'सर' में कुछ बहुत उम्दा एक्टर्स ने काम किया है. जैसे - तिलोत्तमा शोम. उन्हें हमने 2001 में आई मीरा नायर की बेहद दिलचस्प फिल्म 'द मॉनसून वेडिंग' में नौकरानी के रोल में देखा था, जिनके और विजयराज के सीन आपको आज भी याद होंगे. तिलोत्तमा 'किस्सा' (2013) और 'अ डेथ इन द गंज' (2017) में बहुत सराही गईं. उनके अलावा 'सर' में विवेक गोम्बर भी लीड रोल में हैं. विवेक को हम चर्चित मराठी फिल्म 'कोर्ट' में वकील के रोल में देख चुके हैं.
इस फिल्म में तीसरी उम्दा एक्टर हैं गीतांजलि कुलकर्णी. उन्हें भी हमने 'कोर्ट' में सरकारी वकील के रोल में देखा था. और 'मुक्तिभवन' (2016) में एक गृहिणी के रूप में.

रोहेना गेरा के डायरेक्शन वाली फिल्म 'सर' के एक दृश्य में तिलोत्तमा शोम और गीतांजलि कुलकर्णी.
कान में 'सर' की स्क्रीनिंग दरअसल इंडियन सिनेमा की हिस्ट्री में पहला मौका बन गई, जब दो भारतीय महिला डायरेक्टर्स की फिल्में एक ही साल में चुनी गई. दिखाई गईं.
ये कहानी एक 19 साल की लड़की (तिलोत्तमा) के बारे में है. गांवों में जल्दी शादी करने का रिवाज़ होता है. इसलिए उसकी भी कर दी गई थी. दो महीने बाद उसके पति की मौत हो गई और अब वो विधवा है. लाइफ टफ हुई तो सपनों के शहर मुंबई आ गई, अपने टूटे सपने लेकर. रोज़ी-रोटी कमाने. अपनी बहन को पढ़ाने. बहुत ढूंढ़ने पर उसे कहीं बाई का काम मिलता है. एक अमेरिका से लौटे बिज़नेसमैन के घर पर. इस आदमी की लव मैरिज होने वाली थी. शादी से पहले पता चला कि लड़की का किसी और के साथ अफेयर है. तो टूट गया. लड़का और शादी दोनों ही.
अब दो टूटे लोग एक आलीशान घर में रहते हैं. एक काम करती है, दूसरा कमाता है. इंसान होने के अलावा दोनों में कोई समानता नहीं है. भाषा भी दोनों अलग-अलग बोलते हैं. एक अपने पापा का बिज़नेस संभाल रहा है, तो दूसरी बाई का काम करने के साथ-साथ फैशन डिज़ायनर बनने का अपना सपना बचा रही है. जब लड़की नाश्ता-खाना परोसती है तब उसकी लड़के से थोड़ी बहुत बात होती है. एक दिन जब भर जाती है, तो आकर कह देती है. लाइफ आसान नहीं होती. कैसे कहती है, ये देखने वाली चीज़ है. आप भी देखिए:
समय बीतता है. दोनों एक-दूसरे को जानने-समझने लगते हैं. इस दौरान कोई फर्क नज़र नहीं आता. ये घनिष्ठता बढ़ती रहती है. तब तक जब तक कि परिवार-समाज की आंखों में नही चुभती. एक दिन इस रिश्ते का नाम बदल जाता है. लोग कुछ प्यार जैसा बुलाने लगते हैं. लेकिन दोनों ठीक हैं. उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. समाज को है. हमें सिर्फ भारत-पाकिस्तान का बंटवारा याद रहता है, अपने समाज में जो विभाजन है वो किसी को नहीं दिखता. इस फिल्म के बाद दिखेगा. क्योंकि डायरेक्टर के साथ ये हो चुका है. लेकिन वो लड़का या नौकरानी नहीं थी.
रोहेना भी विदेश से पढ़कर आई हैं. अपने बचपन की एक बूढ़ी महिला इन्हें याद हैं. जिनकी गोद में खेली हैं, पली-बढ़ी हैं. फिर भी उन महिला से घरवाले पता नहीं क्यों एक हाथ की दूरी रखते थे? फिर जब बड़ी हो गईं तो पता चला वो नैनी\बाई जैसी कुछ हैं. हम अपने घर में ही ये विभाजन करते हैं और किसी को पता भी नहीं होता. लिखने वाले इस पर व्याख्यान लिख दें. लेकिन करते वही हैं, जो लिखा है कि नहीं करना चाहिए. रोहेना को ये वाली बात थोड़ी ज़्यादा जोर से लग गई, उन्होंने कहा किस-किसको जाकर बताएंगी, सिनेमा ही बना देते हैं. ऐसे ये फिल्म बनी. एक्साइटमेंट को थामों और पूरी फिल्म आने से पहले एक और क्लिप देखो:
इंडिया में फिल्म कब रिलीज होगी, अभी तय नहीं किया गया है. टाइम लगेगा. अभी फेस्टिवल सर्किट में घूम रही है. फिल्म का इंडिया के लिए कोई ऑफिशियल ट्रेलर भी नहीं रिलीज किया गया है. लेकिन हम ढूंढ़ लाए हैं इसका इंटरनेशनल ट्रेलर. 'सर' का ट्रेलर यहां देखेंः
वीडियो देखें: साउथ की एडल्ट एक्ट्रेस शकीला पर बन रही है ये फिल्म