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पड़ताल: क्या 2004-14 के बीच 1,74,000 किसानों ने आत्महत्या की थी?

महाराष्ट्र में शरद पवार से ये सवाल पूछा जा रहा है चूंकि इन 10 सालों में वो कृषि मंत्री थे.

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यही वो पोस्ट है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
दी लल्लनटॉप’ की टीम लोकसभा चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट आप तक पहुंचा रही है. इसके अलावा फेसबुक के साथ मिलकर देश के अलग-अलग इलाकों में फ़ेक न्यूज़ से बचने के लिए वर्कशॉप भी चल रही है. लोगों से जान रही है कि उन्हें कैसी फ़ेक न्यूज़ मिल रही हैं. इस कड़ी में हमारी टीम पहुंची महाराष्ट्र के पुणे. यहां ‘दी लल्लनटॉप’ के रिपोर्टर मुबारक ने ऐसी ही वर्कशॉप की.
वर्कशॉप अटेंड करने वाले परशुराम वायरल मैसेज की सच्चाई जानना चाहते हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि शरद पवार के कृषि मंत्री और महाराष्ट्र में एनसीपी के सरकार के रहते हुए 1 लाख 74 हजार किसानों ने आत्महत्या की थी. परशुराम चाहते हैं कि ‘दी लल्लनटॉप’ इस ख़बर की पड़ताल करे.
परशुराम ने फ़ेक न्यूज़ को पहचानने और उससे बचने के लिए पुणे में वर्कशॉप अटेंड की थी. (फोटो: दी लल्लनटॉप)
परशुराम ने फ़ेक न्यूज़ को पहचानने और उससे बचने के लिए पुणे में वर्कशॉप अटेंड की थी. (फोटो: दी लल्लनटॉप)

दावा जो खबर शेयर की जा रही है. वह मराठी भाषा में है और हम उसे वैसे का वैसे ही लिख रहे हैं. इसके ठीक नीचे आप हिंदी तर्जुमा भी देख सकते हैं.
पवार साहेब मुख्यमंत्री असताना केंद्रात राज्यात काँग्रेस राष्ट्रवादी सरकार असताना 2004 ते 2014 या कालावधीत एक लाख 74 शेतकऱ्यांनी आत्महत्या केल्याची पोस्ट भाजपा लोकसभा महाराष्ट्र राज्य या पेजवरुन शेअऱ होत आहे. या पोस्टची तथ्य पडताळणी फॅक्ट क्रेसेंडोने केली आहे.
जब पवार साहब केंद्र में मंत्री थे और महाराष्ट्र में एनसीपी सरकार थी. उस दौरान (2004-2014) एक लाख 74 किसानों ने आत्महत्या की थी. यह भाजपा द्वारा महाराष्ट्र राज्य में शेयर किए जा रहे हैं. इस पोस्ट के तथ्य को फ्रैक्टर्ड क्रिसेंड द्वारा वेरीफाई किया गया है.
यही वो पोस्ट है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
यही वो पोस्ट है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

इस फेसबुक पोस्ट के आख़िरी में लिखा गया है कि मतदान करते वक्त इस बात को नहीं भूलें. यह पोस्ट 5 अप्रैल को फेसबुक पर किया गया है. यह पोस्ट वॉट्सऐप पर ज्यादा वायरल हो रही है.
ऐसी बातें फेसबुक पर भी लिखी गईं थी जिसे अब हटा लिया/दिया गया है.
ऐसी बातें फेसबुक पर भी लिखी गईं थी जिसे अब हटा लिया / दिया गया है.

पड़ताल बीबीसी हिंदी
की एक रिपोर्ट मुताबिक, भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2013 में 11,744 किसानों ने और 2012 में 13,754 किसानों ने आत्महत्या की थी. भारत सरकार किसान आत्महत्या को खेती संबंधी परेशानी से आत्महत्या से अलग मानती है. इंडिया टुडे
की एक रिपोर्ट मुताबिक, साल 2009 में 17,368 किसानों ने आत्महत्या की और 2,577 किसानों ने कृषि वजहों से आत्महत्या की. ऐसे ही साल 2010 में 15,994 किसानों ने आत्महत्या की और 2,359 किसानों ने कृषि वजहों से आत्महत्या की. 2011 में 14,027 किसानों ने आत्महत्या की और 2,449 किसानों ने कृषि वजहों से आत्महत्या की. साल 2012 में 13,754 किसानों ने आत्महत्या की और 918 किसानों ने कृषि वजहों से आत्महत्या की और 2013 में 11,772 किसानों ने आत्महत्या की और 510 किसानों ने कृषि वजहों से आत्महत्या की. इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि यूपीए सरकार के 10 साल में डेढ़ लाख किसानों ने आत्महत्या की और मोदी सरकार के छह माह में भी यह कम नहीं हो रहा है. क्या कोई इसे रोकेगा? यह रिपोर्ट 23 दिसंबर 2014 को छापी थी.
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