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'जवान' में शाहरुख ने मोनोलॉग दिया, लोग कहने लगे सरकार को जवाब दिया है

लोग लिख रहे हैं कि शाहरुख ने बिना कुछ बोले बहुत कुछ बोल दिया है. इस सीन की क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हैं.

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एटली अपनी फिल्मों में पॉलिटिकल कमेंट्री करते रहे हैं.

Jawan की रिलीज़ के बाद एक पॉलिटिकल बहस शुरू हो गई है. लोग लिख रहे हैं कि शाहरुख ने किसी का नाम लिए बिना मज़बूत पॉलिटिकल स्टेटमेंट दिया है. बीते कुछ समय में शाहरुख और उनके परिवार के साथ जो बीता, लोग उससे पॉलिटिकल कनेक्शन निकाल रहे हैं. आर्यन खान की गिरफ्तारी के वक्त शाहरुख ने पब्लिक में आकर कोई स्टेटमेंट नहीं दिया. आर्यन के रिहा होने के बाद भी शाहरुख ने कुछ नहीं कहा. फिर ‘पठान’ आई. काफी लोगों ने उसे आर्यन खान वाले केस की वजह से सपोर्ट किया. कि एक आदमी है जो सिस्टम के आगे नहीं झुका. अब ‘जवान’ आई है. फिल्म का एक सीन भयंकर वायरल हो रखा है. ये दरअसल एक मोनोलॉग है, जहां शाहरुख का कैरेक्टर देश की जनता से सवाल करता है.          

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(स्पॉइलर अलर्ट)

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शाहरुख अपने मोनोलॉग के शुरुआत में कहते हैं कि हम मोटरसाइकिल लेते वक्त हम उसकी माइलेज, आफ्टर सेल सर्विस के बारे में पूछते हैं. पेन खरीदते वक्त घिसापीटी करते हैं. हर जगह, हर वक्त, हर चीज़ के लिए सवाल करते हैं. पांच घंटे चलने वाली कछुआछाप के लिए इतने सवाल करते हैं. इससे मच्छर तो मरेगा ना! ये बदबू तो नहीं देगी! लेकिन पांच साल तक अपनी सरकार चुनते वक्त एक सवाल नहीं करते. कुछ नहीं पूछते. वो आगे कहते हैं: 

पैसा, जात-पात, धर्म, सम्प्रदाय के लिए वोट देने के बजाय, जो आपसे वोट मांगने आए, उससे सवाल पूछो. 

पूछो उससे, अगले पांच साल तक तुम मेरे लिए क्या करोगे? मेरे बच्चों की शिक्षा के लिए क्या करोगे? उन्हें नौकरी दिलाने के लिए क्या करोगे? मैं अगर बीमार पड़ गया, तो मेरे परिवार के लिए क्या करोगे? अगले पांच साल तक तुम मेरे देश को आगे बढ़ाने के लिए क्या करोगे?  

वोट देने से पहले, जिस उंगली का आप इस्तेमाल करते हैं, उस उंगली के ज़रिए सवाल करो. क्योंकि अगर आप ऐसा करोगे. तो देश की हेल्थ सर्विस सिस्टम सुधारने के लिए, गरीब किसानों की मदद के लिए कोई विक्रम राठौड़ या आज़ाद की ज़रुरत नहीं होगी. 

आपकी उंगली ही काफी है. क्योंकि आपकी उंगली में बहुत ताकत है. मेरी ये डिमांड पूरी करोगे, तो आज़ादी किसको मिलेगी. आपको, सबको. आज़ादी गरीबी से. आज़ादी अन्याय से. आज़ादी करप्शन से. थोड़ा सा अपनी इस उंगली पर विश्वास करो. उसे यूज करो. जय हिन्द.    

इस मोनोलॉग को शेयर कर लोग लिख रहे हैं कि शाहरुख ही ऐसा कुछ अटेम्प्ट कर सकते थे. किसी का मानना है कि शाहरुख शुरू से पॉलिटिकल कमेंट्री करते रहे हैं. ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ का उदाहरण ले आए. शाहरुख अपनी फिल्म के ज़रिए सोशियो-पॉलिटिकल कमेंट्री करना चाहते हों या नहीं, लेकिन डायरेक्टर एटली का ऐसा सीन रहा है. साल 2017 में उनकी फिल्म ‘मर्सल’ आई थी. उसके एक सीन में विजय का कैरेक्टर कहता है कि GST और मंदिर बनाने जैसी चीज़ों पर पैसा खर्च हो रहा है, हॉस्पिटल बनाने पर नहीं. तमिलनाडु बीजेपी ने इस पर विजय की खूब आलोचना की. फिर विजय के फैन्स उन्हें डिफेंड करने आए. #MersalVsModi जैसे हैशटैग चले. मामले ने अच्छा-खासा तूल पकड़ा. 

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शाहरुख ने ‘जवान’ बनाई. आप एंटरटेन हो रहे हैं. बहुत अच्छी बात है. बस उतने में ही फिल्म पास हो जाती है. आगे आप अपनी सहूलियत के अनुसार पॉलिटिक्स खोजते हैं तो आपकी कॉल है.   

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