है, वहां डाई नहीं पहुंचती, जिससे ब्लॉकेज का पता चलता है. इस पूरी प्रक्रिया को एंजियोग्राफी कहा जाता है. आजकल ज़्यादातर रेडियल एंजियोग्राफी की जाती है. रेडियल एंजियोग्राफी को दाएं या बाएं हाथ की रेडियल आर्टरी के जरिए किया जाता है. इस प्रक्रिया में भी डाई डाली जाती है और दिल की तीनों आर्टरी की जांच की जाती है. 

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एंजियोग्राफी से दिल की कुछ कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं

क्या एंजियोग्राफी से हार्ट अटैक पड़ सकता है?

कुशलता से की जाए तो एंजियोग्राफी से हार्ट अटैक पड़ना बहुत रेयर है. अगर एंजियोग्राफी के दौरान गलती से हवा इंजेक्ट कर दी जाए तो गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. अगर कैथेटर को आर्टरी में बहुत अंदर डाला जाए, तो भी कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं. कुल मिलाकर, ये एक आसान प्रक्रिया है. इससे हार्ट अटैक नहीं पड़ता है. हालांकि, अगर खून का थक्का बन चुका है और हार्ट अटैक शुरू हो चुका हो, तो एंजियोग्राफी के दौरान स्थिति बिगड़ सकती है. लेकिन, अगर एंजियोग्राफी सही तरीके से की जाए, तो इससे हार्ट अटैक नहीं होता. 

कॉम्प्लिकेशंस से बचने के लिए क्या करें?

एंजियोग्राफी में कुछ कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं. जैसे अगर डाई ज़्यादा दी जाए, तो किडनी डैमेज हो सकती है. अगर कैथेटर को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इंजरी हो सकती है. इन सब समस्याओं से बचने के लिए एंजियोग्राफी को बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए. बेसिक टेस्ट जैसे किडनी फंक्शन टेस्ट, हीमोग्लोबिन टेस्ट, और सभी सामान्य रूटीन टेस्ट किए जाने चाहिए. अगर सभी टेस्ट सही से हों तो एंजियोग्राफी से कोई बड़ी दिक्कत नहीं होती.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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