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पालघर मॉब लिंचिंग: टाटा इंस्टीट्यूट के दो प्रोफेसरों की फोटो गलत दावे के साथ की गई वायरल

आरोप लगाने वालों ने नाम किसी और का और फोटो किसी और का इस्तेमाल किया.

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पालघर मामले में टि्वटर पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के दो प्रोफेसरों की फोटो गलत तरीके से वायरल की गई. पहली फोटो में पालघर में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देता बोर्ड. वहीं दूसरी तरफ ट्वीट का स्क्रीनशॉट.
महाराष्ट्र का पालघर. पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है. वजह है- दो साधुओं और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग. घटना सामने आने के बाद से राजनीतिक रस्साकशी भी तेज है. मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी की जा रही है. इसी क्रम में टि्वटर पर कुछ लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप प्रभु और उनकी पत्नी शिराज बलसारा के खिलाफ ट्वीट किए. ये दोनों पालघर में रहते हैं. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि ये पालघर मॉब लिंचिंग के आरोपियों को जमानत दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. ट्वीट करने वालों ने इनके नाम प्रदीप प्रभु उर्फ पीटर डिमेलो और शिराज बलसारा बताए. ट्वीट के साथ फोटो पोस्ट की गई. लेकिन जो फोटो इस्तेमाल की गई वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी TISS के दो प्रोफेसर अंजलि मोंटेरो और केपी जयशंकर की थी. द हिंदू की खबर के अनुसार, प्रोफेसर अंजलि मोंटेरो ने बताया कि उन्हें एक फेसबुक फ्रेंड ने इस बारे में बताया. वे अपनी फोटो इस मामले से जुड़ी पोस्ट में देखकर हैरान रह गए. प्रोफेसर मोंटेरो से The Lallantop ने बात की. उन्होंने बताया
हमने पोस्ट के बारे में फेसबुक को रिपोर्ट किया. उन्होंने शिकायत के बाद पोस्ट को हटा दिया है. उन्होंने कहा कि वे इस तरह की बाकी पोस्ट को भी हटा रहे हैं.
लेकिन फेसबुक के बाद प्रोफेसर मोंटेरो और केपी जयशंकर की फोटो को टि्वटर पर गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. टि्वटर से गलत ट्वीट हटाने के लिए कहा गया है. प्रोफेसर के कुछ स्टूडेंटस ने भी गलत जानकारी फैलाए जाने को लेकर ट्वीट किए. ऐसी ही एक स्टूडेंट भामिनी लक्ष्मीनारायणन ने ट्वीट किया -
प्लीज, प्लीज इन ट्वीट को रिपोर्ट करो. फोटो उनकी नहीं है जिन लोगों के नाम लिए गए हैं. जिनकी फोटो है उनका बताए गए मामले से कोई लेना-देना नहीं है. ये कॉलेज के मेरे टीचर रहे हैं. इन्हें पालघर लिंचिंग से जोड़ा जा रहा है. यह उनके लिए ठीक नहीं और इस तरह की गलत जानकारी फैलाना उचित नहीं है.
भामिनी ने कई ट्वीट लिंक पोस्ट किए. और इन्हें रिपोर्ट करने को कहा. इसके बाद बहुत से लोगों के ट्वीट हटा दिए गए. प्रोफेसर अंजलि मोंटेरो ने The Lallantop को बताया
टि्वटर से भी शिकायत की गई है. साथ ही ट्वीट करने वालों से भी गलत जानकारी हटाने को कहा गया है. इसके अलावा महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सेल में भी मेल के जरिए शिकायत की गई है. हालांकि अभी पुलिस से जवाब नहीं आया है. वकील से भी इस बारे में बात की जा रही है.
क्या है काश्तकारी संगठन द हिंदू की खबर के अनुसार, जिस संगठन पर पालघर के आरोपियों को जमानत दिलाने का आरोप मंढा जा रहा है उसका नाम काश्तकारी संगठन है. इसके संस्थापक प्रदीप प्रभु और उनकी पत्नी शिराज बलसारा हैं. द हिंदू के अनुसार, काश्तकारी संगठन पालघर में आदिवासी अधिकारों के लिए काम करता रहा है. शिराज बलसारा भी कुछ समय पहले तक संगठन के साथ थीं. सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए इन दोनों के लिए दावा किया जा रहा है कि ये ईसाई संगठन चलाते हैं. और पालघर मॉब लिंचिंग के आरोपी ईसाई हैं. इसलिए उनकी जमानत की कोशिश कर रहे हैं. द हिंदू अखबार से बातचीत में शिराज बलसारा ने कहा कि सोशल मीडिया के दावे पूरी तरह गलत हैं. काश्तकारी संगठन कभी ईसाई संगठन नहीं था. वे पालघर के आरोपियों की जमानत की कोशिश भी नहीं कर रहे. जिस गांव में मॉब लिंचिंग हुई उसमें उनके संगठन ने कभी काम नहीं किया. बलसारा का कहना है कि वह और उनके पति प्रभु पिछले कुछ साल से उस संगठन में सक्रिय भी नहीं हैं. प्रभु रिटायर हो चुके हैं. और घर पर ही रहते हैं. पालघर के एसपी गौरव सिंह ने भी काश्तकारी संगठन पर लगाए आरोपों को खारिज किया. उन्होंने द क्विंट को बताया कि काश्तकारी संगठन का लिंचिंग के आरोपियों की जमानत मांगने में कोई भूमिका नहीं है. भारत में कोरोना वायरस के मामलों का स्टेटस


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