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कोरोना वैक्सीन की वजह से युवाओं को दिल का दौरा पड़ रहा? AIIMS की स्टडी में सब साफ हो गया

पिछले कुछ सालों में युवाओं में हार्ट अटैक और अचानक मौत के मामले बढ़े हैं. लोगों ने ऐसी घटनाओं का कसूरवार ठहराया कोविड और कोविड-19 वैक्सीन को. लेकिन क्या वाकई बढ़ते हार्ट अटैक और मौतों के पीछे कोविड-19 वैक्सीन का हाथ है?

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कोविड-19 वैक्सीन सेफ है (फोटो: Freepik)

37 साल का इंसान जिम में एक्सरसाइज कर रहा है, अचानक हार्ट अटैक और मौत.

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23 साल की महिला एक फंक्शन में डांस कर रही है, अचानक हार्ट अटैक और मौत.

आजकल ऐसी ख़बरें आप लगातार सुन रहे हैं. पढ़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में युवाओं में हार्ट अटैक और अचानक मौत के मामले बढ़े हैं. खासकर कोविड-19 महामारी के बाद.

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लोगों ने ऐसी घटनाओं का कसूरवार ठहराया कोविड और कोविड-19 वैक्सीन को. लेकिन क्या वाकई बढ़ते हार्ट अटैक और मौतों के पीछे कोविड-19 वैक्सीन का हाथ है? 
All India Institute of Medical Sciences यानी AIIMS ने अपनी लेटेस्ट स्टडी में इस धारणा को सिरे से नकार दिया है, .

नई स्टडी से पता चला है कि युवाओं में अचानक मौत और कोविड-19 वैक्सीन का कोई सीधा संबंध नहीं है. अचानक मौतें कोरोना की वैक्सीन लगवाने से नहीं, बल्कि कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की वजह से हो रही हैं.

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कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ में दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनियां पतली या फिर ब्लॉक हो जाती हैं (फोटो: Freepi)

कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ दिल की एक बीमारी है. इसमें दिल तक खून पहुंचाने वाली आर्टरीज़ यानी धमनियां पतली हो जाती हैं या ब्लॉक हो जाती हैं. ऐसा आर्टरीज़ में प्लाक जमने से होता है. इससे खून की पर्याप्त मात्रा दिल तक नहीं पहुंच पाती और हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है.

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AIIMS की ये स्टडी Indian Council of Medical Research यानी ICMR की जर्नल Indian Journal of Medical Research में 8 दिसंबर 2025 को छपी है. इस स्टडी का टाइटल है- Burden of sudden death in young adults: A one-year observational study at a tertiary care centre in India.

ये स्टडी AIIMS, नई दिल्ली के पैथोलॉजी और फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में हुई है. मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच. इस दौरान Sudden Death यानी अचानक हुई मौतों के जितने भी मामले फॉरेंसिक मॉर्चुरी में आए, उन्हें इस स्टडी में शामिल किया गया. हालांकि जिनकी मौत एक्सीडेंट, ज़हर, नशे की लत, हत्या, खुद की जान लेने या किसी गंभीर बीमारी से हुई. उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है.

मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच कुल 2,214 मामले आए. इनमें से 180 मामले अचानक हुई मौत से जुड़े थे. 180 में से 130 लोग, 18 से 45 साल के बीच थे. बचे 77 लोग, 46 से 65 साल के बीच थे.

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सभी मृतकों की अटॉप्सी और तमाम जांचें की गईं (फोटो: Freepik)

सभी मृतकों की वर्बल अटॉप्सी, पोस्टमॉर्टम इमेजिंग, कनवेंशनल यानी पारंपरिक अटॉप्सी और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच की गई.

वर्बल अटॉप्सी में मृतकों के करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों से बात करके जाना गया कि मौत किन परिस्थितियों में हुई. उनकी मेडिकल हिस्ट्री क्या थी. कोविड-19 हुआ था या नहीं. कोविड की वैक्सीन लगी थी या नहीं. नशे की आदत थी या नहीं. ऐसी सभी चीज़ें पूछी गईं. फिर मृतकों की वर्चुअल अटॉप्सी की गई. यानी बिना चीरा लगाए CT Scan और MRI जैसी टेक्नीक्स से मौत की वजह पता लगाना. इसके बाद पारंपरिक अटॉप्सी भी हुई. यानी चीरा लगाकर.

मृतकों के जिन-जिन अंगों में दिक्कत या बीमारी देखी गई, उन सभी से टिशू यानी ऊतकों के नमूने लिए गए. इन्हें एक ऑटोमैटिक मशीन में रातभर प्रोसेस किया गया. उनकी अच्छे से जांच की गई. आखिर में, डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की टीम ने मिलकर सभी मामलों की जांच की और नतीजे पर पहुंची.

पता चला कि अचानक मौतों की सबसे बड़ी वजह दिल से जुड़ी बीमारियां हैं. खासकर कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़. दूसरे नंबर पर सांस से जुड़ी बीमारियां थीं.

कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ क्या है, इससे बचाव और इसका इलाज क्या है, ये हमने पूछा, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, डॉक्टर अमर सिंघल से.

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डॉ. अमर सिंघल, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली

डॉक्टर अमर कहते हैं कि कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ धमनियों में प्लाक जमने की वजह से होता है. प्लाक की वजह से धमनियां पतली हो जाती हैं और खून का फ्लो कम हो जाता है. अब अगर ये प्लाक टूट जाए तो खून का थक्का बन सकता है. इससे धमनी में पूरी तरह ब्लॉकेज आ सकता है, और दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ सकता है.

जो लोग तंबाकू, सिगरेट पीते हैं, बहुत ज़्यादा तला-भुना खाते हैं, जिन्हें डायबिटीज़ या हाई बीपी है, जिनका कोलेस्ट्रॉल हाई रहता है. जो मोटापे से जूझ रहे हैं. या जो बिल्कुल भी फिज़िकल एक्टिविटी नहीं करते. उनमें प्लाक जमा होने और उससे जुड़ी बीमारियां होने का रिस्क ज़्यादा है.

कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ होने में सालों लगते हैं. इसलिए लक्षण भी देर से दिखना शुरू होते हैं. अगर आपके सीने में दर्द हो. भारीपन लगे. सांस फूले. घबराहट हो. जल्दी थकान होने लगे, तो आपको  डॉक्टर के पास ज़रूर जाना चाहिए. वो कुछ टेस्ट करके पता लगाएंगे, कि कहीं आपको कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ तो नहीं है.

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कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ का इलाज स्टेंट डालकर किया जा सकता है (फोटो: Freepik)

अगर बीमारी निकलती है, तो आगे दवाइयां, स्टेंट या सर्जरी से इलाज किया जाएगा.

लेकिन, बीमारी से बेहतर है बचाव. कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ से बचना है तो लाइफस्टाइल सुधारना होगा. आपको स्मोकिंग छोड़नी पड़ेगी. शराब और जंक फूड से दूरी बनानी होगी. हेल्दी खाना होगा. रोज़ एक घंटा एक्सरसाइज़ करनी होगी. ताकि आप फिट रहें. और आपका वज़न कंट्रोल में रहे.

साथ ही, डायबिटीज़, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें और अपनी दवाएं टाइम पर लें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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