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रामसे ब्रदर्स की 'वीराना' के किस्से, जिसकी जैस्मिन सच में गायब हो गई

क्या 'वीराना' बनाने की वजह एक असली भूत थी?

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वो रामसे ब्रदर्स, जिनकी फिल्मों ने श्रीराम राघवन और रामगोपाल वर्मा जैसे डायरेक्टर्स को डराया है.
साल 1949 में एक हॉरर फिल्म रिलीज़ हुई. ‘महल’. मधुबाला, अशोक कुमार के साथ. फिल्म ने अच्छा बिज़नेस किया. लोगों को डराया भी. ‘महल’ को इंडियन सिनेमा में बनी शुरुआती हॉरर फिल्मों में से एक माना जाता है. उसके ठीक 43 साल बाद एक और हॉरर फिल्म आई. ‘रात’. जिसे बनाया था राम गोपाल वर्मा ने. ‘रात’ को इंडियन हॉरर स्पेस का टर्निंग पॉइंट माना जाता है. ‘महल’ और ‘रात’ के बीच एक लंबा दौर गुज़रा. जहां ‘दो गज़ ज़मीन के नीचे’ और ‘दरवाज़े’ के पीछे बहुत कुछ घटा. ये दौर था रामसे ब्रदर्स का. ‘दी रामसे ब्रदर्स’ का. जो सेवंटीज़ में हॉलीवुड को इंडिया ले आए. अपने देसी फ्लेवर के साथ. जिनका सिनेमा हमारा गिल्टी प्लेज़र बना.
सातों रामसे ब्रदर्स मिलकर अपनी फिल्मों पर काम करते. हर एक डिपार्टमेंट हैंडल करते. उनकी फिल्मों को मेनस्ट्रीम फिल्म इंडस्ट्री और फैमिली ऑडियंस द्वारा नीची नज़रों से देखा जाता. बी और सी कैटेगरी का सिनेमा कहा जाता. लोग चाहे उनके सिनेमा को लेकर कुछ भी कहें लेकिन ये सच है कि उनके सिनेमा की एक अलग किस्म की कल्ट फैन फॉलोइंग है. आपके फेवरेट डायरेक्टर तक उनकी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं. ऐसे ही दो नाम हैं राम गोपाल वर्मा और श्रीराम राघवन. रामू अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि वो एक रात रामसे ब्रदर्स की फिल्म ‘दो गज़ ज़मीन के नीचे’ देखकर लौट रहे थे. फिल्म ने उन्हें डरा दिया था. इतना कि वो लौटते वक्त बीच रास्ते ही बस से उतर गए. क्योंकि रास्ते में एक कब्रिस्तान आता था. और उसे पार कर जाने की रामू की हिम्मत नहीं हो रही थी. इसलिए उन्होंने दूसरा रास्ता लिया और पैदल चलकर घर पहुंचे. ‘अंधाधुन’ वाले श्रीराम राघवन की रामसे ब्रदर्स मेमरी थोड़ी अलग है. साल था 1980. वो पहली बार एक लड़की को डेट पर लेकर गए थे. पिच्चर दिखाने. पुणे के अलंकार थिएटर में. फिल्म थी तुलसी और श्याम रामसे ब्रदर्स द्वारा निर्देशित ‘गेस्ट हाउस’. आज भी श्रीराम अपने उस फिल्म देखने के अनुभव को पैसा वसूल वाली कैटेगरी में गिनते हैं.
हमने बात की रामसे ब्रदर्स की. जिन्होंने सिनेमा जगत को एडल्ट हॉरर फिल्मों का भंडार दिया. ‘पुराना मंदिर’, ‘तहखाना’ और ‘दरवाज़ा’ उन्हीं में से चंद नाम है. उनकी लंबी चौड़ी फिल्मोग्राफी में से बताएंगे उनकी सबसे यादगार फिल्म के बारे में. ‘वीराना’ के बारे में. ‘वीराना’, जिसे याद करते ही चमकीली आंखों वाली जैस्मिन याद आती है. ‘नकिता’ नाम की चुड़ैल याद आती है.
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