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बेलपत्र चढ़ाकर पास कराने वाले कथावाचक प्रदीप मिश्रा का बेटा सच में फेल हुआ या झूठ फैलाया गया?

सोशल मीडिया पर कथावाचक प्रदीप मिश्रा के बेटे से जुड़ा दावा वायरल हो रहा है. दावा है कि प्रदीप मिश्रा का बेटा आठवीं क्लास में फेल हो गया है.

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प्रदीप मिश्रा से जुड़ी अखबार की कटिंग वायरल.

 

दावा

अप्रैल महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया पर कथावाचक प्रदीप मिश्रा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. प्रदीप मिश्रा का दावा था कि

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अगर किसी बच्चे ने साल भर पढ़ाई नहीं की और उसे लग रहा है कि वो पास नहीं होगा. तो बच्चे से बेलपत्र पर शहद लगाकर शिवलिंग पर लगा देना, बच्चा पास हो जाएगा.

इसके बाद सोशल मीडिया यूज़र्स ने अलग-अलग तरह के रिएक्शन्स दिए थे. किसी ने इसे अवैज्ञानिक बताया तो किसी ने प्रदीप मिश्रा के बहिष्कार की बात कही थी.

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अब इन्हीं प्रदीप मिश्रा से जुड़ा एक दावा जमकर वायरल हो रहा है. वायरल दावे में एक अखबार की कटिंग है जिसकी हेडिंग है.

पंडित प्रदीप मिश्रा का बेटा 8वीं में हो गया फेल!

इस कटिंग के आधार पर सोशल मीडिया यूज़र्स कथावाचक प्रदीप मिश्रा पर कटाक्ष कर रहे हैं.

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ट्विटर यूज़र काश/if Kakvi ने अखबार की कटिंग शेयर कर लिखा, (आर्काइव)

“अगर बच्चे ने किसी विषय में साल भर पढ़ाई नहीं कि तो बेलपत्र पर शहद लगाकर बच्चे से शिवलिंग पर चिपकवा देना वो पास हो जाएगा” का ज्ञान देने वाले कथावाचक प्रदीप मिश्रा का पुत्र 8वी फेल हो गया.

इसके अलावा कई और सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इसी तरह के वायरल दावे किए हैं. साथ ही जी न्यूज़ समेत कई मीडिया संस्थानों ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है.

News Social Media

पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ ने कथावाचक प्रदीप मिश्रा से जुड़े वायरल दावे की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. प्रदीप मिश्रा के बेटे आठवीं में फेल नहीं बल्कि पास हुए हैं. फिलहाल वह नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं.

सबसे पहले हम आपको बता दें कि बच्चे के नाबालिग होने के चलते हम उसकी पहचान उजागर नहीं कर सकते हैं. वायरल दावे को जब हमने फेसबुक पर सर्च किया तो हमें प्रदीप मिश्रा के बेटे जुड़ी कुछ अहम जानकारी मिली. एक फेसबुक यूज़र अर्पित मिश्रा ने दावे की सफाई पर एक पोस्ट लिखते हुए बताया,

प. प्रदीप जी मिश्रा जी के संबध में उनके पुत्र के 8वीं क्लास में फेल होने का प्रचार किया जा रहा हैं, जो निंदनीय है. वह पास हुआ है, रिपोट कार्ड आप सब के सामने है इस तरह का गलत प्रचार बंद करें. आदरणीय पं.जी ने सिहोर का नाम देश विदेश में अपनी ओजस्वी वाणी से मशहूर किया और कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं, वह बंद होना चाहिए.

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अर्पित मिश्रा के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

अर्पित ने अपने पोस्ट में प्रदीप मिश्रा के बेटे का रिपोर्ट कार्ड भी अपलोड किया है. इस रिपोर्ट कार्ड पर स्कूल का नाम शारदा विद्या मंदिर लिखा है. यहां से क्लू लेकर हमने शारदा विद्या मंदिर सीहोर में संपर्क करने की कोशिश की. इस दौरान हमारी बात प्रदीप मिश्रा के बेटे के क्लास टीचर गौरव शर्मा से बात हुई. गौरव के मुताबिक,

‘कथावाचक प्रदीप मिश्रा के बेटे फेल होने की बात सिर्फ अफवाह है. फाइनल रिजल्ट में टर्म-2 के नंबरों को आधार बनाया जाता है. इसी टर्म-2 के दो पेपर्स, मैथ और सोशल साइंस में प्रदीप मिश्रा के बेटे के नंबर कम थे. इसके बाद उन्हें री-एग्जाम देना पड़ा और उसमें वो पास हो गए. राइट टू एजुकेशन एक्ट भी यही कहता है कि नंबर अगर कम हैं तो री-एग्जाम का मौका मिलेगा. कुछ लोगों ने इसी री-एग्जाम को फेल बताकर भ्रामक खबर फैलाई. प्रदीप मिश्रा के पुत्र समेत कुल दस बच्चों ने री-एग्जाम दिए थे. प्रदीप के बेटे अभी नौंवी कक्षा में पहुंच चुके हैं और मैं अभी भी उनका क्लास टीचर हूं.’

इसके अलावा स्कूल के को-ऑर्डिनेटर यश सेन ने लल्लनटॉप से प्रदीप मिश्रा के बेटे की मार्कशीट भी शेयर की. मार्कशीट में साफ तौर पर लिखा है कि प्रदीप मिश्रा के बेटे आठवीं से नौवीं क्लास में पहुंच चुके हैं.

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प्रदीप मिश्रा के बेटे का रिजल्ट

घटना के बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमने मध्य प्रदेश में मौजूद इंडिया टुडे के संवाददाता रवीश पाल सिंह से संपर्क किया. रवीश ने भी वायरल खबर को फर्जी बताया. उनका कहना था कि स्थानीय कांग्रेस नेता पंकज शर्मा ने इस खबर को फैलाया था.

हमने इसके बाद सीहोर में कांग्रेस नेता पंकज शर्मा से भी संपर्क किया. पंकज शर्मा ने बताया,

‘पहली बार में प्रदीप मिश्रा का बेटा फेल हो गया था लेकिन री-एग्जाम में पास हुआ. मैंने री-एग्जाम से पहले वाले पेपर में फेल होने पर सवाल उठाए थे.’

क्या कहता है राइट टू एजुकेशन एक्ट (RTE)?

राइट टू एक्ट में भी इस बात का जिक्र है कि यदि कोई बच्चा पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं में फेल होता है तो उसे री-एग्जाम के जरिए एक और मौका दिया जाएगा. बच्चा री-एग्जाम में पास हुआ तो ठीक और अगर फेल हुआ तो फिर सरकार यह तय करती है कि उसे आगे की क्लास में जाने दिया जाए या नहीं.

Rte Act
RTE Act

नतीजा

हमारी पड़ताल में कथावाचक प्रदीप मिश्रा के बेटे को लेकर किया जा रहा दावक भ्रामक निकला. प्रदीप मिश्रा के बेटे को गणित और सोशल साइंस में आवश्यक नंबरों से कम नंबर मिले थे. इसके बाद उन्हें री-एग्जाम देना पड़ा था और वो पास हो गए थे. स्कूल के मुताबिक, प्रदीप मिश्रा के बेटे पिछले साल आठवीं के छात्र थे और अभी नौवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं.

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