यहां ऋचा ने सिर्फ अपने सिनेमा की जर्नी में ही नहीं झांक के देखा, अपनी लाइफ के अनुभवों को खंगाला. बताया कि क्यूं उनके लिए उनके पेरेंट्स ही असली ‘दद्दा’ हैं. बात तब की है जब ऋचा ने कॉलेज पास कर लिया था. हर टिपिकल इंडियन पेरेंट्स की तरह इनके पेरेंट्स ने भी इनसे दुनिया-जहान के सारे फॉर्म भरवाए. इस बीच गुपचुप इन्होंने FTII का फॉर्म भी भर दिया. घर पर जब पता चला तो पूछा गया. कि सच में एक्टर बनना है? ये तो तुम्हारी हॉबी ही थी ना बस! प्रस्ताव दिया कि एक साल जर्नलिस्ट की नौकरी कर लो. कहीं चली जाओ, हवा-पानी बदल लो. ऋचा ने इंटरव्यू देने शुरू कर दिए. लॉ से लेकर एमबीए तक सबका नंबर लगा दिया. ऋचा को समझ आ गया कि चाहे कितने भी एग्ज़ाम दे लो, रुचि तो एक ही जगह है. पेरेंट्स से बात की. भरोसा दिलाया कि एक्टिंग से इतना तो कर लेंगी कि अपना गुज़ारा हो सके. घरवालों से बदले में एक चीज़ मांगी. उनका सपोर्ट.

ऋचा ने 2008 में आई 'ओए लकी, लकी ओए!' से डेब्यू किया था. फोटो - पोस्टर
पेरेंट्स ने पहले थोड़ा सोचा. फिर अपनी हामी भर दी. पूरी छूट के साथ बेटी को सपनों के शहर भेजा. ऐसा भी नहीं था कि ऋचा को आते ही काम मिलने लगा. इसलिए घरवालों से पैसे भी मंगवाए. कोई बेकार फिल्म करने से तो बेहतर ही था. घरवालों से पैसे मंगवाने में ऋचा को एक झिझक-सी भी महसूस होती थी. एक दिन अपनी मम्मी से पूछ डाला. आपको नहीं लगता कि मुझे अब खुद कमाना चाहिए. मेरी उम्र में तो आप टीचर बन गईं थी. मां ने उदाहरण देकर समझाया. पुराने ज़माने में राजा-रानी कला का संरक्षण करते थे. तुम बस यही समझो कि हम हैं तुम्हारे राजा-रानी और हर महीने तुम्हारी कला के लिए कुछ हज़ार रुपए भेजते हैं. तुम आर्टिस्ट हो, बस अपनी जर्नी को इंजॉय करो.

ऋचा तिग्मांशु धूलिया के साथ एक वेब सीरीज़ पर भी काम कर रही हैं. फोटो - इंस्टाग्राम
ऋचा के पेरेंट्स का फिल्मी दुनिया से कोई वास्ता नहीं. उनके और उनकी बेटी के लिए फ्राइडे के मायने एकदम अलग हैं. अकसर चाव से ऋचा से पूछते रहते हैं. तेरी नई फिल्म कब आ रही है? अच्छा इसके लिए तूने सच में बाल कटवाए थे? ऋचा के इस किस्से से बेटियों में हौसला अफ़ज़ाई होगी कि जाओ और दुनिया जीत लो. पर उससे भी ज़्यादा ये उन बेटियों के पेरेंट्स के लिए जरूरी है. जिनकी ज़िम्मेदारी है अपनी बेटियों के सपनों को पंख देने की, ताकि वो उन्मुक्त होकर उड़ सकें.