The Lallantop

जब लोग तलवारें और लाठी-डंडे लेकर तापसी पन्नू के घर में घुस आए

आज तापसी पन्नू का बड्डे है. 'दी लल्लनटॉप' से बातचीत में तापसी पन्नू ने ये भयावह किस्सा सुनाया.

Advertisement
post-main-image
नन्ही तापसी पन्नू गुरुद्वारे में अपनी मां निर्मलजीत कौर की गोद में. उन्होंने हमसे बात करते हुए 84 के दंगों की घटना शेयर की जो पेरेंट्स से जानी थी. (फोटोः तापसी fb / दी लल्लनटॉप)
ऋषि कपूर के साथ तापसी पन्नू की सोशल-पोलिटिकल कोर्टरूम ड्रामा 'मुल्क' 3 अगस्त को रिलीज हो रही है. इस सिलसिले में वे और फिल्म के डायरेक्टर अनुभव सिन्हा दी लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में थे. उनसे बात की सौरभ द्विवेदी ने. इस दौरान तापसी ने अपनी लाइफ और फिल्मों पर बात करने के अलावा अलग-अलग किस्से भी सुनाए. इन्हीं में से एक किस्सा था 1984 के सिख-विरोधी दंगों का.
तब वे पैदा भी नहीं हुई थीं. लेकिन वे हमेशा इस नरसंहार का जिक्र सुनती थी और उनको जानना था तो अपने दादा-दादी के पास पहुंची और उनसे पूछा. बदले में उन्हें दिल दहला देने वाले वाकये सुनने को मिले. दो ऐसे ही वाकये तापसी ने हमें बताएः
" मेरे घरवालों ने मुझसे कभी इस बारे में बात नहीं की. लेकिन मुझे जानना था, तो मैंने पूछा. उन्होंने बताया कि जहां हम रहते थे, उस इलाके का नाम था शक्ति नगर. नॉर्थ दिल्ली में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास पड़ता था. उस पूरे मोहल्ले में शायद हम इकलौते सरदार परिवार थे. बाकी आस-पास सारे हिन्दू थे. जब ये (1984 का) दंगा भड़का, तो हमारा घर पहचानना आसान था. क्योंकि उस पूरे मोहल्ले में सिर्फ हमारे यहां ही एक कार थी. सबको पता था कि कारों वाला घर सरदारों का है. उस टाइम में हमारे पास (निस्सान की) जोंगा कार थी.
तब मैं पैदा नहीं हुई थी और मम्मी-पापा की शादी भी नहीं हुई थी. उनकी शादी हुई कोई 1986 में. मेरे पापा का नाम है सरदार दिलमोहन सिंह पन्नू और मां का निर्मलजीत कौर पन्नू. शक्ति नगर वाले घर में मेरे पापा अपनी मां और भाई-बहनों के साथ रहते थे. दिल्ली में जब दंगा भड़का तो कई लोग हमारे घर भी तलवार, लाठी-डंडे के साथ आ गए. सबसे पहले उन्होंने हमारी जोंगा जला दी और फिर ऊपर जहां हम रहते थे वहां आ गए. मेरे घरवाले सब डरे हुए थे, तो वो एक कमरे में जाकर छुप गए.
हमारे मकान मालिक ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे. और वो भी हिन्दू थे. जैसे ही उन्हें ये शोर-शराबा सुनाई दिया, वो ऊपर आ गए. आस-पड़ोस के और भी कई लोग आ गए. उन्होंने दंगाइयों से कहा कि वो फैमिली अब यहां नहीं रहती, वो छोड़कर भाग गए हैं. तब जाकर वो लोग वहां से गए और मेरे परिवार वालों की जान बच पाई.
उस टाइम की एक और घटना है. हमारे ही एक रिश्तेदार दिल्ली के शालीमार बाग के पास रहते थे. उस परिवार के जो मेल मेंबर थे, वो घर से बाहर पंजाब में थे. उनके घर में दो लड़कियां और उनकी वाइफ थीं. पंजाब से लौटने के लिए जब वो बस में थे, तभी खबर आई कि दिल्ली में दंगे हो गए हैं. वो जहां थे, वहीं उतर गए. आगे जाकर वो बस भी जला दी गई थी.
जिस इलाके में उनका परिवार रहता था, वहां पर हिन्दू और मुस्लिम लोग ज़्यादा रहते थे. और आस-पास वालों को पता था कि इनके पापा अभी बाहर हैं, घर में सिर्फ औरतें ही हैं. दूर से ही पता चल गया कि उन्हें मारने के लिए कुछ लोग आ रहे हैं. लेकिन पास में ही रहने वाले एक मुस्लिम परिवार ने उनको अपने घर बुला लिया और कहा कि 'आप यहां छुप जाएं, हमारे घर कोई नहीं आएगा.' इस तरह से उन लोगों की जान बची.
मेरे घरवालों ने ये बातें कभी मुझे बताई नहीं, मुझे पूछनी पड़ीं."
दंगों के बाद और दंगों के दौरान की दो तस्वीरें.
दंगों के बाद और दंगों के दौरान की दो तस्वीरें.



Also Read:
गदर वाला बच्चा हीरो बन गया है, उसकी पहली फिल्म का ट्रेलर आया है
इस कवि ने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा 'इक कुड़ी, जिदा नाम मुहब्बत' और दुनिया ने उसे सिर पर बिठा लिया
'सूर्यवंशम' में ठाकुर भानुप्रताप को ज़हरीली खीर खिलाने वाला ये बच्चा अब कहां है
सूर्यवंशम वाली एक्ट्रेस, जो हेलिकॉप्टर क्रैश में मर गई थी

Video: बॉलीवुड एक्टर तापसी पन्नू ने बताया 1984 के सिख विरोधी दंगों का किस्सा

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement