Animal movie थियेटरों में भीड़ खींचती जा रही है और इस बीच आया है Dunki Trailer, जो शाहरुख ख़ान (Shah Rukh Khan) और डायरेक्टर राजकुमार हीरानी (Rajkumar Hirani) की अगली पेशकश है. ठीक इसी समय शाहरुख़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे 'एनिमल' के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा (Sandeep Reddy Vanga) को नसीहत की तरह देखा जा रहा है. संदीप ने हाल ही में पूछे जाने पर कहा था कि वे शाहरुख़ के फैन हैं और उनके साथ फ़िल्म करना चाहेंगे.
'कबीर सिंह' की तरह 'एनिमल' की भी एक रीडिंग यह की गई है कि यह महिलाओं के प्रति अभद्र, हिंसक और मेल टॉक्सिसिटी भरी फ़िल्म है. चार दिनों में दुनिया में तकरीबन 425 करोड़ रुपये कमा चुकी 'एनिमल' के एक सीन में लीड कैरेक्टर (Ranbir Kapoor) एक युवती को अपने जूते चाटने के लिए कहता है. ऐसे कुछ और स्ट्रॉन्ग सीन भी है, जो कहानी में अपने संदर्भ के साथ आते हैं.
इस बीच शाहरुख़ का जो वीडियो शेयर किया जा रहा है उसमें वे सिनेमा बनाते हुए महिलाओं की इज्ज़त को सर्वोपरि बता रहे हैं. अपने इस पुराने इंटरव्यू में वे कहते हैं कि ऐसी फिल्म कभी नहीं करते जिसमें महिलाओं को सही से चित्रित न किया जाता हो. एक्स पर शेयर किए गए इस वीडियो में शाहरुख़ कहते हैं -
शाहरुख़ ने कहा महिलाओं से बेइज़्ज़ती वाली फ़िल्में नहीं करता, लोग उनकी 'एनिमल' जैसी फ़िल्में खोद लाए
Dunki Trailer के साथ चर्चा में चल रहे Shah Rukh Khan का एक पुराना Interview video viral हो रहा है जिसमें वे कहते हैं कि महिलाओं की इज्ज़त नहीं तो फि़ल्में नहीं करता. इसे जोड़ा गया Sandeep Reddy Vanga की हालिया Ranbir Kapoor starrer से. इस पर यूज़र्स ने उनकी Animal माफिक फ़िल्मों के सीन शेयर कर दिए.

“हमारे पास अभी तक महिलाओं की प्रधानता वाली फ़िल्में ज्यादा नहीं रही हैं, ऐसी फ़िल्मेंं अक्सर छोटे बजट की रही हैं. मेरे लिए ये निजी चीज है कि मैं बतौर एक्टर और प्रोड्यूसर ऐसी फ़िल्म कभी नहीं करूंगा जिसमें किसी महिला को सही तरीके से चित्रित न किया जा रहा हो. हां, आप नॉटी हो सकते हो, स्वीट हो सकते हो, कुछेक जोक कर सकते हो, लेकिन कुल मिलाकर एक फ़िल्म में किसी भी महिला का ट्रीटमेंट टॉप क्लास होना चाहिए.”
'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'कुछ कुछ होता है' जैसी रोमैंटिक फ़िल्मों के लिए आज भी पसंद किए जाने वाले शाहरुख़ ने कहा कि उनकी फ़िल्में कामयाब ही इसी वजह से हुई हैं. उन्होंने कहा -
"बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि मेरी लव स्टोरीज़ ने अच्छा प्रदर्शन ही इसलिए किया है क्योंकि मैंने अपनी स्टोरीटेलिंग में महिलाओं के साथ बहुत अच्छा बर्ताव किया है. निजी स्तर से भी कहीं ज्यादा मेरी स्टोरीटेलिंग ने महिलाओं के साथ इक्वल जैसा बर्ताव किया है. ये एक बहुत बड़ा कारण है कि लोग कहते हैं, मैं बहुत अच्छा रोमैंटिक हीरो हूं. मेरी हीरोइन्स और तमाम महिलाएं हमेशा बहुत अच्छे से रिस्पेक्ट की जाती हैं."
