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कर्मा फिल्म ने दुनिया को दी ये 7 चीजें, जिन पर देश को नाज़ है!

दिलीप कुमार की ये फिल्म हमें बहुत कुछ सिखाती है. आज बड्डे है.

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फोटो - thelallantop
आज से 31 साल पहले. 8 अगस्त, 1986. देश के तमाम सिनेमाघरों में लगी एक फिल्म. नाम था कर्मा. प्रोड्यूसर डायरेक्टर थे सुभाष घई. लीड एक्टर दिलीप साहब थे. उनके साथ एक हाथ वाले नसीरुद्दीन शाह और दो आशिक जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर भी थे. इनकी टीम ने आतंकी डॉक्टर डैंग यानी अनुपम खेर की दुनिया उजाड़ दी थी. लेकिन ये सब आसान नहीं था. दादा ठाकुर अर्थात ठाकुर विश्व प्रताप सिंह यानी दिलीप कुमार ने इसके लिए बड़ी कुर्बानी दी थी. खैर, ये सब बकैती है. असली बात ये है कि इस फिल्म से सुभाष घई ने दुनिया को ऐसे व्यापक संदेश दिए जो न तो सुकरात दे पाए थे और न सिकंदर. उन्होंने लोगों के सोचने का तरीका इस एक फिल्म से बदलकर रख दिया. 15 अगस्त भी नजदीक है, ये फिल्म तमाम चैनलों पर दिखाई जाएगी. इसमें सबसे ज्ञानवर्धक चीजें ये थीं इस फिल्म में.

1.

इस फिल्म ने बातचीत का नया तरीका विकसित किया. आज हमारे पास 4g है. पलक झपकते वीडियो कॉल कनेक्ट हो जाती है. लेकिन तब बेसिक फोन थे. ऐसे में अगर सामने वाला किसी हादसे में अपनी आवाज खो चुका हो तो क्या किया जाए. नूतन ने बताया कि चूड़ियां बजाके भी बात की जा सकती है. nutan

2.

ठाकुर विश्व प्रताप ने निशानेबाजी की दुनिया में क्रांति ला दी थी. नहीं वो मनोज कुमार के साथ वाली फिल्म क्रांति नहीं, असल क्रांति. हवा में फेंके गए ग्रेनेड को हवा में ही गोली मारकर गिरा देना. ये दादा ठाकुर ने सिखाया. 1tr35s

3.

अनुपम खेर यानी डॉक्टर डैंग ने दुनिया को बताया कि ऐटीट्यूड क्या होता है. अगर कोई तुमको एक थप्पड़ मारे तो तुम उसका खानदान साफ कर दो. वो इत्ता गुस्सा हो जाए कि दोबारा थप्पड़ मारने उसे तुम्हारे पास आना पड़े. dang

4.

इस फिल्म ने हमको सिखाया कि हमेशा बहुत पाजिटिव नहीं रहना चाहिए. थोड़ी निगेटिविटी भी जान बचा सकती है. दादा ठाकुर ने अपनी जेल में हर कैदी को सुधारने का ठेका ले रखा था. किसी को समझा के तो किसी को थपड़िया के काबू करते रहते थे. वो इसी चक्कर में इतना ज्यादा उत्साहित हो गए कि डॉक्टर डैंग से पंगा ले लिया. वो सुधरने वाला आदमी नहीं था.

5.

नसीरुद्दीन शाह की हालत देखकर समझ आया कि दोनों हाथ रहने कितने जरूरी हैं. अक्सर एक ही हाथ का रहना आदमी को बहुत, बहुत ज्यादा मजबूर कर देता है. इमरजेन्सी में आदमी के सामने ये दिक्कत होती है कि वो एक ही हाथ से धोए कि लोटा पकड़े? khairu

6.

कर्मा ने ही हमको सिखाया कि कभी बॉस से बहस नहीं करनी चाहिए. क्योंकि बॉस इज ऑलवेज राइट. तुम कित्ते भी बड़े तीसमारखां हो, आखिरी में जीत उसी की होगी.

7.

सबसे बड़ी बात. दादा ठाकुर ने देश को भारत का नक्शा बनाने का सही तरीका सिखाया.
इन बातों के अलावा दादा ठाकुर का तीन गोलियां लगने के बाद हॉस्पिटल जाना और जिंदा बच जाना हमको ये सिखाता है कि हीरो कभी नहीं मरता.
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