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'पुलवामा हमला बीजेपी की सोची समझी साजिश थी', वायरल बयान की ये है कहानी

दावे के मुताबिक, पुलवामा हमला सुनियोजित था.

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वायरल दावे का स्क्रीनशॉट.
दावा

सोशल मीडिया पर एक अख़बार की ख़बर का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. इसको नत्थी करके भेजे जा रहे मैसेज के मुताबिक, पुलवामा हमला सुनियोजित था और विंग कमांडर अभिनंदन ने पुलवामा हमले को बीजेपी की साज़िश बताया है.

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क्या है दावा? 

किसी अख़बार में छपी ख़बर की कतरन का फोटो लिया गया है. इसके एक किनारे विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीर है. बगल में एक स्टेटमेंट छपा. जैसे बयान छपते हैं, उसी स्टाइल में. इसमें लिखा है-

पुलवामा हमला बीजेपी की सोची-समझी साज़िश थी और पाकिस्तान पर नकली हमला करवाया. मोदी को चुनाव जीतने के लिए इमरान खान मदद कर रहा है. बालाकोट पर बमबारी इमरान खान की सहमति से हुई है.

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अख़बार की ख़बर का स्क्रीनशॉट.
पड़ताल

जो स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है वो असल में दैनिक जागरण में छपी ख़बर से जुड़ा हुआ है. जागरण के फैक्ट-चेक विंग विश्वास न्यूज़ ने एक वायरल मेसेज की पड़ताल की थी. दावा था कि विंग कमांडर अभिनंदन ने पुलवामा हमले को बीजेपी की सोची-समझी साज़िश बताया है. इसके मुताबिक, एस एम मुजम्मिल कुरैशी नाम के एक फेसबुक यूज़र ने 13 मई, 2019 को विंग कमांडर का बयान बताकर ये पोस्ट शेयर की थी. पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- 

छुपा हुआ सच. यहां से फिर ये मेसेज सब जगह फैलने लगा. विश्वास न्यूज ने फैक्ट चेक में पाया कि ये पोस्ट फर्ज़ी है. अभिनंदन ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है.

ये है विश्वास.न्यूज की उस खबर का स्क्रीनशॉट
दैनिक जागरण में छपी ख़बर का स्क्रीनशॉट.

अब हुआ क्या कि अखबार ने जब इस फैक्ट चेक को छापा, तो उस फर्ज़ी पोस्ट को एक अलग बॉक्स में डाल दिया. आमतौर पर अख़बार में इसी शैली में ख़बरें छपती हैं. कुछ लोगों इतने ने उस बॉक्स वाले हिस्से को काट लिया और उसे फिर से सोशल मीडिया के हवाले कर दिया. ये कहकर कि देखो, अख़बार ने भी छाप दिया है अभिनंदन का बयान. मतलब जिस पोस्ट को फर्ज़ी बताने वाली ख़बर की अखबार ने, उसी को लोगों ने फेक न्यूज़ फैलाने का हथियार बना लिया.

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नतीजा

कुल मिलाकर विंग कमांडर अभिनंदन के सहारे जो स्क्रीनशॉट फैलाया जा रहा है वो अधूरा है. अख़बार में वायरल दावे का फैक्ट-चेक किया गया था. लेकिन कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने फैक्ट-चेक के एक हिस्से को काटकर गलत संदर्भ में फैला दिया.

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