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फिल्म रिव्यू- सैयारा

अहान पांडे और अनीत पड्डा की पहली फिल्म 'सैयारा' कैसी है, जानने के लिए पढ़ें ये रिव्यू.

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'सैयारा' को आदित्य चोपड़ा की यशराज फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है.

फिल्म- सैयारा 
डायरेक्टर- मोहित सूरी 
एक्टर्स- अहान पांडे, अनीत पड्डा, गीता अग्रवाल शर्मा, राजेश कुमार, वरुण बडोला  
रेटिंग- 3 स्टार्स

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"नेपो बेबी हगेंगे भी, तो भी बोलोगे क्या हगा है."

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'सैयारा' के शुरू होने के शुरुआती 10 मिनट में ये डायलॉग आता है. जो कि अहान पांडे बोलते हैं. अहान, चंकी पांडे के भतीजे और अनन्या पांडे के कजिन हैं. इसकी मदद से शायद से साबित करने की कोशिश होती है कि अहान डायरेक्ट्ली स्टार किड नहीं हैं. क्योंकि उनके पिता फिल्मों में नहीं थे. और दूसरी ओर फिल्म ये एक्नॉलेज भी कर लेती है कि स्टार किड्स को शुरुआती फायदे तो मिलते हैं.  

ख़ैर, 'सैयारा' ने इंडस्ट्री और ट्रेड में हलचल मचाई हुई है. लंबे समय बाद दो नए लोगों को लेकर बनी रोमैंटिक फिल्म को इतनी हाइप मिल रही है. इसका बड़ा क्रेडिट आदित्य चोपड़ा को जाता है. जिन्होंने फिल्म के प्रमोशन से अपने दोनों लीड एक्टर्स को गायब रखा. ताकि उनकी जोड़ी की फ्रेशनेस बनी रहे. और लोग उन्हें एक साथ पहली बार थिएटर्स में ही देखें. ये स्ट्रैटेजी काम कर गई है.

'सैयारा' उस कहानी पर बनी फिल्म है, जो आप सैकड़ों बार देख-सुन चुके हैं. एक अक्खड़ मिजाज लड़का है कृष कपूर. उसका बचपन बुरा गुज़रा. अब वो म्यूज़िशियन बनना चाहता है. उसके लिए स्ट्रगल कर रहा है. तभी उसकी मुलाकात वाणी नाम की एक लड़की से होती है. वाणी जर्नलिस्ट है. मगर गाने भी लिखती है. कृष और वाणी मिलते हैं. म्यूज़िक बनाते हैं. प्रेम में पड़ते हैं. और किन्हीं वजहों से उन्हें अलग होना पड़ता है. उन दोनों के साथ आने में क्या अड़चन है, यही फिल्म का क्रक्स है.  

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स्टोरीटेलिंग के नाम पर 'सैयारा' कुछ भी नया ऑफर नहीं करती. मोहित सूरी मार्का लव स्टोरी. हालांकि नई पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए इस फिल्म को जैसा बरता गया है, वो काम करता है. इस फिल्म को पता है कि उसकी टार्गेट ऑडियंस क्या है. और उन्हें इस फिल्म से जो चाहिए, वो सबकुछ मिलता है. एक फ्रेश लीड पेयर. बढ़िया केमिस्ट्री. मजबूत इमोशनल ड्रामा. हिट म्यूज़िक. और ठीक-ठाक परफॉरमेंसेज़.  

'सैयारा' एक वेल पैकेज्ड फिल्म है. आप इसे 'आशिकी 3' की तरह भी देख सकते हैं. क्योंकि टेंप्लेट सेम है. मगर ये जेन ज़ी फिल्म है. यंग लव. 'मोहब्बत से ही क्रांति आएगी' टाइप पिक्चर. थोड़ी 'रॉकस्टार'इश वाइब के साथ. मगर असल में ये 'यू मी और हम' और 'लव, एंड अदर ड्रग्स' के ज़्यादा करीब है. हिंदी सिनेमा में लंबे समय बाद कोई फिल्म आई है, जिसका नायक वल्नरेबल है. और उसे वो होने में कोई शर्म या झिझक नहीं है. जब उसे लगता है कि लाइफ भारी हो रही है, तब वो मुंह खोलकर मदद मांगता है. हालांकि ये बेयर मिनिमम चीज़ें हैं.

'सैयारा' से अहान पांडे और अनीत पड्डा ने अपना फिल्म डेब्यू किया है. अहान ने भावी रॉकस्टार कृष कपूर का रोल किया है. पिता के शराब पीने की लत की वजह से उसका बचपन बर्बाद हो गया. लेकिन उसके कुछ सपने हैं, जिन्हें वो पूरा करना चाहता है. अहान का काम पहली फिल्म के लिहाज से कन्विसिंग हैं. उनके कैरेक्टर की तरह उनमें भी एक आग दिखती है कि खुद को साबित करना है. वो चीज़ उनकी परफॉरमेंस को कॉम्प्लिमेंट करती है. अनीत पड्डा ने वाणी बत्रा नाम की लड़की का रोल किया है, जो लिखती है. वो ट्रबल्ड लड़की है. उसकी लाइफ में काफी कुछ हो चुका है. और कई चीज़ें हो भी रही हैं. कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर है. इसमें अनीत की परफॉरमेंस यकीनी है, जो भविष्य के लिए उम्मीदवान करता है. गीता अग्रवाल शर्मा का खास ज़िक्र होना चाहिए. क्योंकि बेहद कम स्क्रीनटाइम होने के बावजूद उनका काम प्रभावशाली है. याद रहता है. उन्होंने फिल्म में वाणी की मां का रोल किया है. 

'सैयारा' एक ठीक रोमैंटिक फिल्म है. जो वादा करती है, वो डिलीवर करती है. अगर आप उससे ज़्यादा उम्मीद लगाकर गए हैं, तो भी ये फिल्म आपको बहुत निराश नहीं करेगी. हालांकि की एंडिंग थोड़ी अटपटी लगती है. अब्रप्ट भी कह सकते हैं. मगर उससे पूरी फिल्म पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता.   

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