दावा
सोशल मीडिया पर स्वतंत्र पत्रकार अजीत अंजुम से जुड़ा एक दावा शेयर किया जा रहा है. एक वायरल वीडियो को शेयर कर लोग दावा कर रहे हैं कि पत्रकार अजीत अंजुम के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मारपीट की. सुदर्शन टीवी के पत्रकार गौरव मिश्रा ने वायरल वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है-"अजीत अंजुम को किसानों ने धोया एक्सक्लुसिव तस्वीरें देखिये इस क्रांतिकारी पत्रकार के स्वागत की....."
"क्रांतिकारी पत्रकार अजीत अंजुम को किसानों ने धोया एक्सक्लुसिव तस्वीरें. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं"
(आर्काइव लिंक) इसी तरह के बाकी दावे आप यहां और यहां भी देख सकते हैं. (आर्काइव लिंक) (आर्काइव लिंक)
पड़ताल
'दी लल्लनटॉप' ने वायरल वीडियो की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक निकला. पत्रकार अजीत अंजुम के साथ किसानों ने कोई मारपीट नहीं की है. हमने पत्रकार अजीत अंजुम से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया-"मैं किसान आंदोलन को कवर करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर था. तभी पास में कुछ लोगों के आपस में उलझने की आवाज आई. पहले तो मुझे लगा कि कोई ख़ास बात नहीं है. लेकिन जब पता चला कि कुछ लोग मारपीट करने की कोशिश कर रहे हैं. तब मैं कुछ साथियों के साथ वहां गया और बीच बचाव किया. कुछ लड़के अमर उजाला के फोटोग्राफर संजय के साथ बदतमीज़ी कर रहे थे. हमने भीड़ से उनको निकाला और मामला शांत कराने की कोशिश की."इस संबंध में हमने अमर उजाला के फोटोग्राफर संजय से बात की. उन्होंने हमें बताया-
"कुछ लड़के मेरे साथ बदतमीजी करने लगे. उनका गुस्सा किसान आंदोलन पर हो रही मीडिया कवरेज के ऊपर था. वो मीडिया को सरकार समर्थक बता कर मुझसे उलझने लगे. पास खड़े लोगों ने आकर बीच बचाव किया. मुझे कोई चोट नहीं लगी है."अजीत अंजुम ने इस घटना की जानकारी वीडियो के वायरल होने के बाद ट्वीट कर भी दी है. उन्होंने लिखा है-
"फर्जी जानकारी को वायरल करने वाला तंत्र अब भी लगा है . फिर कह रहा हूं मेरे साथ किसी ने कोई धक्कामुक्की नहीं की .न किसी से झगड़ा हुआ . हमने बीच-बचाव करके उन्हें अलग किया ,जो किसी बात पर एक फोटोग्राफर से उलझे थे . ये उन सबकी सूचना के लिए है, जो लगातार फोन कर रहे हैं"
"प्रेस के साथ बदतमीज़ी नहीं करे कोई. जो बदतमीज़ी करेगा उसका व्यक्तिगत होगा. क्यों नाराज़ हो रहे हो प्रेस से. ये पिछले एक महीने से दिखा रहे हैं आपको. हम कुछ कह नहीं रहे हैं. ये गुंडागर्दी मत करो यहां पर भाई. जिसको शांति से यहां नहीं रहना वो आंदोलन छोड़कर जा सकता है. यहां पर गुंडागर्दी नहीं चलेगी. अगर किसी ने गलती की है तो हम प्रेस वालों से गलती मानते हैं. बच्चे हैं, अगर किसी ने किया है तो तो उसकी तरफ़ से हम माफ़ी मांगते हैं. आगे नहीं होगा. ये हम ध्यान रखेंगे."