1. रज़ा 22 फरवरी 1922 को मध्य प्रदेश के बाबरिया में पैदा हुए थे. अब्बा सैयद मोहम्मद राजी फॉरेस्ट रेंजर थे. अम्मी का नाम था ताहिरा बेगम. रज़ा के चार भाई और एक बहन थी.
2. 12 साल की उम्र में रज़ा को रंगों का चस्का लगा. 13 के हुए तो उन्हें बाबरिया से दामोह आना पड़ा. दसवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ें. उसके बाद नागपुर स्कूल ऑफ आर्ट में चले गए रंगबाजी सीखने. फिर 1950 में आगे की पेंटिंग सीखने के लिए फ्रांस का रुख किया. फ्रांस सरकार से उनको स्कॉलरशिप मिली थी.

3. पढ़ाई के बाद वो यूरोप गए. और भी कई जगह घूमे. पेरिस भी गए. वहां रज़ा ने अपनी पेटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई. 1956 में उन्हें Prix de la critique से सम्मानित किया गया. रज़ा इसे पाने वाले पहले आर्टिस्ट थे, जो वहां के न होने के बाद भी इस अवॉर्ड को पा ले गए.

4. रजा की पहली प्रदर्शनी 1946 में बॉम्बे आर्ट सोसाइटी सैलून में लगी. उन्हें सोसाइटी ने सिल्वर मेडल दिया था.

5. साल 1947 रज़ा के लिए उथल-पुथल भरा रहा. रज़ा की मां इसी साल गुजरी. इसी साल रजा केएच आरा और ऍफएन सूज़ा के साथ क्रांतिकारी बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप PAG बनाया. 1948 में अब्बा चल बसे और भाई-बहन बंटवारे के चलते पाकिस्तान चले गए.

6. साल 1981 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. ललित कला अकादमी से फेलोशिप भी रज़ा को इसी साल मिली था. 2007 में पद्म भूषण और 2013 में पद्म विभूषण सम्मान मिला.

7. 1959 में इन्होंने फ्रांस की आर्टिस्ट जेनाइन मोंगिल्लेट से शादी कर ली. वो इनके साथ ही पढ़ती थी. जेनाइन की मौत साल 2002 में हुई. उन्हें कैंसर था.
8. साल 1948 में इनकी लाइफ बदल गई. जब वो फ्रांस के फेमस फोटोग्राफर हेनरी कार्टिअर-ब्रेस्सन से मिले. रज़ा ने अपनी पेंटिग्स हेनरी को दिखाई. हेनरी ने उनसे कहा कि अभी तुम्हारी पेंटिंग्स में बनावट की कमी है.

9. पत्नी की मौत के बाद वो इंडिया आ गए. फ्रांस में जो उन्होंने कमाया था, धन-दौलत, घर सब अपनी नर्स को दे दिया था. हाथ में केवल एक सूटकेस टांगे. 2015 में उन्हें फ्रांस के सबसे बड़े सम्मान Commandeur de la Legion d'honneur से सम्मानित किया गया.

10. भारत के सबसे मंहगे कलाकारों में से एक थे रज़ा. उनकी पेंटिंग सौराष्ट्र लगभग 16 करोड़ रुपये में बिकी थी.

रज़ा की पेंटिंग सौराष्ट्र