जब कोई ज़्यादा ही प्यारा हो जाता है तो हम उससे रिश्ता जोड़ने लगते हैं. जिनको मायावती प्रिय हैं उनके लिए वो बहन मायावती हैं, जिनको जयललिता प्रिय थीं उनके लिए वो अम्मा थीं/हैं. ऐसे ही जिनको भी ग़ालिब और सलमान प्रिय हैं, उनके लिए ये दोनों क्रमशः चचाजान और भाईजान हैं. और दोनों ही अपने चाहने वालों की जान हैं. इसकी एक अपनी ही फ्रेंड फोलोइंग है जो 'सलमान खान' और 'ग़ालिब के दीवान' को हमेशा अपने दिल में सजा के रखती है. मिर्ज़ा सा'ब को पसंद करने वाले उनके शे'रों को बातों में यूज़ करते हैं - 'वो आए हमारे दर में', 'मत पूछ कि क्या हाल है', 'उनके देखे से आ जाती है', 'हरेक बात पे कहते हो', 'ये इश्क नहीं आसां'... सल्लू भाई को पसंद करने वाले तौलिया डांस, बैल्ट डांस के साथ साथ उनकी हेयर स्टाइल से लेकर उनकी बॉडी तक को कॉपी करते हैं. और भाईजान के डायलॉग तो उन्हें यूं याद है कि सलमान खान खुद भी कभी ग़लत बोल दें तो उसे करेक्ट कर दें - 'दोस्ती में नो सॉरी','एक बार मैंने कमिटमेंट कर दी', 'मेरे बारे में ज़्यादा मत सोचना'....
सलमान के डायलॉग्स, ग़ालिब के शेर, चचा जान ने भाई से सीखीं ये बातें!
एक भाई जान, दूजे चचा जान.

एक तरफ़ बल्लीमारां के मोहल्लों की वो पेचीदा दलीलों की-सी गलियां और दूसरी तरफ बांद्रा का गैलेक्सी अपार्टमेंट, लेकिन फिर भी दोनों को कई चीज़ें जोड़ती हैं.
टाइम मशीन को आगे पीछे कर यदि दोनों को एक दूसरे के सामने बैठा दिया जाए, तो जहां सल्लू मियां अपने डायलॉग से तालियां और सीटियां बटोरेंगे वहीं ग़ालिब अपने मारक शे'रों से पान की पीकों में दाद और वाह-वाह ज़ाया न होने देंगे. हमने सोचा की रियल्टी में तो दोनों का एक साथ होना संभव नहीं, लेस की किन क्या हो यदि 'एल्जेब्रा' के क्लास की तरह 'मान लिया जाए?' नीचे कुछ काल्पनिक वार्तालाप हैं, कुछ में दोनों एक दूसरे ही की बातें दोहरा रहे हैं और कुछ में एक दूसरे को उत्तर दे रहे हैं. लेकिन हर डायलॉग रॉल्फ है, लोल है और दिल में दो बार मुक्का मार के हैश टैग रिस्पेक्ट है. मुलाईज़ा फरमाइए:
#1)
सलमान खान: फ़िल्म - वांटेड (2008) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - रोज़ ऐ अब्र = बादलों वाला दिन, शब-ए-माहताब = चांद वाली रात
#2)
सलमान खान: फ़िल्म - रेडी (2011) मिर्ज़ा ग़ालिब: ____________
#3)
सलमान खान: फ़िल्म - वांटेड (2008) मिर्ज़ा ग़ालिब: ____________
#4)
सलमान खान: फ़िल्म - वांटेड (2008) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - संग-ओ-खि़श्त = पत्थर और ईंट
#5)
सलमान खान: फ़िल्म - गर्व (2004) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - अंदाज़-ए-गुफ़्तगू = बात करने का लहज़ा
#6)
सलमान खान: फ़िल्म - गर्व (2004) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - वाइज़ = उपदेशक
#7)
सलमान खान: फ़िल्म - दबंग (2010) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - पाक = पवित्र
#8)
सलमान खान: फ़िल्म - दबंग (2010) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - दैर = मंदिर, हरम = काबा, आस्तां = दहलीज़, रहगुज़र = रास्ता
#9)
सलमान खान: फ़िल्म - मुझसे शादी करोगी (2004) मिर्ज़ा ग़ालिब: ____________
#10
सलमान खान: फ़िल्म - सलाम ऐ इश्क़ (2007) मिर्ज़ा ग़ालिब: भावार्थ - वहशत = उन्माद
ये भी पढ़ें:
‘नीची जाति’ वाले कमेंट पर नरेंद्र मोदी के वो चार झूठ, जो कोई पकड़ नहीं पाया
मोदी जी, अगर आप सच बोल रहे हैं तो मनमोहन सिंह को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते
प्रस्तुत हैंः नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं की बोलीं 20 ओछी बातें
गुजरात चुनाव के पहले ही दिन EVM मशीनों के हैक होने का सच ये है