जब भी हम कोई नई फिल्म देखने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले ख्याल आता है कि उस फिल्म का ट्रेलर देखा जाए. ट्रेलर ही वो जरिया है जिससे हम आसानी से पता लगा पाते हैं कि हम जो फिल्म देखने का मन बना रहे हैं, वो कैसी हो सकती है या उसकी थीम लाइन क्या होने वाली है. हालांकि इससे पूरी स्टोरी पता नहीं चलती, लेकिन आइडिया लग जाता है कि फिल्म कैसी होने वाली है और उसे देखने जाना चाहिए या नहीं.
आपके दिल में फिल्म देखने की आग भड़काने वाले ट्रेलर कहां और कैसे शुरू हुए?
फिल्मों की रिलीज से पहले मेकर्स उनके Trailers रिलीज करते हैं. जिन्हें देखकर काफी हद तक अंदाजा लग जाता है कि फिल्म हिट होगी या नहीं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि Trailer शब्द कैसे आया? इसका इतिहास क्या है और फिल्मों के लिए इसका इस्तेमाल कब शुरू हुआ?


इसका जवाब ज्यादा मुश्किल नहीं है. फिल्म की रिलीज से पहले उसका ट्रेलर इसलिए रिलीज किया जाता है ताकि दर्शकों में फिल्म को लेकर उत्सुकता पैदा की जाए और उनको सिनेमा हॉल तक खींचा जा सके. कई फिल्म मेकर ये पूरी कोशिश करते हैं कि Trailer में फिल्म की थीम और उसके सबसे अहम हिस्से को डाल दिया जाए, जिससे दर्शकों में उत्सुकता पैदा हो. और आगे क्या होने वाला है? यही सोचकर सभी लोग सिनेमा हॉल पहुंचे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि Trailer शब्द कैसे आया? इसका इतिहास क्या है और फिल्मों के लिए इसका इस्तेमाल कब शुरू हुआ?

Trailer का अर्थ उसी में छिपा हुआ है. ट्रेलर Trail शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है 'एक के पीछे एक' या 'एक के बाद एक'. इसे और आसान उदाहरण से समझें तो, इसका मतलब होगा 'लाइन लगा देना'. जैसे चींटियों का झुंड एक के पीछे होकर लाइन में चलता है या जैसे भंडारे में पूड़ी खाने वाले लोग. शुरूआत में ठीक ऐसे ही ट्रेल के जरिए ये बताने की कोशिश की जाती थी कि इसके बाद आगे कौन सा प्ले या शो आने वाला है और वो कैसा होगा?

सबसे पहले अमेरिका में Broadway Shows के प्रमोशन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था. ब्रॉडवे शो, स्टेज या थिएटर में होने वाले उस शो को कहते हैं जिसमें किसी नाटक या म्यूजिक का मंचन होता है. यानी थिएटर में जब कोई फिल्म लगती थी तो उस फिल्म के अंत में दर्शकों के लिए Trail (ट्रेलर) चला दिया जाता था. ये बताने की कोशिश की जाती थी कि देखिए आगे ऐसा कुछ आने वाला है, जिसे आपको जरूर देखना चाहिए. इस तरह के विज्ञापन का आइडिया Broadway प्रोड्यूसर Nils Granlund ने दिया था और उन्हें ही ट्रेलर का जनक माना जाता था.

इस Trail की वजह से जब दर्शक उन आने वाले शोज या फिल्म को देखने पहुंचने लगे तो ये कॉन्सेप्ट धीरे-धीरे फेमस हो गया. और आगे चलकर इसका ही नाम Trailer पड़ा. लेकिन शो के अंत में होने के कारण ज्यादा दिनों तक इसका फायदा नहीं मिला, क्योंकि फिल्म खत्म होने के बाद कोई वहां रुकता नहीं था, ज्यादातर लोग उठ कर चले जाते थे. तो बाद में इसे फिल्म के अंत से उठाकर फिल्म के शुरू होने से पहले ही दिखाया जाने लगा. लेकिन इसका नाम चेंज नहीं किया गया. इसे अब भी ट्रेलर ही कहा जाता था. हालांकि वक्त के साथ इसमें भी बदलाव देखने को मिला.

कब हुआ बदलाव?
साल 2005 में अमेरिका में YouTube लॉन्च हुआ. इसके बाद ट्रेलर इंडस्ट्री में एक बार फिर बदलाव किए गए. यूं कहें कि यूट्यूब के आने से ट्रेलर रेवोल्यूशन हो गया. इसके चलते धीरे-धीरे फिल्मों का ट्रेलर पॉपुलर होने लगा. ऐसा इसलिए होता था क्योंकि किसी ट्रेलर से उस फिल्म की कहानी का हिंट मिल जाता था. साथ ही ट्रेलर देखकर काफी हद तक ये भी अंदाजा लग जाता है कि फिल्म हिट होगी या नहीं.

ऐसा माना जाता है कि साल 1981 में दिग्गज फिल्ममेकर मनमोहन देसाई के डायरेक्शन में बनी फिल्म नसीब (Naseeb) से ट्रेलर रिलीज करने की कवायद शुरू हुई. फिल्म में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने लीड रोल निभाया था. ये एक मल्टीस्टारर फिल्म थी और इसमें अमिताभ बच्चन के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा, कादर खान, रीना रॉय, ऋषि कपूर, प्राण, प्रेम चोपड़ा और शक्ति कपूर ने भी एक्टिंग की थी. इसके गाने भी खूब चर्चा में रहे थे. नसीब के ट्रेलर का प्रसारण दूरदर्शन पर किया गया था. फिल्म सुपरहिट रही थी.

आज आलम ये है कि किसी फिल्म के चलने का अनुमान उसके ट्रेलर के हिट या फ्लॉप होने से भी लगाया जाता है. Deadpool & Wolverine जैसी कुछ फिल्में तो ऐसी हैं जिनके रिलीज होने से पहले उनके ट्रेलर यूट्यूब पर रिकॉर्ड बना चुके हैं.
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