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फैक्ट चेक: गर्मियों की छुट्टी की फीस नहीं ले सकेंगे स्कूल, लेने पर मान्यता होगी रद?

हाईकोर्ट का आदेश बताया जा रहा. पड़ताल में पाकिस्तान कनेक्शन निकला.

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सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में प्राइवेट स्कूलों के लिए ऐसा दावा किया गया है. (फोटो-रायटर्स)
गर्मी का मौसम आ गया है. अब बारी गर्मी की छुट्टियों की है. पर छुट्टियां शुरू होने से पहले सोशल मीडिया पर इन गर्मी वाली छुट्टियों को लेकर एक खबर वायरल है. इसमें दावा किया जा रहा है कि अब प्राइवेट स्कूल जून-जुलाई की फीस नहीं ले सकेंगे. अगर किसी ने फीस एडवांस में दे दी है तो वापस मांग ले या फिर अगले महीने में एडजस्ट करा ले. अगर स्कूल ऐसा नहीं करता है तो पुलिस में शिकायत करें. पुलिस ना सुने तो सीएम विंडो पर शिकायत करने की सलाह दी गई है. शिकायत पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. स्कूल की मान्यता भी रद की जा सकती है. इस मैसेज को हाईकोर्ट का ऑर्डर बताया जा रहा है.
स्कूलों की फीस को लेकर यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
स्कूलों की फीस को लेकर यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

सच क्या है - 1. इस वायरल पोस्ट में हाईकोर्ट के ऑर्डर का दावा है. लेकिन किस हाईकोर्ट का है ये नहीं बताया है. हमने काफी खोजबीन की. लेकिन ऐसा कोई भी ऑर्डर किसी भी हाईकोर्ट का नहीं मिला. फिर हमारी नजर केस नंबर पर गई. हमने गूगल पर इसे सर्च किया तो पता चला कि ये आदेश हाईकोर्ट सिंध, कराची (पाकिस्तान) के चीफ जस्टिस जुल्फिकार अहमद खान का है. ये केस CP D-5812 of 2015 शाहरुख शकील खान व अन्य ने 2015 में सिंध प्रांत के मुख्य सचिव के खिलाफ दायर किया था, जिसका फैसला 7 अक्टूबर 2016 को सुनाया गया. इस मामले में इससे मिलती-जुलती 8 अन्य याचिकाओं को भी जोड़ा गया था. इस फैसले में चीफ जस्टिस ने छुट्टियों के दौरान फीस न लेने व स्कूलों में फीस बढ़ोतरी की सीमा तय की थी. पाकिस्तान के स्कूल जून-जुलाई में बंद रहते हैं. ऑर्डर का लेटर देखिए -
हाईकोर्ट ऑफ सिंध कराची का आदेश
हाईकोर्ट ऑफ सिंध कराची का आदेश.

2. वायरल पोस्ट CID के लेटर हेड पर है. सरकारी CID नहीं जो गंभीर अपराध की जांच करती है बल्कि प्राइवेट CID यानी ‘क्राइम इंटेलीजेंस डिटेक्टिव’. साथ में फोन नंबर भी दिया हुआ है. हमने इस लेटर-हेड पर लिखे नंबर पर कॉल किया. तो पता चला कि क्राइम इंटेलीजेंस डिटेक्टिव नाम की ये संस्था सच में मौजूद है. इसका ऑफिस गाज़ियाबाद के साहिबाबाद में है. यह संस्था भ्रष्टाचार और अपराध के विरुद्ध मुहिम चलाती है. साथ ही ये डिटेक्टिव और सिक्योरिटी सर्विस भी प्रोवाइड करती है. इसी वजह से इस संस्था का नाम क्राइम इंटेलीजेंस डिटेक्टिव है. इसके चीफ डायरेक्टर हैं अरविंद गिरी गोस्वामी.
इस वायरल मैसेज के बारे में पूछने पर गोस्वामी ने बताया कि यह वायरल मैसेज उन्होंने देखा है. यह मैसेज फर्जी है. इसे किसी और ने उनकी संस्था के नाम से बनाकर चला दिया है. इस वायरल मैसेज के बारे में उन्होंने अपनी सीआईडी के असली लेटर हेड से एक स्पष्टीकरण भी जारी किया था. इसका फोटो भी उन्होंने हमें भेजा. ये देखिए-
CID नाम की संस्था ने जारी किया स्पष्टीकरण.
CID नाम की संस्था ने जारी किया स्पष्टीकरण.

पड़ताल में क्या निकला -
वायरल पोस्ट पूरी तरह से फर्जी है. हालांकि इस फर्जी पोस्ट को बनाने में पूरी ईमानदारी बरती गई है. मतलब कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा. सिंध हाईकोर्ट का ऑर्डर उठाया और दिल्ली की संस्था का लेटर हेड. और दोनों को जोड़कर एक फर्जी खबर बना दी गई. सच यही है कि जून-जुलाई के फीस को लेकर कोई ऑर्डर नहीं आया है.
तो अब आपको भी कोई पोस्ट दिखे, चुनाव से रिलेटेड कोई भी वीडियो दिखे, जिसपर आपको शक हो. उसे सीधा भेजिए हमारे पास Padtaalmail@gmail.com पर. हम उसकी पड़ताल करेंगे और आपको उसकी हकीकत बताएंगे.


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