ये वीडियो कब और कहां का है? बीबीसी के फ़िल्म जर्नलिस्ट टॉम ब्रुक ने 2011 में भारत का दौरा किया था और यहां के सिनेमा को कवर करने की कोशिश की थी. अपनी मशहूर सीरीज़ 'टॉकिंग मूवीज़' के एक एपिसोड में उन्होंने स्पेशल इंटरव्यू शाहरुख़ का लिया और "बॉलीवुड में महिलाएं" विषय पर विशेषकर बात की. उन्होंने पूछा था - "जब आप सिनेमा की बात करते हैं तो क्या इसमें जिम्मेदारी भरा होने की ज़रूरत भी होती है? क्या बॉलीवुड द्वारा महिलाओं को एक बहुत अधीन, सबमिसिव व्यक्तित्व के तौर पर दिखाना ठीक है? क्या थोड़ा मॉडर्न नजरिए को जगह देना ठीक न होगा?" टॉम का इशारा 'शीला की जवानी' (तीसमारखां, 2010) जैसे गानों की तरफ था जिसमें महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाई किया जाता है.
इसके जवाब में शाहरुख ने कहा था कि हां, वाकई में ऐसा करने की जरूरत है और "पिछले 15-20 वर्षों के दौर में हम एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर्स ने (ऐसा करने का प्रयास किया है)... और यही वजह है कि 90s में फ़िल्मों ने वेस्ट के दर्शकों के बीच लोकप्रियता पाई. हमने महिलाओं को बराबरी में ट्रीट करना शुरू किया."
आइटम सॉन्ग्स पर उन्होंने कहा, "हां, हमारे यहां आइटम सॉन्ग जैसी चीजें भी होती हैं जिनमें लड़कियां बिकिनी पहनकर डांस करती हैं... बल्कि आइटम सॉन्ग तो मेरे भी होते हैं (हंसते हुए) ... इसका मतलब ये नहीं कि कोई मिसट्रीटमेंट होता है. हम लड़कों और लड़कियों को बराबर ट्रीट करते हैं."
हाल ही में आमिर ने भी ऐसा बयान दिया था कि जब क्रिएटिविटी नहीं होती तब फ़िल्मों में सेक्स और हिंसा का सहारा लिया जाता है.
लेकिन शाहरुख़, आमिर ने जो कहा वो बॉलीवुड या हिंदी सिनेमा या इनकी ख़ुद की फ़िल्मों का एक पहलू ही है, पूरा सत्य नहीं. सच तो ये है कि जैसा रोल रणबीर कपूर ने 'एनिमल' में किया है, वैसा ही ख़ुद शाहरुख़ भी कर चुके हैं, जिसके वीडियो कमेंट्स में यूज़र्स ने शेयर भी किए.
उपरोक्त सीन शाहरुख़ की फिल्म ‘अंजाम’ का है जो 1994 में आई और इसके एक सीन में उनका किरदार माधुरी के किरदार को बुरी तरह मारता पीटता दिख रहा है.
ये सीन शाहरुख़ की पहली बड़ी और सफल फ़िल्म 'बाज़ीगर' का है जो 1993 में रिलीज हुई. इसमें उनका साइको कैरेक्टर शिल्पा शेट्टी के पात्र को बिल्डिंग से नीचे धक्का दे देता है और मार देता है. ऐसा ही एक किरदार शाहरुख ने इसी साल आई यश चोपड़ा की 'डर' में भी किया था. ये सारी फ़िल्में शाहरुख ने अपने करियर के शुरू में की थी, तब वे नेगेटिव रोल ही कर रहे थे और Dilwale Dulhania Le Jayenge ने उनकी इमेज को पूरी तरह बदलकर रोमैंटिक हीरो और महिलाओं के आदर्श प्रेमी वाली बना दी.
कुल जमा बात ये है कि कोई भी कैरेक्टर या फ़िल्म किसी एक्टर को डिफाइन नहीं करती है - न शाहरुख की 'अंजाम' उन्हें, न रणबीर की 'एनिमल' उन्हें.
(यह स्टोरी हमारी साथी शिवांगी द्वारा की गई है.)
Video: Animal Movie Review By Gajendra Singh Bhati