22 अप्रैल. Earth Day मनाने का दिन. सारे दिनों की आधार पृथ्वी के लिए तय किया गया एक दिन. धरती बचाने के लिए सोचने का दिन. धरती पर बहुतों ने बहुत कुछ कहा है. अथर्ववेद से लेकर लेखक अज्ञेय तक. धरती पर कहे 10 विचार, कविताएं, श्लोक ये रहे -
धरती के लिए कही इन 10 प्यारी बातों से 'धरती का दिन' और मीठा, और हरा हो जाएगा
अथर्ववेद से लेकर आइंस्टीन तक सबने क़ुदरत को सलाम ही कहा है
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कवि कहते हैं कि अंत में धरती पर रह जाएगी कविता और लोहार कहता है कि उसका हथौड़ा बचा रहेगा
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#1 अब पृथ्वी के पड़ोस में कोई नहीं
समय पड़ने पर पृथ्वी का कौन साथ देगा?
पृथ्वी के सुख-दुःख
उसके नष्ट होने
और समृद्ध होने का कौन साक्षी होगा? (विनोद कुमार शुक्ल)
#2 अंतरिक्ष की शाखा पर घोंसले की तरह लटकी पृथ्वी में, एक चिड़िया अंडे से रही थी... (विनोद कुमार शुक्ल)
#3 पृथ्वी से क्या कुछ नष्ट नहीं हो गया होगा, और वह सब कुछ है जिससे नष्ट हो जाएगी पृथ्वी (विनोद कुमार शुक्ल)
#4 मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोए थे,
सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,
रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी
और फूल-फलकर मैं मोटा सेठ बनूँगा (सुमित्रानंदन पंत)
#5




चाहता हूँ उड़ना पहुँच जाना अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह जहाँ से दिखती हो पृथ्वी एक तपते चेहरे की तरह और पूछना उस से ... अब कैसा है दर्द ?
(अज्ञेय)
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(विश्वंभरा वसुधानी प्रतिष्ठा, हिरण्यवक्षा जगतो निवेशनी)
समग्र विश्व का भरण-पोषण करने वाली यह पृथ्वी वसु (धन) की खानें धारण किए है, इसकी छाती सोने की है, सारा जगत उसमें समाया है.
(अथर्ववेद)
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ये हैं वो दस बातें जो दुनिया भर से दुनिया भर को बचाने के वास्ते कही गईं. फ़िलहाल दुनिया पर वायरस का ख़तरा है. लेकिन वायरस से पहले और बाद में मानव के लालच और उसकी घृणा का भी ख़तरा है.
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