Netflix ने इंडियन सिनेमा को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. अब से वो फिल्मों के वही वर्ज़न दिखाएगा, जो भारतीय सेंसर बोर्ड (CBFC) ने थिएटर रिलीज़ के लिए पास किए हैं. कोई एक्सटेंडेड या अनकट वर्ज़न अब आपको नेटफ्लिक्स पर नहीं मिलेगा. शायद Shahrukh Khan की Jawan वो आखिरी हिंदी फिल्म थी, जिसका एक्सटेंडेड वर्ज़न इस प्लैटफॉर्म पर देखने को मिला. Ranbir Kapoor की Animal का जो वर्ज़न थिएटर्स में रिलीज़ किया गया कि उसकी लंबाई 3 घंटे 21 मिनट थी. जबकि ओरिजिनल फिल्म 3 घंटे 50 मिनट लंबी थी. ऐसे में फैन्स को ये उम्मीद थी कि उन्हें इस फिल्म को अनकट वर्ज़न नेटफ्लिक्स पर देखने को मिल सकता है. मगर अब ऐसा नहीं होगा.
अब से आप नेटफ्लिक्स पर किसी इंडियन फिल्म का ओरिजिनल या एक्सटेंडेड वर्ज़न नहीं देख पाएंगे
अब भारतीय जनता क्या देखेगी और क्या नहीं, इसका फैसला पूरी तरह से सेंसर बोर्ड करेगा.
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द सिनेमैटोग्राफ एक्ट के मुताबिक ओटीटी प्लैटफॉर्म पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है कि उन्हें सेंसर बोर्ड वाला कट ही अपने प्लैटफॉर्म पर दिखाना करना है. मगर अन्य प्लैटफॉर्म्स खामखा पंगों से बचने के लिए पहले से ही CBFC के हाथों पास हुआ कॉन्टेंट रिलीज़ करने लगे थे. इसलिए नेटफ्लिक्स का इंडिया में खुद को सेल्फ सेंसर करना बड़ा फैसला है. क्योंकि ये इंडिया में ऑपरेट करने वाला इकलौता ओटीटी प्लैटफॉर्म बचा था, जो अन-सेंसर्ड या यूं कहें कि फिल्मों का ओरिजिनल कट दिखाता था. जिसमें सेंसर बोर्ड ने कोई काट-छांट नहीं की होती थी.
हालांकि ये नेटफ्लिक्स का अचानक से लिया हुआ फैसला नहीं है. उन्होंने कुछ समय पहले ही ये करना शुरू कर दिया था. मसलन, अनुभव सिन्हा की फिल्म 'भीड़' से सेंसर बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भाषणों को हटवा दिया था. इसके अलावा फिल्म में कई अन्य कट्स भी लगवाए. नेटफ्लिक्स ने अपने प्लैटफॉर्म पर फिल्म का एडिटेड वर्ज़न ही रिलीज़ किया. ओरिजिनल वर्ज़न नहीं.
दिबाकर बैनर्जी 2019 में नेटफ्लिक्स के लिए एक फिल्म बना रहे थे. उसका नाम था 'फ्रीडम'. 2020 में वो फिल्म बनाकर उन्होंने नेटफ्लिक्स को सौंप दी. इस बात को तीन साल बीत चुके हैं. मगर उस फिल्म का क्या हुआ किसी को नहीं पता. डेडलाइन को दिए इंटरव्यू में दिबाकर ने बताया कि नेटफ्लिक्स ने उनकी फिल्म को रोके रखने की कोई ठोस वजह नहीं बताई. उन्हें बस ये बताया गया कि 'फ्रीडम' को रिलीज़ करने का ये सही वक्त नहीं है. अब उस फिल्म का नाम बदलकर 'टीस' कर दिया गया है.
पिछले दिनों आई थलपति विजय की फिल्म 'लियो' को भी सेंसर बोर्ड की कैंची के नीचे आना पड़ा था. हालांकि विदेशों में फिल्म का ओरिजिनल अन-कट वर्ज़न रिलीज़ किया गया था. मगर फिर से नेटफ्लिक्स ने फिल्म का वही वर्ज़न अपने प्लैटफॉर्म पर डाला, जो CBFC ने थिएटर्स में रिलीज़ के लिए पास किया था. अक्षय कुमार की OMG 2 को सेंसर बोर्ड ने A सर्टिफिकेट दिया. उसके बावजूद फिल्म में बीसियों बदलाव करवाए गए. तब जाकर उसे सिनेमाघरों में रिलीज़ किया जा सका. नेटफ्लिक्स ने OMG 2 का भी वही कट रिलीज़ किया, जो थिएटर्स में रिलीज़ किया गया था.
कार्थी की फिल्म 'जापान' को सेंसर बोर्ड के पास भेजा गया. फिल्म में एक जगह पर 'अंबानी और अडाणी' जैसे बिज़नेसमेन का ज़िक्र था. CBFC ने उन दोनों लोगों के नाम फिल्म से हटाने के आदेश दिए. कुछ दिनों पहले ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर आई. फिल्म के ओटीटी कट से भी 'अंबानी' और 'अडाणी' का रेफरेंस गायब है.
नेटफ्लिक्स के इस फैसले को लेकर द हिंदू ने उनसे बात करने की कोशिश की. इस पर नेटफ्लिक्स का जवाब आया-
"हमारे पास इंडियन ओरिजिनल फिल्म और टीवी शोज़ का एक अविश्वसनीय रेंज है, जो क्रिएटिव एक्सप्रेशन के प्रति लंबे समय से चले आ रहे हमारे समर्थन को दर्शाता है."
कुल जमा बात ये है कि अब भारतीय जनता क्या देखेगी और क्या नहीं, इसका फैसला सेंसर बोर्ड करेगा. इंडिया में रहना है, तो सेंसर-सेंसर कहना है!